L19 DESK : रांची नगर निगम में महापौर (मेयर), डिप्टी मेयर (उप महापौर) और 53 पार्षदों का कार्यकाल इसी माह समाप्त हो जायेगा। पिछले दिनों हुए नगर निगम की बोर्ड बैठक में पार्षदों ने छह महीने तक कार्यकाल बढ़ाने की मांग की थी। रांची नगर निगम को लेकर 2018 में चुनाव हुआ था। अब 53 पार्षदों समेत मेयर और डिप्टी मेयर का कार्यकाल समाप्त होनेवाला है। मई 2018 के पहले सप्ताह तक निर्वाचित प्रतिनिधियों ने शपथ ली थी। रांची नगर निगम के अलावा हजारीबाग, गिरिडीह, मेदिनीनगर और आदित्यपुर नगर निगम के अलावा चतरा, मधुपुर, गोड्डा, साहेबगंज, पाकुड़, मिहिजाम, चिरकुंडा, फुसरो, गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा, रामगढ़, चाईबासा और कपाली नगर परिषद के चुने हुए प्रतिनिधियों का कार्यकाल अप्रैल माह में समाप्त हो जायेगा।
सर्वोच्च न्यायालय में स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़े वर्गों को आरक्षण दिये जाने का मामला विचाराधीन होने की वजह से झारखंड सरकार स्थानीय निकायों का चुनाव कराने में सफल नहीं हो रही है।राज्य के 14 नगर निकायों का कार्यकाल मई 2020 में ही खत्म हो गया है। ये निकाय हैं-धनबाद, देवघर और चास नगर निगम। इसके अलावा विश्रामपुर, झुमरी तिलैया, गोमिया व चक्रधरपुर नगर परिषद और कोडरमा, बड़की सरिया, धनवार, हरिहरगंज, बचरा और महगामा नगर पंचायत का कार्यकाल भी मई 2020 में ही पूरा हो गया है।झारखंड में नगर निकाय चुनावों में पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट कराने पर अब सरकार विचार कर रही है।
नगर विकास विभाग ने ट्रिपल टेस्ट के लिए आयोग गठन का प्रस्ताव मुख्यमंत्री के पास भेजा है। हाईकोर्ट के सेवानिवृत अथवा वर्तमान जस्टिस की अध्यक्षता में इसको लेकर आयोग का गठन होने की उम्मीद है। इसके बाद आयोग की अनुशंसा पर ओबीसी आरक्षण का प्रावधान कर सरकार नगर निकाय चुनाव कराने की दिशा में आगे बढ़ेगी। ऐसे में राज्य में सितंबर-अक्टूबर में चुनाव होने की संभावना है। 2024 में लोकसभा और झारखंड विधानसभा का चुनाव भी होना है। लोकसभा का चुनाव मई 2024 के पहले पूरा कराया जायेगा। वहीं झारखंड विधानसभा का चुनाव दिसंबर 2024 के पहले कराया जा सकता है। ऐसे में राज्य के 41 स्थानीय निकायों के चुनाव को लेकर सरकार को किसी न किसी तरह का निर्णय लेना जरूरी माना जा रहा है।सरकार ने नवंबर 2022 में एक साथ पूरे राज्य के नगर निकायों का चुनाव कराने का फैसला लिया था।
इसमें अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय के आरक्षण तय नहीं थे। सरकार ने आरक्षण रोस्टर भी बदला था। जिससे रांची नगर निगम के मेयर का पद एससी के लिए आरक्षित हो गया था। चुनाव कार्यक्रम पर राज्यपाल ने भी सहमति दे दी थी। सिर्फ राज्य निर्वाचन आयोग को अधिसूचना जारी करनी थी। इसी बीच आदिवासी संगठन इसके विरोध में उतर आए। उनका कहना था कि शेड्यूल एरिया में निकायों के मेयर और अध्यक्ष का पद एसटी के लिए ही आरक्षित होना चाहिए। आनन-फानन में टीएसी की बैठक बुलाई गई। उसमें बनी सहमति के आधार पर चुनाव स्थगित कर दिए गए।
रिपोर्ट : दीपक कुमार