L19/Ranchi : झारखंड सरकार ने बाल विवाह जैसी कुप्रथा को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाये हैं। इसके लिए सरकार ने महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग, महिला पर्यवेक्षिका, प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी, सीओ, बाल विकास परियोजना अधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी, जिला कल्याण पदाधिकारी, उपायुक्त, प्रमंडलीय आयुक्त और प्रखंड विकास पदाधिकारी को बाल विवाह निषेध पदाधिकारी के तौर पर ज़िम्मेवारी सौंपी है।
इस तरह अब पूरे झारखंड राज्य में समाज कल्याण विभाग के निदेशक बाल विवाह के रोकथाम के लिए काम करेंगे। साथ ही, बाल विवाह के विरुद्ध कार्रवाई करेंगे। प्रमंडलीय आयुक्त को कार्यक्षेत्र प्रमंडल, उपायुक्त को जिलों, जिला कल्याण पदाधिकारी को जिलों में, अनुमंडल पदाधिकारी को अनुमंडल में, वहीं प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी तथा प्रखंड विकास पदाधिकारी को कार्यक्षेत्र प्रखंडों की जिम्मेदारी दी गयी है। इसके अलावा, पंचायत सचिवों को उनके पंचायतों में बाल विवाह निषेध पदाधिकारी के रूप में काम सौंपा गया है। पूर्व में बाल विकास पदाधिकारी को ही केवल इसकी जिम्मेवारी दी जाती थी।
बाल विवाह के मामले में झारखंड किस स्थान पर है?
ज्ञात हो, बाल विवाह के मामले में राज्य को 11वां स्थान प्राप्त है। झारखंड देश के सबसे अधिक पिछड़े राज्यों की गिनती में शामिल है। वहीं, 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य में पिछले कुछ सालों में 3,38,064 बाल विवाह के केस सामने आये हैं। पूरे देश में बाल विवाह का 3 फीसदी केवल झारखंड अकेले कवर कर रहा है।