संघ की कार्यकारिणी की बैठक मे लिया गया फैसला
L19/DESK : रविवार को झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ की प्रदेश कार्यकारणी की बैठक बुंडू प्रखंड के प्रांगण में झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ की प्रदेश अध्यक्ष जॉन पीटर बागे की अगुवाई मे आयोजित किया गया। इस बैठक मे अपने चिरलंबित मांगो को लेकर आगामी 1 मई मजदूर दिवस के दिन से तीन दिवसीय पदयात्रा करने का निर्णय लिया गया। यह कार्यक्रम भगवान बिरसा मुंडा के जन्मस्थली उलीहातु अड़की खूंटी प्रारम्भ होकर राजधानी स्थित राजभवन तक किया जाएगा। राजभवन पहुँचने के 3 मई को राजभवन के समक्ष मनरेगा कर्मियों का विशाल धरना प्रदर्शन का आयोजन होगा।
इस बैठक में पदयात्रा को लेकर पूरा रूपरेखा तैयार किया गया है साथ ही रोड मैप और रात्रि विश्राम के जगह को चिन्हित करते हुए रूपरेखा बनाई गई। यह पदयात्रा 1 मई मजदूर दिवस के दिन से भगवान बिरसा मुंडा के जन्म स्थल उलीहातू से प्रारंभ होते हुए दोपहर में अड़की प्रखंड में विश्राम किया जाएगा। इसके बाद अगली सुबह 2 तारीख को पदयात्रा का दूसरा दिन तमाड़ से बुंडू प्रखंड होते हुए रामपुर पंचायत तक किया जाएगा फिर रात्रि विश्राम रामपुर पंचायत में किया जाएगा।तीसरा दिन अर्थात 3 मई को रामपुर पंचायत से दुर्गा सोरेन चौक होते हुए राजभवन तक पदयात्रा किया जाएगा और राजभवन के पास धरना प्रदर्शन किया जाएगाl
झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने आगे बताया कि आखिर झारखण्ड में कब तक मनरेगा कर्मचारियों के साथ अन्याय होता रहेगा।आखिर मनरेगा कर्मचारियों के साथ हो रहे नाइंसाफी,मजाक या विसंगतियों को कौन बढ़ावा दे रहा है? झारखण्ड में लगभग 49 विभाग है ।सभी का अपना स्थापित मंत्री सचिव, इंजीनियर ,प्रधान सहायक नाजिर लेखापाल ,क्लर्क लिपिक आदेश पाल आदि पद है। सभी 49 विभागों के चिन्हित पदों का वेतन ,सुविधा ,अवकाश सब कुछ एक है ,मगर इन्ही विभागों में एक ही पद कोटि यथा ,इंजीनियर ,प्रधान सहायक ,क्लर्क लेखापाल और आदेश पाल जो संविदा पर कार्यरत है उनके देय मासिक मानदेय में भिन्नता क्यों है? क्या ग्रामीण विकस मंत्री और कल्याण मंत्री के मानदेय में भिन्नता है क्या ?अथवा कल्याण विभाग के इंजीनियर प्रधान सहायक ,नाजिर क्लर्क या आदेशपाल का वेतन ग्रामीण विकास विभाग से कम है क्या ? कोई विसंगतियां है क्या ?यदि नही तो फिर अनुबन्धकर्मियो के एक विभाग से दूसरे विभागों के समान पद कोटि के देय मासिक मानदेय और अवकाश में अंतर क्यो हैं ?सिर्फ नाम के आगे संविदा शब्द जोड़कर सारी सुख सुविधाओं को काट लेना कहाँ तक उचित है।
इसी तरह झारखण्ड के अन्य किसी भी दो विभागों के स्थायी कर्मियों के समान पद कोटि में जब कोई विसंगतियां नही है तो एक ही विभाग के अनुबन्धकर्मियो के मानदेय में इतना विसंगतियों क्यो बढ़ावा मिल रहा है इसे अब तक दूर क्यों नही किया जा रहा है?
विकास आयुक्त झारखण्ड की अध्यक्षता में बनी उच्च स्तरीय कमिटी अपने लगभग 3 वर्षो के कार्यकाल में कार्मिक विभाग के पत्रांक 4011दिनाँक 18/08/2020 में वर्णित किसी भी शर्तो को आज तक पूरा क्यो नहो किया गया? जब राज्य के हर छोटे अधिकारी कर्मचारियों द्वारा यदि कोई दायित्व समय पर पूरा नहीं होता है तो उसे कारण पृच्छा की जाती हैं लेकिन जब बड़े अधिकारी ही अपने कर्तव्यों को सही समय पर निर्वहन नही करे तो इसका जबाब उनसे कौन लेगा?