- कई अंचलों के सीओ, राजनीतिक हस्तियां, प्रशासन के लोग औऱ पुलिस कर्मियों से रहा है बेहतर तालमेल
- फऱजी डीड बनाने का था महारथी
L19/Ranchi : राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में कार्यरत टेक्नीशियन अफ्सू खान उर्फ अफसर अली राजधानी में हुए भूमि घोटाले का मुख्य सरगना है। इस व्यक्ति ने न सिर्फ बड़गाई अंचल, बल्कि कांके अंचल, नगडी अंचल, शहर अंचल, नामकुम अंचल में 500 एकड़ से अधिक के जमीन का हेरफेर किया गया है। अफसर अली फरजी डीड बनाने औऱ 1932 आधारित खतियान का पेपर बनाने का महारथी है। इसके गैंग में शामिल बड़गाई अंचल के हल्का कर्मचारी भानू प्रताप और अमीन सूजीत कुमार के अलावा कई ऐसे लोग भी शामिल हैं, जो परदे के पीछे से घोटाले को अंजाम दे रहे हैं।
अफसर अली की सांठगांठ कांग्रेस, झामुमो से लेकर कई अन्य पार्टियों से रही है। इसके अलावा उपायुक्त, भूमि सुधार उप समाहर्ता, अपर समाहर्ता, एसडीओ, कई अंचलों के सीओ के साथ उसका सीधा कनेक्शन है। खास कर बड़गाई अंचल के सभी सीओ से उसका सीधा संपर्क था। रातू और नगड़ी अंचल के तत्कालीन सीओ और हल्का कर्मचारी शशि भूषण सिंह के साथ भी इसका बेहतर तालमेल था। इसलिए पुनदाग के खाता 384 और अन्य का गलत डीड बना कर हेरफेर किया गया। उसी का नतीजा है संजीवनी बिल्डकोन घोटाला।
अफसर अली ने शहर अंचल के कोनका मौजा की 17 डिसमिल जमीन को भी फरजी तरीके से हथिया लिया है। इसके कागजात भी कोलकाता में बने। इसके अलावा रातू अंचल के बेलांगी मौजा में पांच एकड़ आदिवासी जमीन का भी फरजी डीड इसने एनआइसी के कर्मियों के साथ मिल कर बनवाया। एनआइसी में इन लोगों की ऐसी सेटिंग थी कि निबंधन के दिन पंजी-2 और रसीद फरजी दस्तावेज के मालिकों का दिखने लगता था। इतना ही नहीं खेलगांव थाने क्षेत्र में हुए 55 एकड़ के जमीन घोटाले में भी अफसर का नाम है। इसको लेकर प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी है, जो ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। अफसर अली के गुर्गों ने 55 एकड़ की जमीन की जमाबंदी करने के लिए तत्कालीन सीओ को भी धमकी दी थी।
आसनसोल का रहनेवाला प्रदीप बागची अफसर अली का एजेंट था। जमीन का नेचर बदलने, खाता-प्लॉट या क्षेत्रफल बदलवाने से लेकर कोलकाता में फर्जी डीड तैयार करने का असली मास्टरमाइंड रिम्स के थर्ड ग्रेड का कर्मचारी अफसर अली उर्फ अफ्सू खान है। राजधानी में कई बड़े नेताओं, आईएएस-आईपीएस, डीएसपी, थानेदार, सीओ और सब रजिस्ट्रार का संरक्षण है। इसी वजह से पिछले कई सालों से अफसर अली के इशारे पर रांची-जमशेदपुर सहित अन्य जिलों में आदिवासी जमीन को गैर आदिवासी, सरकारी जमीन को रैयती बनाने, जमीन का खाता-रकबा बदलने और उस जमीन पर कब्जा दिलाने का खेल चल रहा है।
इसी का फायदा उठाकर अफसर ने प्रदीप बागची के नाम पर पिछले साल ओरमांझी के जिराबार मौजा की 15 एकड़ जमीन की फर्जी डीड कोलकाता में तैयार कराई। इस मामले में एनआईसी की ओर से सॉफ्टवेयर डेवलपर शम्मीउद्दीन अंसारी उर्फ शम्मी पर धुर्वा थाना में पिछले वर्ष प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। इस खेल में कई बाहरी लोगों के शामिल होने की आशंका व्यक्त की गई थी।
रांची में फरजी डीड के आधार पर ओरमांझी के जिराबार में 15 एकड़ जमीन का फरजी तरीके से बीके सिंह नामक व्यक्ति को उस जमीन को बेचने का पावर ऑफ अटॉर्नी दे दिया। सूत्रों के अनुसार यह जमीन आदिवासी खाते की है। इसे गैर आदिवासी बनाकर ऊंची कीमत पर बेचने के लिए फर्जी कागजात तैयार किया गया है। स्थानीय लोगों ने जमीन की घेराबंदी के समय विरोध भी किया, लेकिन पुलिस-प्रशासन से कोई सहयोग नहीं मिला। इसलिए मामला दबकर रह गया। हालांकि अभी इस जमीन की रजिस्ट्री नहीं हुई है।
जानकारी के अनुसार अफसरी अली गैंग ने कांके अंचल के गोबरप्पा में प्रहलाद नारायण पांडेय व अन्य के दादा स्व. काली प्रसाद पांडेय के नाम पर 3.92 एकड़ जमीन थी। अंचल व एनआईसी के कर्मचारी बीरबल सिंह व अफसर अली के गैंग ने मिलकर ऑनलाइन रिकॉर्ड में छेड़छाड़ कर उस जमीन को किसी दूसरे के नाम पर चढ़ा दिया। इस मामले में पिठोरिया थाना में केस दर्ज हुआ। इसके बाद ऑनलाइन रिकार्ड में पांडेय बंधु का नाम चढ़ाया गया।
एनआईसी के सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ करके तमाड़ अंचल के उलीडीह के प्लॉट नंबर 431 में दर्ज 2.35 एकड़ जमीन को 77.50 एकड़ बना दिया गया। इस मामले में एनआईसी की ओर से सॉफ्टवेयर डेवलपर शम्मीउद्दीन अंसारी उर्फ शम्मी पर धुर्वा थाना में पिछले वर्ष प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। इसी ससमय रातू अंचल के बेलांगी में थियोडोर पन्ना की जमीन का भी गलत पावर ऑफ एटोर्नी देकर उसे ग्रामीण क्षेत्र के निबंधक से एक ही दिन में निबंधन करा कर तीन करोड़ से अधिक की राशि का पेंमेंट किया गया। राजधानी के पुनदाग, हेहल, रातू के सिमलिया में अधिकतर रैयतों के मूल दस्तावेज गायब करके उसके स्थान पर कोलकाता का फर्जी रजिस्टर्ड डीड रखकर अरबों रुपए की जमीन की बंदरबांट हुई है।
वर्ष 1969 के वॉल्यूम नंबर 23, वर्ष 1966 के वॉल्यूम नंबर 25 के असली डीड को बदलकर नकली डीड रखने का मामला सामने आने पर फॉरेंसिक जांच शुरू हुई थी, लेकिन बाद में इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस समय यहां पर सीओ के रूप में कृष्ण कन्हैया राजहंस, हल्का कर्मचारी के रूप में शशि भूषण सिंह और अन्य खिलाड़ी पदस्थापित थे। फिलहाल कई मामले सीबीआइ की विशेष अदालत में विचाराधीन हैं।