L19/Dumka : संताल परगना महाविद्यालय दुमका छात्र समन्वय समिति के बैनर तले छात्र अधिकार महारैली कार्यक्रम आयोजन किया गया। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं ने झारखंड के हेमंत सरकार एवं उनके सहयोगी कांग्रेस के तमाम विधायकों का विरोध, पुतला दहन एवं शव यात्रा का कार्यक्रम आयोजन किया गया। छात्र समन्वय के कहा कि हेमंत सरकार एवं अनके सहयोगी कांग्रेस के द्वारा बनाई गई कई गलत नीतियों के कारण जनमानस की भावनाओं को ठेस पहुंचाया है।
छात्र -छात्राओं ने सवाल उठाया कि क्या झारखंड उसी दिन के लिए बना था । कि यहां के युवा रोजगार के लिए दर-दर भटके। उन्हें अपने ही राज्य में हक अधिकार के लिए सड़कों पर आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़े। आज हालात यह है कि छात्र अधिकार और न्याय में मांग के क्रम में पुलिस से लाठी खाना पड़ रहा है। उन्हें बेवजह झूठे केस का शिकार होना पड़ रहा है। जहां उन्हें रोजगार मिलना चाहिए वहां केस और पुलिस की लाठी मिल रही है।
छात्र नेता श्यामदेव हेम्ब्रम ने कहा कि झारखंड के हेमंत सरकार को यह बात समझ में आना चाहिए । 1951 के बाद केंद्र के विभिन्न सरकारी उपक्रमों में झारखंड में आए विभिन्न राज्यों के लोग एवं अनके परिवार बस गए है। सवाल उठता है कि झारखंड के स्थानीय खाता धारियों का क्या होगा? इस हालात में क्या हेमंत सोरेन ने झारखंड के आदिवासियों और मूल वासियों के साथ धोखा नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार 1932 के आधार पर स्थानीय नीति क्यों नहीं बनाया? 1932 शब्द के साथ अंतिम सर्वे सेटेलमेंट शब्द को क्यों नहीं जोडा गया है। क्या झारखंड में बाहर से आए लोगों की जनसंख्या अधिक हो गई है या फिर बाहर के लोगों का झारखंड के राजनीति में प्रभाव बढ़ गया। अगर बाहर के लोगों का झारखंड के राजनीति में प्रभाव है तो क्यों है यह बात हेमंत सरकार को समझने की जरूरत है।
आज बाहरी लोग जो यहां रोजगार की तलाश में आए उन्होंने अपना वोटर कार्ड यहां बनवाया और वोट भी देते हैं क्या यह दोहरी नागरिकता नहीं है ऐसे लोगों को चिन्हित कर सरकार क्यों कार्रवाई नहीं करती है। आज पीजीटी में बहाली के लिए रिक्तियों के विरोध आवेदन मांगा जा रहा है। जिसमें आवेदन में साफ लिखा हुआ है कि पात्रता भारत की नागरिक हो। क्या ऐसे में झारखंड के युवाओं का हक नहीं मारा जा रहा है बिहार बिहारियों के लिए, बंगाल बंगालियों के लिए, तो क्या झारखंड झारखंडियों के लिए नहीं हो सकता है ?
झारखंड सरकार को जवाब देना चाहिए कि बिहार में भी प्लस 2 विद्यालयों के लिए बहाली निकाली गई, जिसमें प्रिंट मीडिया साफ तौर पर कहती है कि 40,506 पदों पर नौकरी बिहारियों के लिए है। लेकिन झारखंड में पात्रता पूरे भारत को माना जा रहा है जबकि दोनों राज्यों की डोमिसाइल एक ही है। क्या झारखंड सरकार का नियोजन नीति 60-40 का अनुपात उन लोगों के हित में नहीं बनाया जा रहा है जो झारखंड में बाहर से आए है और विभिन्न केंद्रीय उपक्रमों यथा सीसीएल, बीसीसीएल बीटीपीएस पीटीपीएस एवं एस.ए.आई. एल इत्यादि में काम कर रहे है।
सरकार को जवाब देना चाहिए। कि क्या झारखंड को एक चारागाह बनकर रह गया है। घर और छत तो बन गया लेकिन इसमें खिड़की और दरवाजा नहीं लगता है। जब जो चाहे आ जाए जब जो चाहे चला जाए। छत्तीसगढ़ का पोर्टल में सरकार को खोल कर देखना चाहिए जिसमें साफ तौर पर लिखा हुआ है कि भारत का नागरीक हो एवं छत्तीसगढ़ के स्थानीय निवासी होना चाहिए। क्या झारखंड में ऐसा नहीं हो सकता है। बंगाल में 90 प्रतिशत बंगालियों के लिए है। 5 प्रतिशत बाहरियों के लिए है। झारखंड में क्यों नहीं सकता है। इसका जवाब
सरकार को देना चाहिए। सरकार की गलत नीतियों में एक शिक्षा नीति भी है। जिसमें सरकार ने विश्वविद्यालय में सीयूईटी के तहत नामांकन अनिवार्य कर दिया है। संताल परगना के छात्र इसका विरोध करते है। इस संदर्भ में झारखंड सरकार को जवाब
देना चाहिए। छात्र समन्वय समिति, दुमका सरकार से निम्न मांग करती है:- 1. खातियान के आधार पर स्थानीय नीति बनाई जाए। जिसमें 1932 को आधार
माना जाय ।
- खातियान के आधार पर नियोजन नीति बनाई जाय ।
- रिक्तियों के विरूद्ध आवदेन में सिर्फ भारत के नागरीक न लिख कर के नागरीक एवं झारखंड राज्य का स्थानीय निवासी लिखा जाय ।
- 60-40 का अनुपात रद्द किया जाय। सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका में सीयूईटी को वापस किया जाय।
उपरोक्त मांगे पूरी नहीं की जाने की स्थिति में छात्र समन्वय समिति दुमका आंदोलन के कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए आगामी 1 अप्रैल 2023 को संताल परगना में एक दिवसीय बंदी का आवहन करने के लिए बाध्य हो जायेगी। जिसकी जिम्मेवारी सरकार को होगी।
रिपोर्ट : बिनोद त्रिवेदी