L19/ DEEPAK : झारखंड के साहेबगंज और पाकुड़ के सबसे बड़े सरकारी ठेकेदार, आपूर्तिकर्ता और स्टोन चिप्स के माफिया के बारे में शायद ही कम लोगों को मालूम होगा। साहेबगंज और पाकुड़ के ब्लैक स्टोन चिप्स के सबसे बड़े कारोबारी का नाम आज लकतंत्र 19 अपने दर्शकों, पाठकों को डिस्क्लोज कर रहा है, जी हां इनका नाम इफ्तेखार आलम है। ये ग्लोबल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स आइए इंजीकोन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक हैं।
इनके साथ अमिरूल आलम भी निदेशक थे, जो ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम के सगे भाई हैं। अब ग्लोबल कंस्ट्रक्शन लिमिटेड, ग्लोबल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड बन गयी है। क्योंकि काम बढ़ गया, कंपनी का प्रोफाइल भी बढ़ गया। अब जब इडी वीरेंद्र राम की फाइलें खंगाल रही है, तो इफ्तेखार आलम का भी फाइल जरूर खंगाले जाने की जरूरत है, तभी सफेदपोशों का नकाब उतर सकेगा। वैसे इडी इनके करीब तक पहुंच ही गयी है। बरहरवा टोल प्लाजा मामले में इडी ने अपनी दबीश बढ़ा ली है और एफआइआर भी दर्ज हो चुका है।
इफ्तेखार आलम के बारे में सब कोई यही जानते हैं कि ये ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के भाई हैं और मार्केट में भी यही कहा जाता है। ग्रामीण विकास मंत्री के परिवार वालों के आठ पत्थर के खदानों का संचालन भी इफ्तेखार आलम ही करते हैं। इनका पत्थर का कारोबार पश्चिम बंगाल, बिहार से लेकर बांग्लादेश तक फैला हुआ है। बांग्लादेश बार्डर तक काले रंग का पत्थर चिप्स भेजना हो या तीन बटा चार आकार का चिप्स सबकी खेप इफ्तेखार आलम आसानी से पूरा कर देते हैं।
पिछले 10 वर्षों से ये ग्राम्य अभियंत्रण संगठन के सबसे बड़े ठेकेदार हैं। अपने से इन्होंने कबूल किया कि फिलहाल उनके पास 16 करोड़ से अधिक का रनिंग काम है, जो प्रवर्तन निदेशालय (इडी) की हिरासत मे लिये गये मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम के मार्फत मिले हैं यानी मैं तुलसी तेरे आंगन की वाली कहावत सीधे यहां लागू हो रही है। आरइओ के विभागीय मंत्री भी आलमगीर आलम ही हैं। मुख्य अभियंता सह अभियंता प्रमुख दागी वीरेंद्र राम थे।
इसलिए विभागीय मंत्री के रिश्तेदार की हैसियत से इन्हें इस्टीमेटेड प्राइस से पांच फीसदी अधिक पर काम दिया गया वह भी रांची में बुला कर । कुल मिला कर कहा जाये, तो साहेबगंज और पाकुड़ से बाहर इन्हें अब तक काम लेने की जरूरत नहीं पड़ी. लोकतंत्र 19 के पास कुछ दस्तावेज भी हैं, जिसमें यह स्पष्ट है कि कैसे मुख्य अभियंता इफ्तेखार आलम की कंपनी पर मेहरबान थे।
राज्य में मुख्यमंत्री ग्राम सेतू योजना नामक एक योजना चलती है, जिसमें ग्रामीण नदियों, नालों पर पुलिया का निर्माण होता है। एक-एक योजना चार करोड़ से छह करोड़ के बीच होती है, इसे रेवड़ियों की तरह अभियंता प्रमुख बांटते थे। मंत्री के करीबी और रिश्तेदारों को तो अधिक तवज्जो दी जाती थी। लोकतंत्र 19 ने इफ्तेखार आलम से जब यह पूछा कि आपको पांच फीसदी अधिक दर पर काम कैसे मिला, तो उन्होंने कहा कि वह तो विभाग ने दिया है।
मेरा मंत्री से खून का रिश्ता नहीं है, पर वो मेरे संबंधी हैं। इतना ही इस खबर की सत्यता के लिए काफी है। बाकी हमारे दर्शक और पाठक खुद समझदार हैं। वैसे भी झारखंड मुक्ति मोरचा की सरकार में कांग्रेस पार्टी सहयोगी दल है। कांग्रेस पार्टी के पास ग्रामीण विकास विभाग, वित्त विभाग, स्वास्थ्य विभाग, वाणिज्यकर विभाग, कृषि पशुपालन औऱ सहकारिता तथा खाद्य आपूर्ति विभाग है।