L19 DESK : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मानसून को देखते हुए राज्य में किसानों और खेती के लिए कार्य योजना बनाने का निर्देश कृषि अधिकारियों को दिया। उन्होंने कहा कि फिलहाल मौसम का जो रुख है, उससे किसानों के सामने कई चुनौतियां हैं। ऐसे में नई फसलों या फसल प्रणालियों से कृषि उत्पादन को जोड़ने का एक्शन प्लान बनाएं। किसानों को वैकल्पिक खेती के लिए प्रेरित करें और तकनीकों की भी जानकारी दें। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को मिलेट्स, दाल और तेलहन की खेती के लिए प्रेरित करें।
कृषि विभाग की समीक्षा के दौरान सीएम ने कहा कि कृषि और पशुपालन के रास्ते ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। जब तक किसान और पशुपालक सशक्त नहीं होंगे, विकास की गति नहीं बढ़ेगी। कृषि एवं पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चल रही हैं। उन्हें इन योजनाओं का पूरा लाभ मिले, इसके लिए ठोस कार्य होगा। किसान पाठशाला को स्कूल की तरह स्थापित करें। यह सेंटर ऑफ एग्रीकल्चर मूवमेंट हो सकता है। यहां किसानों के लिए प्रशिक्षण और कार्यशाला का नियमित आयोजन हो। किसानों को यहां उन्नत और बहु वैकल्पिक कृषि की जानकारी दी जाए। पड़ोस के गांव, प्रखंडों और जिलों का भी भ्रमण कराया जाए, ताकि वहां की खेती से भी अवगत हो सकें।
अधिकारीयों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को केसीसी से आच्छादित कर उन्हें लोन उपलब्ध कराने की पहल करें। ऐसा देखा जा रहा है कि केसीसी लोन स्वीकृत करने में बैंक दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। ऐसे में सहकारी बैंकों और ग्रामीण बैंकों से लांच कराने की दिशा में कार्य करें। आज कृषि योग्य भूमि कम हो रही है और किसान भी खेतिहर मजदूर के रुप में तब्दील होते जा रहे हैं। यह कृषि के लिए किसी भी रूप में अच्छा संकेत नहीं है। ऐसे में जो किसान खेतिहर मजदूर बनने को मजबूर है।
उन्हें बिरसा हरित ग्राम योजना और नीलाम्बर – पीताम्बर जल समृद्धि योजना जैसी योजनाओं से जोड़ें। इससे वे कृषि और उससे संबंधित कार्यों से जुड़े भी रहेंगे और उनकी आय में भी इजाफा होगा। झारखंड में कई ऐसे कृषि और वन उपज हैं, जिसकी अच्छी पैदावार होती है। पर, किसानों को उसका लाभ नहीं मिल पाता। ऐसे में इन्हें बाजार उपलब्ध कराने के साथ निर्यात की संभावनाओं को तलाशें। एग्रो इंडस्ट्रीज को भी बढ़ावा देने की दिशा में कार्य योजना बनाएं।