L19 DESK : झारखंड के योजना आकार में से 31 मार्च 2023 तक 46 हजार करोड़ रुपये ही खर्च हो पाये। सरकार की मानें, तो 2022-23 के लिए विकास योजनाओं के लिए 56 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। इसमें से 46 हजार करोड़ रुपये ही विभिन्न विभागों की तरफ से खर्च किये गये। पिछले वित्तीय वर्ष में 1932 आधारित खतियान और नियोजन नीति, सरकार की तरफ से आभार यात्रा और अन्य कार्यक्रम आयोजित किये गये। पर अंत में 10 हजार करोड़ रुपये सरेंडर किये गये।
वित्त विभाग की तरफ से आदेश दिया गया था कि सभी विभागीय प्रमुख वित्तीय वर्ष की समाप्ति के अंतिम दिन 15 फीसदी से अधिक की राशि की निकासी नहीं की जाये और बची हुई राशि सरेंडर कर दी जाये। वित्त विभाग के आंकड़े को देखा जाये, तो 30 मार्च तक बजट को संशोधित कर 2465 करोड़ की कटौती कर दी गयी। 32 विभागों में से जल संसाधन विभाग ऐसा था, जहां बजटीय प्रावधान के अनुरूप 110 फीसदी राशि खर्च की गयी।
90 फीसदी राशि खर्च करनेवाले विभागों में खेल कूद युवा संस्कृति विभाग, योजना और विकास विभाग, उद्योग विभाग, वन एवं पर्यावरण विभाग, भवन निर्माण विभाग रहे। पथ निर्माण विभाग अपने बजट यानी 3300 करोड़ में से शत प्रतिशत राशि खर्च करने में सफल रहा। सरकार ने इडी की छापेमारी के बाद से ग्रामीण विकास विभाग के बजट में से 3172 करोड़ रुपये की कटौती कर दी।
सरकार की तरफ से कृषि एवं पशुपालन, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग, उद्योग, खाद्य आपूर्ति और सार्वजनिक उपभोक्ता मामलों के विभाग, ग्रामीण विकास विभाग के योजना आकार के प्रावधानों को संशोधित किया गया। अभी सरकार की ओर से 2022-23 के अंतिम प्रतिवेदन की प्रतिक्षा की जा रही है, ताकि सरेंडर की राशि की वास्तविक स्थिति का पता लग सके।