L19/Delhi : सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। यह याचिका दोषी पाये जाने के बाद निर्वाचित विधायी निकायों के प्रतिनिधियों को अयोग्य ठहराने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है।उस याचिका में जनप्रतिनिधियों के अधिनियम की धारा 8(3) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दिया हुआ है ।
याचिका में क्या है
याचिका में यह निर्देश देने का अनुरोध किया है कि धारा 8(3) के तहत प्रतिनिधियों को दोषी पाए जाने के बाद उन्हें अपने आप अयोग्य घोषित नहीं किया जाना चाहिए।
याचिका आभा मुरलीधरन ने किया दायर
सामाजिक कार्यकर्ता और पीएचडी विद्वान आभा मुरलीधरन द्वारा दायर याचिका में धारा 8 (3) के तहत स्वत: अयोग्यता की घोषणा करने के लिए निर्देश देने की मांग किया गया है अवैध होने के लिए संविधान के अति-विशिष्ट घोषित किया जाना चाहिए।
याचिका में ये मांग की गई
वकील दीपक प्रकाश के माध्यम से दायर याचिका में शीर्ष अदालत से कहा गया है कि यह घोषणा करने के लिए निर्देश जारी करे कि भारतीय दंड संहिता की धारा 499 (जो मानहानि का अपराध है) या दो साल की अधिकतम सजा निर्धारित करने वाला कोई अन्य अपराध किसी भी विधायक के किसी भी उपस्थित सदस्य को स्वचालित रूप से अयोग्य नहीं ठहराए गयाहै । क्योंकि यह किसी निर्वाचित प्रतिनिधि के बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन किया गया है।
जन प्रतिनिधि कानून का क्या कहता है
जन प्रतिनिधि कानून, 1951 में व्यवस्था की गई है कि यदि किसी जन प्रतिनिधि को कोई भी मामले में दो साल या उससे अधिक की सजा होती है तो जिस के कारण उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी। जिसके अलावा सजा पूरी होने के छह साल तक वह चुनाव नहीं लड़ सकता है। किसी उपस्थित सदस्य के मामले में तीन महीने की छूट दी गई है।
राहुल गांधी को 30 दिनों की जमानत
सूरत की एक अदालत द्वारा राहुल गांधी को मोदी सरनेम मामले में आरोपी ठहराया गया है। मानहानि के मामले में सूरत की एक अदालत द्वारा दो साल की सजा सुनाए जाने पर 24 मार्च को राहुल गांधी को लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। लेकिन , उन्हें उच्च न्यायालय में अपील करने की अनुमति देने के लिए मामले में 30 दिन की जमानत दिया गया। वहीं, राहुल ने अपनी अयोग्यता पर प्रतिक्रिया देते हुए हिंदी में ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा था कि ”मैं भारत की आवाज के लिए लड़ रहा हूं और कोई भी कीमत चुका सकता हूं ।