L19/W.Singhbhum : पश्चिमी सिंहभूम के चाईबासा स्थित कोल्हान विश्वविद्यालय का ग्रेड स्थापना के 14 साल होने के बावजूद भी नहीं सुधर पाया है। साल 2009 में हुई विवि की स्थापना का उद्देश्य आदिवासी बच्चों को उनके घर में गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा मुहैया कराना था। साथ ही, जमशेदपुर से भी नजदीक होने के कारण मनोहरपुर कुमारडुंगी से नेटवर्क के लिये कई किमी दूर जाने वाले बच्चों के लिये भी यह विवि की शुरुआत हुई थी। मगर आज भी विवि को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यापण परिषद यानी नैक द्वारा इसे सी ग्रेड प्राप्त है।
इस विवि में कुल 80 हजार विद्यार्थी हैं, मगर विद्यार्थियों के अनुपात में शिक्षकों की भारी कमी है। 14 साल बीत जाने के बावजूद भी यह आवश्यकता के अनुसार संसाधनों का जुगाड़ कर पाने में सक्षम नहीं हो पाया है। दुर्भाग्य तो यहां एक भी प्रोफेसर का नहीं होना है। कॉलेजों और विश्वविद्यालय को मिलाकर मात्र 250 के करीब ही शिक्षक तैनात हैं। इनमें से भी अधिकतर अगले साल यानी 2023 तक रिटायर हो जाएंगे। कुल मिलकर विश्वविद्यालय में शिक्षकों के आधे से ज्यादा पद रिक्त हैं।
इसका मुख्य कारण झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की ओर से साल 2008 के बाद विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति न होना है।वहीं अगर हम पीजी विभाग की बात करें तो विवि में पीजी विभाग की स्थिति कुछ हद तक ठीक है, मगर लेकिन कॉलेजों का हाल में कोई सुधार नहीं है। ज्यादातर कॉलेजों में तो कई विषयों की पढ़ाई शिक्षकों की कमी के कारण ही अटकी हुई है।
कोल्हान विश्वविद्यालय में शोध का भी बुरा हाल है। 13 साल में विश्वविद्यालय सिर्फ दो बार पीएचडी की एंट्रेंस इग्जाम आयोजित करा सका है। दूसरी बार यह प्रवेश परीक्षा पिछले साल 8 महीने की तैयारी के बाद दिसंबर में आय़ोजित हुई थी। लेकिन परिणाम अब तक नहीं आया है। शिक्षकों के अभाव के कारण शोध कार्य करने वाले विद्यार्थियों को अपने गाइड के लिए लंबी मशक्कत करनी पड़ती है, क्योंकि हर शिक्षक के पास ज्यादा दबाव है।
यही नहीं, कोल्हान विश्वविद्यालय में अधिकारियों के विभिन्न पदों के लिए काफी समय से विज्ञापन निकाले जाने के बाद भी नए अधिकारी नहीं मिल रहे हैं। बताया जाता है कि शोध और शिक्षण कार्य में गहरी अभिरुचि वाले शिक्षक आना नहीं चाहते हैं। इसी कारण विश्वविद्यालय प्रबंधन के पास सालों से कार्यरत पुराने अधिकारियों को सेवा विस्तार देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।