झारखंड की जांच एजेंसियां केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ, इडी और अन्य को नहीं करती सहयोग
एल19.
झारखंड में आइएएस, आइपीएस, राज्य प्रशासनिक सेवा संवर्ग के अधिकारियों की ओर से करप्शन को इतना बढ़ावा दिया जा रहा है कि केंद्रीय जांच एजेंसियों को राज्य सरकार कोई अहमियत नहीं दे रही है. चाहे वह सीबीआइ हो अथवा प्रवर्तन निदेशालय तथा अन्य एजेंसियां. झारखंड में अवैध खनन घोटाला, मनरेगा घोटाला, अवैध ट्रांसपोर्टेशन, निविदा घोटाला, संजीवनी बिल्डकोन घोटाला, खान आवंटन घोटाला तथा अन्य घोटालों की जांच केंद्रीय एजेंसियां सीबीआइ और इडी की तरफ से की जा रही है. इन एजेंसियों की तरफ से भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के साथ मिल कर कई मुकदमे भी किये गये, पर भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहरी हो गई हैं कि ऊपर से लेकर नीचे तक के अधिकारी व कर्मचारी इसमें फंसे हुए हैं. इसके बावजूद सरकारों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. राज्य के कई आईएएस अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, लेकिन आज तक कार्रवाई के नाम पर बस फाइल इधर से उधर से होती रही. निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल से जुड़ा है, जिनकी फाइल दो माह से सरकार के पास है, पर आज तक एसीबी को एफआईआर दर्ज करने की अनुमति नहीं दी. अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह, पथ निर्माण और भवन निर्माण सचिव सुनील कुमार, रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन, चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम, संजीवनी घोटाले के आरोपी रहे चुरचू अंचल के वर्तमान सीओ शशि भूषण सिंह जैसे आईएएस अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई या जांच की अनुमति संबंधी फाइलें सरकार के पास पेंडिंग है. फिर भी ऐसे अधिकारियों को मलाईदार पोस्ट देकर उनको उपकृत कर रही है.
2009 में खूंटी उपायुक्त रहते हुए पूजा सिंघल का नाम मनरेगा घोटाले में आया था, लेकिन जांच में उन्हें दोषमुक्त कर दिया था. इस घोटाले में ईडी की छापेमारी में करोड़ों रुपए कैश सहित अकूत संपत्ति मिलने पर पूजा को गिरफ्तार किया गया. हाल में ही उन्हें सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत दी है. ईडी ने एसीबी जांच की अनुशंसा की थी। एसीबी ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू करने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी गई थी, पर सरकार अंतिम निर्णय नहीं ले रही है.
पथ निर्माण व भवन निर्माण सचिव सुनील कुमार पर बोकारो सिख दंगा पीड़ितों के 71.30 लाख के मुआवजा भुगतान में गड़बड़ी का आरोप है. तत्कालीन मुख्य सचिव राजीव गौबा ने जांच का आदेश दिया था. उनपर बोकारो डीसी रहते 1.46 एकड़ जमीन को रैयती बता पत्नी के नाम पेट्रोल पंप खोलने का आरोप है. ये मामला 5 वर्ष से लंबित हैं. कार्रवाई तो दूर वो 9 फरवरी 2018 (21 फरवरी से 6 सितंबर 20 छोड़कर) से अब तक भवन निर्माण व 24 अप्रैल 20 से पथ निर्माण के सचिव हैं. भवन निर्माण विभाग के झारखंड स्टेट बिल्डिंग कारपोरेशन लिमिटेड के ये एमडी भी हैं. हाल ही में परिवहन सचिव को झारखंड हाईकोर्ट से फटकार लगी थी.
स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव सह विकास आयुक्त अरुण कुमार सिंह पर पश्चिमी सिंहभूम के घाटकुरी में लौह अयस्क खदान के आवंटन में गड़बड़ी का आरोप है. इसमें ऊषा मार्टिन नामक कंपनी को विजय-1 माइंस 2005 में आवंटित किया गया था. उस समय अरुण कुमार सिंह खान सचिव थे. सीबीआई की प्राथमिक जांच में अरुण सिंह दोषी पाए गए, जिस पर मुकदमा दर्ज करने के लिए सीबीआई ने केंद्रीय कार्मिक औऱ राजभाषा सुधार विभाग से अनुमति मांगी. चूंकि मामला राज्य सरकार से जुड़ा था इसलिए डीओपीटी ने लगभग दो माह पहले राज्य सरकार से मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी है.
समाज कल्याण निदेशक औऱ रांची के पूर्व उपायुक्त छवि रंजन पर कोडरमा डीसी रहते सरकारी आवासीय परिसर से सागवान और शीशम के पेड़ कटवाने का मामला निगरानी में लंबित है. एसीबी में मामला जाने के बाद भी वह रांची के डीसी पद पर जमे रहे. लगभग तीन साल से राज्य सरकार ने एसीबी को एफआईआर दर्ज कर जांच करने की अनुमति नहीं दी है. इसमें कोडरमा के अन्य पदाधिकारी रहे आइएएस अधिकारी किरण पासी, मनीष रंजन, गोपालजी तिवारी समेत कई अन्य अधिकारियों पर भी आरोप लगे हैं.
रांची का सबसे बड़ा जमीन घोटाला संजीवनी बिल्डकोन घोटाले के आरोपी रहे सभी सरकारी पदाधिकारी बाहर हैं. इस घोटाले में संजीवनी बिल्डकोन के प्रमोटर अंदर हैं. पर सीओ रहे तीन पदाधिकारी और सबसे बड़ी भूमिका निभानेवाले शशि भूषण सिंह जो घोटाले के समय रातू अंचल के हल्का कर्मचारी थे. अब कर्मचारी से सीओ बन गये हैं. क्योंकि एसीबी के डीएसपी आरएन सिंह की मेहरबानी इन पर सबसे अधिक है. इसके अलावा राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सभी संयुक्त सचिवों को इन्होंने फांस रखा है. अपनी पत्नी गीता देवी के नाम पर इन्होंने रांची में 30 से अधिक प्रोपर्टी अर्जित की है. पर लोकायुक्त से इन्हें आय से अधिक संपत्ति मामले में क्लीन चिट दी गयी है. इन पर सीबीआइ और एसीबी की तरफ से संजीवनी बिल्डकोन घोटाले में तीन एफआइआर किये गये हैं, जो लंबित हैं. इसके अलावा राजधानी के डोरंडा थाने में चार प्राथमिकी दर्ज है, जिसे इस घोटालेबाज ने दबवा कर रखा है.
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