L19 DESK : हेमंत सोरेन या शिबू सोरेन, ये चर्चा तब होनी शुरु हो गयी थी जब हेमंत सोरेन पहली बार जमानत पर 8 घंटे के लिये जेल से बाहर आये थे, लंबी घनी सफेल-काली दाढ़ी और बाल के साथ हेमंत सोरेन बिल्कुल अपने पिता शिबू सोरेन की तरह नज़र आ रहे थे, उनके चेहरे पर भी गुरुजी के जैसी ही संजीदगी और ठहराव नज़र आने लगे थे, वह वाकई शिबू सोरेन ही लग रहे थे। तब से लेकर अब तक हेमंत सोरेन ने इस लुक में बदलाव नहीं किया। ऐसे में अब ये माना जा रहा है कि चुनावी राजनीति में पिता की विरासत संभालने के बाद हेमंत सोरेन अब पार्टी में भी गुरुजी शिबू सोरेन की लिगसी को आगे बढ़ाने जा रहे हैं। पहले हेमंत सोरेन ने पिता के कहने पर राजनीति में शिरकत की, मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया, अब उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा में भी गुरुजी शिबू सोरेन की जगह लेने जा रहे हैं। ऐसा हम इसलिये कह रहे हैं, क्योंकि हेमंत सोरेन को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी मिलने जा रही है। जिस तरह बिहार में तेजस्वी यादव को राष्ट्रीय जनता दल यानि राजद में पिता लालू यादव की ही तर्ज पर पार्टी का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी मिली है, इसी तरह झारखंड में भी हेमंत सोरेन को झामुमो में पिता शिबू सोरेन के ही तर्ज पर नेतृत्व करने की जिम्मेदारी मिल सकती है। अब हेमंत सोरेन को पार्टी में कौन सी जिम्मेदारी मिलने जा रही है.
दरअसल, जैसा कि बीते दिनों लोकतंत्र 19 ने आप दर्शकों को बताया था कि गांडेय विधायक और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन को झारखंड मुक्ति मोर्चा में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है, उन्हें हेमंत सोरेन की जगह पर पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जा सकता है, हालांकि, इस खबर पर अब तक मुहर नहीं लगी है, लेकिन ये होना लगभग तय है, और वह भी झामुमो के महाधिवेषण के समय। अब जब कल्पना सोरेन पार्टी में हेमंत सोरेन को मिली कमान ले लेंगी, तो ऐसे में सवाल ये भी है कि आखिर हेमंत सोरेन को कौन सी जिम्मेदारी मिलेगी ? दरअसल, विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, हेमंत सोरेन को जेएमएम का केंद्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है। अध्यक्ष की कमान फिलहाल गुरुजी शिबू सोरेन के पास है, लेकिन हाल के समय से गुरुजी राजनीति में कुछ Inactive हो गये हैं, वजह उनका स्वास्थ्य है। दरअसल, 81 वर्षीय गुरुजी शिबू सोरेन का स्वास्थ्य अब कुछ ठीक नहीं रहता, इसलिये पार्टी के जरूरी फैसलों में भी वह अपनी भूमिका अदा नहीं कर पाते, न तो वह पार्टी का नेतृत्व कर पाते हैं, न ही अपनी सलाह दे पाते हैं। बतौर कार्यकारी अध्यक्ष, जेएमएम में सारी गतिविधियों की जानकारी हेमंत सोरेन को दी जाती है, और अंतिम फैसला भी उनके ही हाथों में होता है। जेल में रहने के दौरान भी पार्टी का नेतृत्व उनके ही हाथों में था। ऐसे में इस बात की प्रबल संभावना है कि आने वाले समय में हेमंत सोरेन को जेएमएम का केंद्रीय अध्यक्ष बना दिया जाये, जहां वह सारे जरूरी फैसले अध्यक्ष होने के नाते ले सकेंगे, जैसा कि बिहार में राजद पार्टी में हुआ। पिता की विरासत संभाल रहे तेजस्वी यादव को अपनी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव के बराबर का पद मिल गया है। उनके पास अब पार्टी में वो सभी अधिकार होंगे, जो अब तक केवल लालू यादव के पास थे। पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी मिलते ही तेजस्वी यादव ने पार्टी नेताओं पर नकेल कसना भी शुरु कर दिया। कुछ ऐसा ही अब जेएमएम में भी होने की संभावना है। यानि हेमंत सोरेन झारखंड की चुनावी राजनीति के बाद अब पार्टी में भी पिता शिबू सोरेन की विरासत संभालेंगे।
वैसे इसका दूसरा कारण भी है। दरअसल, झारखंड के विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार दमदार जीत हासिल करने के बाद झामुमो पार्टी फिलहाल आसमान की सैर कर रही है। हेमंत सोरेन अब अपनी पार्टी का देशभर में विस्तार करने की रणनीति बना रहे हैं, खास कर वैसे क्षेत्रों में, जहां पर आदिवासियों की एक बड़ी तादाद है। वहीं, उनकी गिरफ्तारी के बाद वो देश ही नहीं, दुनियाभर में चर्चा का विषय बने। खास कर तब, जब जमानत मिलने के दौरान कोर्ट ने उनके पक्ष में सुनवाई की, और उन्हें गिरफ्तार करने वाली एजेंसी ईडी के सारे अनूमानों को सिरे से खारिज कर दिया। हेमंत सोरेन इसके बाद पूरे देशभर में छा गये, इस गिरफ्तारी ने उन्हें वर्तमान में देशभर के सबसे बड़े और लोकप्रिय आदिवासी नेता के रूप में पहचान दे दी है। ऐसे में अध्यक्ष जैसे जेएमएम के बड़े पद पर आसीन होने के बाद हेमंत सोरेन की पार्टी में ताकत और पकड़ दोनों बढ़ जायेगी।