L19 DESK : हर साल 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। बता दे की जागरूकता बढ़ाने, रोकथाम और उपचार को बढ़ावा देने और बीमारी से निपटने की कार्रवाई करने के लिए मनाया जाता है, इसे मनाने का उद्देश्य लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरुकता बढ़ना है। और प्रीतिवर्ष एक थीम पर मनाया जाता है। तो हम आपको बताएंगे इसके लक्षण, उपचार और इसके इतिहास के बारे में..
निमोनिया फेफड़ों से जुड़ा एक प्रकार का संक्रमण है, जो दोनों फेफड़ों को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है।यह बैक्टीरिया, वायरस या फंगस के कारण होता है। इससे सांस लेने में दिक्कत होती है। समय पर इलाज नहीं कराने से बच्चे की मौत तक हो जाती है। इसके विशेषज्ञ को कहना है की निमोनिया सबसे ज्यादा शून्य से पांच वर्ष के बच्चे प्रभावित होते हैं। उसके बाद बुजुर्ग इसकी चपेट में आते हैं। ठंड में निमोनिया के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है।
क्या है निमोनिया
निमोनिया सांस से जुड़ी एक गंभीर समस्या है, जिसमें फेफड़ों में इंफेक्शन हो जाता है। निमोनिया होने पर लंग्स में सूजन आ जाती है और कई बार पानी भी भर जाता है। निमोनिया वायरस, बैक्टीरिया और कवक सहित कई संक्रामक एजेंट्स की वजह से होता है।
इसके लक्षण
- सांस लेते समय या खाँसते समय सीने में दर्द महसूस होना
- खांसी, अक्सर बलगम के साथ आना
- थकान बुखार, पसीना और कंपकंपी वाली ठंड लगना
- सांस लेने में दिक़्क़त होना
- मतली, उल्टी या दस्त आना
- 65 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों या कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों में भ्रम और शरीर का तापमान कम होना
निमोनिया दिवस का इतिहास
यह दिन पहली बार 12 नवंबर 2009 को ग्लोबल कोएलिशन अगेंस्ट चाइल्ड न्यूमोनिया (Global Coalition against Child Pneumonia) द्वारा मनाया गया था। तब से हर साल यह दिन एक नई थीम के साथ सेलिब्रेट किया जा रहा है। इस दिन तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करने का प्रयास किया जाता है।
इस साल का क्या है थीम
इस वर्ष विश्व निमोनिया दिवस की थीम “निमोनिया अफ्फेक्ट्स एवरीवन” है यानी निमोनिया सभी को प्रभावित करता है, ताकि वैश्विक रूप से इसपर जागरूकता बढ़ाई जा सके।
इसके महत्व
विश्व निमोनिया दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करना है। दरअसल, कई लोग निमोनिया के लक्षणों को हल्के में ले लेते हैं। ऐसे में लोगों को निमोनिया के प्रति जागरूक करना होता है। इससे लक्षणों की पहचान करके इलाज कराना जरूरी होता है। साल 20219 में दुनियाभर में 25 लाख लोगों की निमोनिया के कारण जान चली गई थी।