L19 DESK : झारखंडवासी कृपया ध्यान दें, राजधानी रांची सहित झारखंड के विभिन्न इलाकों में सरेआम हत्या और क्राइम की घटनायें लगातार बढ़ रही हैं। ऐसे में अगर आप राजधानी रांची या झारखंड के दूसरे किसी भी इलाके में पैदल या वाहन के ज़रिये सफर कर रहे हैं, तो आप अपनी सुरक्षा का ख्याल स्वयं ही रखें। आपको कभी भी किसी भी वक्त जानमाल का खतरा हो सकता है, और इसके लिये पुलिस जिम्मेदार नहीं होगी। झारखंड में लॉ एंड ऑर्डर पूरी तरह फेल है। भीड़भाड़ वाले, और यहां तक कि थाने के नज़दीक वाले चौक-चौराहों पर भी मर्डर जैसी बड़े वारदात को आसानी से अंजाम दिया जा रहा है, पुलिस इन सब से अनजान है, और अपराधी बेखौफ। इसलिये आत्मनिर्भर बनें, अपनी सुरक्षा का ख्याल खुद ही रखें, और झारखंड के लॉ एंड ऑर्डर पर सवाल खड़े करना बंद करें।
आज हम ऐसा कहने पर मजबूर हैं, क्योंकि झारखंड में एक के बाद एक लगातार सरेआम मर्डर की घटनायें सामने आ रही हैं। पहले अनिल टाईगर, और अब भूपल साहू। दो दिनों के अंदर दो बड़े हत्याकांड केवल और केवल झारखंड की राजधानी रांची में अंजाम दिये गये हैं, वह भी दिनदहाड़े, भीड़भाड़ वाले इलाकों में। अनिल टाईगर हत्याकांड का मामला शांत भी नहीं हुआ था, कि रांची के पंडरा ओपी क्षेत्र से एक और हत्या की वारदात पूरे इलाके में दहशत फैला देती है। दरअसल, बीते कल 27 मार्च को एक तरफ झारखंड विधानसभा में बजट सत्र का आखिरी दिन था, भाजपा आजसू के तमाम विधायकों ने लॉ एंड आर्डर पर सवाल खड़े करते हुए सरकार को जमकर घेरा, खूब हो हंगामा किया। अनिल टाईगर हत्याकांड मामले में सरकार और प्रशासन पर ज़ोरदार हमला किया। और इसी बीच कल ही एक और हत्या हो गयी। हत्या 45 वर्षीय भूपल साहू नामक व्यवसायी की हुई है, जो रांची के पंडरा ओपी क्षेत्र में मामा कॉम्प्लेक्स के विशाल फुटवियर के संचालक थे, इसके साथ ही आजसू पार्टी के रातू प्रखंड के उपाध्यक्ष भी थे। अपराधियों ने पंडरा में रवि स्टील के पास भूपल साहू का गला रेतकर उनकी हत्या कर दी। इस घटना के बाद तिलता रिंग रोड में धौनी फॉर्म हाउस के पास एक निजी अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस का कहना है कि भूपल दुकान में मौजूद थे, तभी एक अपराधी ग्राहक बनकर पहुंचा। 5 मिनट तक दुकान में रहने के बाद अपराधी ने भूपल का गला काट दिया और मौके से फरार हो गए। पुलिस का कहना है कि दुकान में कोई नहीं था। दुकान से खून बाहर निकला, तब लोगों को घटना के बारे में पता चला। मिली जानकारी के अनुसार, जिस जगह पर घटना हुई, वहां कुछ ही दूरी पर जागरण का आयोजन हो रहा था। इसके बाद भी अपराधी आसानी से घटना को अंजाम देकर फरार हो गए। पूरे इलाके में काफी भीड़ थी, लेकिन किसी की अपराधियों पर नजर नहीं पड़ी।
दुकान के अंदर जिस तरह से घटना को अंजाम दिया गया है, उससे साफ है कि अपराधियों का मनोबल काफी बढ़ा हुआ है। वे बेलगाम हो चुके हैं, और उनपर लगाम कसने के लिये कोई सख्त कदम भी नहीं उठाये जा रहे हैं। ऐसे में लोगों का कहना है कि राजधानी में हत्या अब आम बात हो गई है। पहले बड़े कारोबारियों के निशाना बनाकर उनकी हत्या की जाती थी, अब सब्जी बेचने वाले, जूता बेचने वाले जैसे छोटे व्यपारियों पर भी अपराधी हमला कर रहे हैं। कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज़ नहीं है। रातू में अपराध चरम पर है और पुलिस बालू और पशु तस्करों को बचाने में लगी रहती है।
देखा जाये, तो नये साल को शुरु हुए मात्र 3 महीने की बीते हैं, और इतने छोटे से समय में इतनी सारी क्राइम की घटनायें सामने आ गयीं। झारखंड पुलिस की वेबसाइट पर दर्ज आंकड़ों के अनुसार, केवल जनवरी महीने में ही झारखंड भर में 127 लोगों का मर्डर हो चुका है। इसमें राजधानी रांची नंबर वन पर है, जहां एक महीने के अंदर 13 लोगों की हत्याएं हो चुकी हैं। कोडरमा जिले को छोड़कर झारखंड का कोई भी जिला मर्डर जैसे वारदातों से अछूता नहीं है।
वहीं, एनसीआरबी के 2023 के आंकड़े के अनुसार, राजनीतिक कारणों से होने वाली हत्याओं के मामले में झारखंड टॉप पर है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा जैसे राज्यों को भी झारखंड ने पछाड़ दिया है। यहां भी गौर करें, तो अनिल टाईगर और भूपल साह, दोनों किसी विशेष राजनीतिक दल से जुड़े हुए थे। दोनों वारदातों ने एक बार फिर इस आंकड़े को मजबूत बना दिया है, और राज्य में लचर पड़ी कानून व्यवस्था को उजागर कर दिया है।
क्राइम के बढ़ते ग्राफ का दूसरा कारण ये भी है कि झारखंड पुलिस के सर्वोच्च अधिकारी डीजीपी अनुराग गुप्ता के ऊपर ही सारा भार है। वह पुलिस महानिदेशक होने के साथ साथ CID, ACB के भी महानिदेशक हैं। एक ही अधिकारी के ऊपर पुलिस विभाग, क्राइम कंट्रोल, भ्रष्टाचार कंट्रोल करने की जिम्मेदारी है। इस पर बीते कल पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी सवाल खड़े किये थे। उनका कहना था कि एक ही अधिकारी के ऊपर इतनी सारी जिम्मेदारियां होंगी, तो राज्य में क्राइम कैसे कंट्रोल होगा। सवाल लाज़िमी भी है। इस पर झारखंड सरकार को ध्यान देना चाहिये, और अपराध की घटनाओं पर लगाम कैसे कसा जाये, झारखंड को बदनामी से कैसे बचाया जाये, इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिये। वैसे इस पूरे घटना पर आपकी क्या राय है, ये हमें कमेंट करके जरूर बतायें।