L19 DESK : जिस मुद्दे के बलबूते हेमंत सोरेन ने विधानसभा का चुनाव लड़ा, भाजपा पर निशाना साधा, जमकर पोस्टरबाजी की, सड़क से लेकर सदन तक विपक्षी दल भाजपा को घेरा, और दोबारा अपनी सरकार खड़ी करने में कामयाबी हासिल की, अब ये मुद्दा एक बार फिर से गरमा गया है। हम बात कर रहे हैं केंद्र पर बकाया 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये की, जिसके बलबूते हेमंत सोरेन ने बहुमत हासिल कर सरकार में वापसी की। लेकिन अब केंद्र ने इसे मानने से ही इंकार कर दिया है। केंद्र की भाजपा सरकार का कहना है कि झारखंड का कोई भी बकाया हमारे पास नहीं है। ये बात केंद्र सरकार ने लोकसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान बिहार के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव के एक सवाल के जवाब में कहा। पप्पू यादव ने पूछा कि कोयले से रिवेन्यू के रूप में अर्जित टैक्स में झारखंड सरकार की हिस्सेदारी 1 लाख 40 हजार करोड़ रुपये केंद्र सरकार के पास बकाया है, इसे ट्रांसफर क्यों नहीं किया जा रहा है ? इस पर वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार 16 दिसंबर को लिखित जवाब में कहा कि यह सही नहीं है। कोयले से प्राप्त 1 लाख 40 हजार करोड़ रुपये राजस्व के रूप में अर्जित कर में झारखंड सरकार का कोई हिस्सा केंद्र के पास लंबित नहीं है। राज्य के साथ कोई भेदभादव नहीं किया जा रहा है। बल्कि झारखंड को पिछले तीन साल में करीब 7,790 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध करायी गयी। यह राशि केंद्र प्रायोजित स्कीमों के लिए सहायता अनुदान, वित्त आयोग अंतरण और पूंजीगति व्यय-निवेश के लिए उपलब्ध कराई गई। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 4,580.61 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई गई, जबकि 2022-23 में 2,964.32 करोड़ और 2021-22 में 246 करोड़ की राशि उपलब्ध कराई गई।
पप्पू यादव दरअसल, केंद्र पर झारखंड का बकाया 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये की बात कर रहे थे, जिसको उन्होंने राउंड फिगर में 1 लाख 40 हजार करोड़ कह दिया। वहीं, केंद्र की भाजपा सरकार के इस बयान के बाद सियासी हलचल तेज हो गयी है। केन्द्र सरकार द्वारा दिया गया जवाब हेमंत सोरेन सरकार के लिए बड़ा झटका है। आपको याद होगा, हेमंत सोरेन बार-बार और कई जनसभाओं में इसका जिक्र करते रहे हैं कि झारखंड के राजस्व का 1.36 लाख करोड़ रुपया केन्द्र सरकार पर बकाया है। अगर यह राशि केन्द्र सरकार से मिल जायेगी तो झारखंड में कई योजनाओं की राशि बढ़ा दी जायेगी। सरकार गठन के बाद पहली कैबिनेट में मुख्यमंत्री ने केंद्र पर बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपया वसूले जाने को लेकर कानूनी रास्ता अपनाने का फैसला लिया था। केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री के जवाब के बाद ये विवाद और बढ़ सकता है। झारखंड के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव ने केंद्र को चिट्ठी लिखकर बकाया राशि देने की मांग पहले ही की हुई है।
यहां ये भी ध्यान देने वाली बात है कि हेमंत सोरेन सरकार, मंईयां योजना समेत कई बड़े वादों के कारण सत्ता में फिर से आयी है, इसे सरकार से मिलने वाली इस बकाया राशि से बड़ी उम्मीदें थी, अब यह सिर्फ राज्य सरकार के लिए ही नहीं, बल्कि राज्य की जनता के लिए भी ‘चिंतनीय विषय’ बन गया है।
गौर करने वाली बात ये भी है कि आज जिस बकाया राशि को केंद्र ने मानने से ही इंकार कर दिया है, पूरे चुनाव भर भाजपा का रुख बिल्कुल इससे विपरीत था। भाजपा ने एक बार भी इस बात से इंकार नहीं किया था, बल्कि भाजपा नेताओं ने तो खुले मंचों से कहा था कि हम इतने पैसे कहीं लेकर भागे थोड़ी जा रहे हैं। लेकिन अब क्योंकि पार्टी सत्ता में नहीं आ पायी, तो केंद्र की भाजपा सरकार फिल्म “फिर हेरा फेरी” की अनुराधा के किरदार में आ गयी है।
दूसरी ओर, केंद्र द्वारा झारखंड के बकाया राशि की मांग ठुकराये जाने पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि झारखंड भाजपा के सांसदों से उम्मीद है की वे हमारे इस जायज़ माँग को दिलवाने के लिए अपनी आवाज़ अवश्य बुलंद करेंगे। झारखंड के विकास के लिए यह राशि नितांत आवश्यक है।
वहीं, मंत्री दीपक बिरुआ ने अपने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट जारी करते हुए बकाया राशि का पूरा विवरण दे दिया है। उन्होंने लिखा कि “झारखण्ड की मंईयां, बच्चों, युवा, वृद्ध, आदिवासी-मूलवासी, दलित, अल्पसंख्यक और विस्थापितों के विकास के लिए हमारा बकाया देने से केंद्र सरकार ने इनकार कर दिया। कहते हैं कोई बकाया नहीं फिर ये क्या है?” आगे उन्होंने बकाया राशि का विवरण देते हुए लिखा है कि “कुल बकाया राशि लगभग ₹1,36,042 करोड़ रुपये है। इसमें शामिल हैं: वॉश्ड कोयला रॉयल्टी के रूप में ₹2,900 करोड़, पर्यावरण मंजूरी सीमा के उल्लंघन के लिए ₹32,000 करोड़, भूमि अधिग्रहण मुआवजे के रूप में ₹41,142 करोड़ जिसमें से ₹38,460 करोड़ GM भूमि और ₹2,682 करोड़ GM.J.J भूमि के लिए है। इस पर लगी सूद की रकम ₹60,000 करोड़ रूपये है, जो कि कुल मिलाकर ₹1,36,042 करोड़ रुपये होता है। इनकी नियत ही प्रारंभ से झारखण्डियों को दबाने और उनका हक-अधिकार छीनने की रही है। खैर हम अपना संघर्ष जारी रखेंगे। झारखण्डियों के हक-अधिकार के लिए कानूनी लड़ाई लड़ेंगे”।
इस पोस्ट में आप साफ देख सकते हैं कि मंत्री दीपक बिरुआ ने कानूनी रास्ता अपनाने की चेतावनी दे दी है। मतलब केंद्र के इस रूख के बाद लगभग तय है कि हेमंत सोरेन की सरकार ऐसे मानने वाली नहीं है। वह अवश्य ही कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने वाली है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी पत्नी सह गांडेय विधायक कल्पना सोरेन के साथ आज उज्जैन के महाकाल मंदिर में पूजा अर्चना के लिये पहुंचे हैं। कयास लगाये जा रहे हैं कि वह वहीं से दिल्ली के लिये रवाना हो जायेंगे। अब देखना होगा कि झारखंड का बकाया 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये के लिये क्या हेमंत सोरेन एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट का रूख करेंगे।