L19 DESK : राज्य सरकार की जांच एजेंसियां सही समय पर बड़े मामलों पर जांच पूरी नहीं कर पाती है। सीआईडी और एसीबी राज्य सरकार की बड़ी जांच एजेंसी है। विगत तीन सालों में यह दोनों एजेंसियों ने कई बड़े मामलों की जांच को टेकओवर कर जांच शुरू की, हालांकि तय समय पर जांच पूरी नहीं कर पायी है।
कौन से मामले है जिसकी जांच अबतक पूरी नहीं हुई
- गिरिडीह जिले में बंद पड़े ब्रह्मडीहा कोल ब्लॉक से दो हजार टन कोयला की चोरी हुई थी. इस मामले को झारखंड सीआईडी ने अप्रैल 2021 में टेकओवर कर जांच शुरू की थी। पुलिस मुख्यालय के आदेश पर कोयला चोरी के इस मामले को टेकओवर किये सालभर से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी सीआईडी अबतक कोई ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है और न इस मामले की अबतक जांच पूरी हो पायी है।
- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पूर्व ओएसडी गोपाल जी तिवारी के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने प्रारंभिक जांच (पीई) करने के साथ ही 30 जुलाई 2020 को जांच शुरू कर दी थी। उनपर पद का दुरुपयोग कर गलत तरीके से रुपये कमाने, आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने, उनपर जमीन, फ्लैट आदि क्षेत्रों में करीब 21.55 करोड़ रुपये के निवेश करने और अनधिकृत रूप से विदेश यात्रा का आरोप है।
- स्वास्थ्य विभाग ने 50 करोड़ रुपये से अधिक की गैरजरूरी दवाओं की खरीद और उसे गोदाम में सड़ाने के मामले की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने 14 अक्टूबर 2020 से ही शुरू की है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश पर एसीबी ने इस मामले में पीई दर्ज किया था। बता दें कि 20 सितंबर को सीएम ने 50 करोड़ के गैरजरूरी दवाओं की खरीद व उसकी बर्बादी के मामले में एसीबी जांच के आदेश दिए थे।
- लातेहार में अवैध कोयला की तस्करी के मामले की सीआईडी जांच पूरी नहीं हुई है. गौरतलब है कि मगध-आम्रपाली कोल परियोजना के प्रोजेक्ट अफसर की शिकायत पर बालूमाथ इलाके में कोयला तस्करी की जांच सीआइडी कर रही है। सीआइडी ने लातेहार पुलिस के एसआइटी द्वारा की गयी जांच में आये तथ्यों के आधार पर केस को टेकओवर किया है।
- हजारीबाग जिले के आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा को अफीम और ब्राउन सुगर प्लांट कर जेल भेजने के मामले में सीआईडी जांच कर रही है। बीते 3 मार्च को हजारीबाग के लोहसिंघिया थाने की पुलिस ने राजेश मिश्रा को नारकोटिक्स पदार्थ के साथ पकड़े जाने के बाद जेल भेजा था। पुलिसिया जांच में यह बात सामने आयी थी कि भू-माफियाओं और जिला प्रशासन के कर्मियों की मिलीभगत से राजेश मिश्रा को फंसाया गया था।