L 19 Desk : झारखंड के तीन विश्वविद्यालयों में एक भी प्रोफेसर नहीं है। सात विश्वविद्यालयों में से श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय रांची, बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय धनबाद और नीलांबर पितांबर विश्वविद्यालयों में 21-21, 22-22 विभागों में जहां स्नातकोत्तर विषयों की पढ़ाई होती है, वहां किसी भी विषय के प्रोफेसर नहीं हैं। श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय को राज्य की राजधानी रांची और कुलाधिपति के आवास से दो किलोमीटर के दायरे में है, पर यहां की स्थिति काफी दयनीय है। कमोबेश यही स्थिति बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल यूनिवर्सिटी की है, जहां 22 पीजी विभाग बिना प्रोफेसर के संचालित हैं।
प्रोफेसरों ने नीलांबर पीतांबर यूनिवर्सिटी में अपना योगदान ही नहीं दिया
विनोबा भावे विश्वविद्यालय से अलग कर बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल यूनिवर्सिटी का गठन 2017 में कीया गया था। उस समय राजनीति विज्ञान में डॉ आरसी प्रसाद, वाणिज्य में डॉ मंटू सिंह और वनस्पति शास्त्र में डॉ अनवर मल्लिक ही तीन प्रोफेसर थे। विश्वविद्यालय में वरीय सहयोगी प्रोफेसर डॉ एसकेएल दास और डॉ बी कुमार को प्रोन्नति नहीं दी गयी, जबकि ये दोनों प्रोफेसर बनने की अहर्ताएं रखते थे। इनके समकक्ष के प्रोफेसर अब बिहार में सेवानिवृत भी हो चुके हैं। नीलांबर पीतांबर यूनिवर्सिटी में सरकार ने कुछ साल पहले पांच प्रोफेसरों की नियुक्ति जेपीएससी से की थी। पर जेपीएससी से अनुशंसित प्रोफेसरों ने नीलांबर पीतांबर यूनिवर्सिटी में अपना योगदान ही नहीं दिया।
मात्र एक या दो बचे है प्रोफेसर हर विश्वविद्यालयों में
इस सिलसिले में यदि रांची विश्वविद्यालय की बात की जाये, तो यहां पर डॉ कुनूल कांडिल, डॉ सुरेश साहू, डॉ यूसी झा, हीरानंदन और एक प्रोफेसर बचे हैं, जो संस्कृत विभाग के हैं। कोल्हान विश्वविद्यालय चाईबासा, सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका और विनोबा भावे विश्वविद्यालय में सिर्फ एक-एक प्रोफेसर ही बचे हैं। कोल्हान विश्वविद्यालय में डॉ मुंदिता चंद्रा, सिदो कान्हू विवि में डॉ आरकेएस चौधरी थे, जिनका तबादला दो वर्ष पूर्व दुमका कर दिया गया। विनोबा भावे विश्वविद्यालय में हिंदी के एकमात्र प्रोफेसर डॉ मिथिलेश कुमार सिंह सेवानिवृति के कगार पर हैं। डॉ मंटू सिंह और अनवर मल्लिक सेवानिवृत हो चुके हैं।