L19/Giridih : गिरिडीह जिले में गठित विशेष जांच अभियोजन इकाई का औसत प्रदर्शन पुलिस हेडक्वार्टर के निर्देश के बाद से बेहतर हुआ है। सीनियर अफसरों के निगरानी के बिना ही गंभीर अपराधों के अपराधियों को सजा दिलाने की ओर पुलिस कार्यरत है। मगर, कुछ मामलों में अपने वरिष्ठ पदाधिकारियों के दिशा-निर्देश से ही पुलिस पदाधिकारियों को रिसर्च करना पड़ा है।
बीते 3 महीने में न्यायालय ने कई मामलों में अपराधियों और आरोपियों के वकीलों का दलील खारिज करते हुए उम्र कैद से लेकर 10 वर्ष तक की सजा सुनायी है। गिरिडीह कोर्ट और जिला पुलिस बल से मिले आंकड़ों की मानें तो उनका इशारा हत्या, दुष्कर्म, बाईक चोरी, दहेज प्रताड़ना और यौन शोषण, ठगी के संगीन गुनाहों के आरोपियों को सज़ा दिलाने की ओर ही है। साथ ही, पुलिस की ओर से गुनाहों में शामिल अपराधियों को सज़ा दिलाने के लिए अनुसंधान भी कर रही है।
हालांकि, कुछ मामलो में पुलिस असफलता हाथ लगी। इसमें मुफ्फसिल थाना क्षेत्र स्थित पांडेयडीह के सरिता देवी हत्याकांड और धनवार में एक महिला सहित उसके बच्चे के संदेहास्पद हत्या मामला शामिल है।
मिली सूचना के मुताबिक, गिरिडीह में प्रति माह 300 से लेकर 400 छोटे मोटे व गंभीर अपराध होते हैं। पिछले दो महीनों के आंकड़ों के मुताबिक 13 गंभीर अपराधों में 17 अपराधियों को उम्र कैद की सजा से लेकर 10 साल तक की सजा हो चुकी है। पुलिस मुख्यालय और कोर्ट से मिले आंकड़ो के मुताबिक, फरवरी महीने में मर्डर के चार अपराधियों को 7 साल की सज़ा, तीन को उम्र कैद व चार अन्य को 10 साल तक की सज़ा सुनायी गयी। जमीन विवाद सहित कई और विवाद के मामले में हुए मारपीट से संबंधित अपराधों में 6 आरोपियों को सजा दी जा चुकी है। वहीं, मानव तस्करी मामले में 1 आरोपी को 10 साल तक की सजा दिलाने में पुलिस का योगदान रहा।
इस संबंध में जिले के हर थाने को गंभीर मामलों को लेकर अलग-अलग तरीके से और कई बार रिसर्च करने का निर्देश दिया गया है।