L19 Desk : जनजातीय समुदाय की परंपरा, रीति रिवाज और संस्कृति का कोई लिखित दस्तावेज नहीं है। पुरुखों द्वारा गाये लोकगीतों में ही परंपरा, संस्कृति और रीति रिवाज का जिक्र है। लेकिन अब ग्रामसभा की मदद से गांव-गांव की पौराणिक व सांस्कृतिक धरोहर का दस्तावेजीकरण किया जायेगा। 26 जनवरी को इसकी शुरुआत झारखंड से होगी। इसमें केन्द्र सरकार सहयोग करेगी. 15 अगस्त को इसका लेखा-जोखा छत्तीसगढ़ में रखा जाएगा। यह बातें रांची में आयोजित‘राष्ट्रीय पेसा दिवस समारोह’के दौरान बतौर मुख्य अतिथि मौजूद केन्द्रीय पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कही है।
आने वाली पीढ़ी को मिलेगी
जानकारी राष्ट्रीय पेसा दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि ग्रामसभा झारखंड के गांव-गांव की परंपरा-संस्कृति को सूचीबद्ध करे। जनजातीय सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की आवश्यकता है। यह ही हमारे पूर्वजों के प्रति सम्मान होगा। इसके साथ ही आनेवाली पीढ़ी को भी जनजातीय समाज के गौरवशाली परंपरा की जानकारी हो। यह हमारी जिम्मेदारी है कि आनेवाले 6 महीने में इस दिशा में काम हो। समारोह में‘पेसा कानून’ की मजबूती, उसके क्रियान्वयन,, नियमावली और आदिवासी अधिकारों पर चर्चा हुई। अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायती राज को अधिकार देने पर भी गहन चिंतन मंथन हुआ। भारद्वाज ने कहा कि जल, जंगल औऱ जमीन ही पेसा है। भारत के 10 राज्यों में पेसा कानून लागू है। पेसा को बने 28 साल हो गये, लेकिन पुरी तरिके से यह लागु नहीं हो पाया। इसे पूरी तरीके से लागू कराना हमारी जिम्मेवारी है।