L19 DESK : भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने एक बार फिर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर जमीन घोटाले को लेकर तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा है कि हेमंत सोरेन के राज में रांची में हुए महाघोटाले के बारे में लोगों से बातचीत कर हमने विस्तार से समझने का प्रयास किया है। यह घोटाला सत्ता के संरक्षण में दलालों, लोभी प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने मिल कर किया है। यह बड़ा भ्रष्टाचार का मामला है। जिसकी गूंज लंबे समय तक सुनायी देगी। मुख्यमंत्री हेंमंत सोरेन बतायें कि इतना बड़ा घोटाला किसके कहने पर किया गया।
उन्होंने सवाल खड़ा किया है कि ऐसे गोरखधंधे में कैसे कोई अफसर जमीन बिचौलियों के साथ मिल कर अवैध खरीद-बिक्री को बढ़ावा देता था। प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी पर्दे के पीछे बैठे लोगों से भी पूछताछ करें, इससे 10 हजार करोड़ के जमीन घोटाले की बातें सामने आयेंगी। साहेबगंज में तो अवैध माइनिंग, परिवहन से एक हजार करोड़ का ही घोटाला सामने आया है। यह उससे कई गुना बड़ा घोटाला है।
उन्होंने कहा है कि ईडी की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी, वैसे वैसे कई सरकारी-गैर सरकारी लुटेरे लाइन लगा कर जेल जाते दिख जायेंगे। हेमंत सोरेन के गद्दी पर आने के चंद महीनों बाद कोरोना को लेकर कोविड लॉक डाउन लगाया गया। सरकारी, गैर सरकारी कामकाज, रोजगार ठप पड़ गये। बेईमानों ने इस अवधि में इजी मनी मेकिंग का सबसे आसान तरीका जमीन की हेराफेरी को बनाया। रांची में इस गोरखधंधे को अच्छे से चलाने के लिए सर्टिफाइड भ्रष्ट अफसरों की पोस्टिंग की गयी, जिसमें पावर ब्रोकर प्रेम प्रकाश का सहारा लिया गया।
कोडरमा जिले में सरकारी गाछ तक कटवा कर बेच खाने के मामले में हाईकोर्ट से जमानत लिये हुए चार्जशीटेड आइएएस अफसर छवि रंजन को इस काम के लिए सही आदमी समझ कर रांची लाया गया। इनके आने से जमीन लूट योजना का नियंत्रण औऱ डायरेक्शन सत्ता के मशहूर दलाल ने संभाल लिया, वही अफसर अली, जो जेल में बंद है। इसका पहला शिकार मेदिका अस्पताल बूटी मोड़ के बगल वाली जमीन बनी। भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर इस जमीन पर कब्जा दिलाया गया। दो सिनीयर अफसरों ने उस दिन छुट्टी लेकर जमीन को कब्जा दिलाने का काम किया।
मेदिका अस्पताल के बगल वाली जमीन को कब्जा करने के बाद जमीन बिचौलियों का मनोबल बढ़ गया। इन लोगों ने फिर कागजातों पर हेराफेरीस कर जमीन को कब्जा में लेने की कोशिशें शुरू कर दी। कोविड जैसे ही समाप्त हुआ. नियमों के विपरीत इस जमीन माफिया गिरोह ने नियमों को ताक पर रख कर रात में पुलिस लाइन से बसों में ठूस कर पुलिस कर्मियों को ले जाकर बजरा में जमीन कब्जा किया। जमीन कब्जाने का आतंक इस गिरोह ने कर दिया।
एक ही साथ 75 वर्षों का रसीद इनके कहने पर काट दिया गया। झारखंड हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन के अंधे कानून को रद्द कर उस जमाबंदी को रद्द कर दिया, जो डीसी छवि रंजन के कहने पर की गयी थी। इसके वीडियो भी हमारे पास हैं। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बताना चाहिए कि किसके आदेश और किसकी शह पर ऐसा रांची में किया गया।