L19 DESK : राज्य में आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव के पहले जातीय गणना की मांग जोर पकड़ सकती है। उस मामले में झारखंड अपने पड़ोसी राज्य बिहार के रास्ते पर आगे बढ़ सकता है। बिहार में जातीय गणना की शुरुआत हो चुकी है । वहां सत्तारूढ़ जनता दल और राजद की उस पहल का कांग्रेस ने पूरा समर्थन किया है। पार्टी नेता राहुल गांधी उनके पक्ष में सामने आ रहे हैं। राहुल गांधी ने जातीय गणना के साथ-साथ आबादी को भी लेकर आरक्षण प्रतिशत तय करने की लड़ाई के पक्ष में साथ देने की बात कही है। उससे जदयू और राजद गठबंधन के हिम्मत बुलंद हो गया हैं।
राहुल गांधी के खुलकर इसके पक्ष में आने के बाद प्रदेश कांग्रेस उसे लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर दबाव बढ़ेगी। झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर जातीय गणना के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अनुरोध करेंगे। उधर, राजद भी सत्तारूढ़ गठबंधन का सहयोगी है। ऐसे में सरकार कुछ निर्णय ले सकती है। झारखंड मुक्ति मोर्चा भी सैद्धांतिक तौर पर जातीय गणना के पक्ष में है। मोर्चा के रणनीतिकार उसे केंद्र सरकार की दायित्व बताया हैं। फिलहाल, उस मामले पर गठबंधन दल के बीच मांग तेज होने पर सुगबुगाहट बढ़ेगी। अगर उस दिशा में निर्णय किया गया तो बिहार के बाद झारखंड जातीय गणना कराने वाला दूसरा राज्य होगा।
हर जाति एक अलग निर्धारित हुआ है
बिहार में जातियों के लिए अलग-अलग कोड जाति आधारित गणना के लिए बिहार में कोड तय जा रहा है। यह अकड़ो से पता चलेगा कि कौन किस जाति का है। हर जाति का एक अलग कोड निर्धारित हुआ है। कायस्थ का कोड 22, ब्राह्मणों का 128, राजपूत का 171, भूमिहार का कोड 144 है। कुर्मी जाति का कोड 25 और कुशवाहा (कोइरी) का 27 है। यादव जाति में ग्वाला, अहीर, गोरा, घासी, सदगोप के लिए 167 कोड है ।