L19 DESK : राजधानी के टाटीसिलवे इंडस्ट्रीयल एरिया में अवस्थित श्रीलैब ब्रीवरिज प्राइवेट लिमिटेड का कारोबार फिलहाल उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग संभाल रहा है। श्रीलैब के उत्पादन से लेकर टंच ब्रांड के विभिन्न पैकिंग का विपणन अब दारोगा अभिषेक आनंद और उनके सहयोगी की देखरेख में हो रहा है। नवंबर 2022 में पलामू में श्री लैब ब्रीवरिज प्राइवेट लिमिटेड के 870 पेटी ट्रक लोड पकड़ाये जाने के बाद उत्पाद विभाग की यह कार्रवाई की गयी है। इस संबंध में लोकतंत्र 19 ने श्रीलैब के एक पार्टनर रामाशंकर प्रसाद से वस्तुस्थिति की जानकारी लेनी चाही और जानना चाहा कि श्री लैब को सील क्यों नहीं किया गया। रामाशंकर प्रसाद ने कुछ ऐसी जानकारियां शेयर की, जिससे उत्पाद विभाग की कार्यशैली उजागर होती है। उन्होंने कहा कि फिलहाल उत्पाद विभाग की निगरानी में टंच ब्रांड का प्रोडक्शन हो रहा है।
इसके लिए एक्साइज दारोगा अभिषेक आनंद को प्रतिनियुक्त किया गया है। इनके अंडर में दो कर्मी लगाये गये हैं, जो प्रोडक्शन का जिम्मा संभालते हैं।
जहां तक पलामू में पकड़ाये गये 870 पेटी का सवाल है, उस शराब की स्पीरिट और अन्य मानकों की जांच सहायक आयुक्त राकेश कुमार की तरफ से करायी गयी। इसमें पाया गया कि जो ट्रक पलामू में पकड़ाया था। उसमें लदे शराब के बॉटल श्रीलैब से मैन्यूफैक्चर्ड नहीं थे। टंच ब्रांड का लेबल और अन्य चीजें दूसरी जगह बना कर उसे बिहार भेजा जा रहा था। रामाशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार ही उसके बाद से टंच ब्रांड बनवा रही है। जरूरत के हिसाब से स्पीरिट और मार्का और अन्य चीजें खरीदी जा है। उनके अनुसार श्रीलैब ब्रीवरीज के तीन पार्टनर अभी भी हैं। जिसमें उमाशंकर सिंह, सर्वजीत सिंह दुआ उर्फ सिट्टू और खुद मैं हूं।
हमलोगों के बारे में यह बातें बाजार में आयी थी कि छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट के बड़े खिलाड़ी सिद्धार्थ सिंघानिया का पैसा श्रीलैब में लगा हुआ है। उन्होंने स्वीकार किया कि सिद्धार्थ सिंघानिया ने प्रोडक्शन के लिए हमें पैसा दिया था। क्योंकि पहली बार फैक्टरी सील होने के बाद हमलोगों के पास पैसे नहीं थे। इसलिए शराब सिंडिकेट के बड़े खिलाड़ी सिद्धार्थ सिंघानिया ने हमारी फैक्टरी में पैसा लगा था। वह भी प्रोडक्शन के लिए। फैक्टरी में अभी भी प्रबंधन का जिम्मा हमही तीन लोगों का है। यह पूछे जाने पर कि क्या पलामू में दर्ज हुए एफआइआर को रफा-दफा करने में सहायक आयुक्त रामलीला रवानी की भूमिका है। रामाशंकर प्रसाद ने इसे इनकार करते हुए कहा कि उत्पाद विभाग के अधिकारियों की पूरी टीम ने कई बार हमारी फैक्टरी का नवंबर 2022 से लेकर अब तक निरीक्षण कर स्टाक रिपोर्ट, प्रोडक्शन रिपोर्ट और अन्य रजिस्टर की जांच की है। जांच रिपोर्ट में कुछ नहीं मिला है। सरकार इस फैक्टरी से खुद प्रोडक्शन करा रही है। जिससे हमें कोई लेना-देना नहीं है। सरकार की ओर पैसा दिये जाने पर स्पीरिट, बॉटल, पैकिंग सामग्रियां तथा अन्य चीजें मंगायी जाती हैं।
दूसरे राज्यों से अवैध शराब की खेप आना बंद हो
श्रीलैब ब्रीवरीज के पार्टनर रामाशंकर प्रसाद ने कहा कि यदि दूसरे राज्यों से अवैध शराब की खेप आना बंद हो जाये। तो झारखंड से उत्पाद विभाग का राजस्व तीन हजार करोड़ से पार हो जायेगा। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, चंडिगढ़, दिल्ली, ओड़िशा तथा अन्य राज्यों से शराब झारखंड में बड़े पैमाने पर लाया जा रहा है। यहां के तथाकथित बॉटलिंग प्लांटों में 100 पाइपर्स, ब्लेंडर प्राइड, ब्लैक लेबल, रेड लेबल, ओल्ड मोंक रम, एसी ब्लैक तथा अन्य ब्रांडों की डुप्लीकेट शराब तैयार की जा रही है। इस पर उत्पाद विभाग को तत्काल रोक लगानी चाहिए। अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगने से झारखंड में निर्मित शराबों और इंडियन मेक फोरेन लिकर की मांग बढ़ेगी और उच्च गुणवत्ता की शराब झारखंड के लोगों को मिल पायेगी। इसका यह फायदा होगा कि सरकार के खाते में राजस्व भी अधिक आयेगा और मिलावटी शराब का धंधा बंद होगा।