L19 DESK : झारखंड की राजधानी रांची मे जमीन ब्रोकर, अंचल कार्यालय की सांठगांठ और उपायुक्त स्तर के एक अधिकारी की वरदहस्त का बेहद चौंकानेवाला मामला सामने आया है। प्रवर्तन निदेशालय की टीम की तरफ से गुरुवार की सुबह से रांची के पूर्व उपायुक्त छवि रंजन और उनके सहयोगियों के यहां छापेमारी की जा रही है। इस छापेमारी में अब तक दो बातें सामने आयी हैं। इडी ने बड़गाई अंचल के हल्का कर्मचारी भानू प्रताप के घर से भारी संख्या में संदूकों में रखे जमीन के दस्तावेज, पंजी-2 और कई अन्य कागजात बरामद किये हैं।
रिम्स रेडियोलाजीस्ट विभाग के कर्मी के यहाँ से मिला फर्जी स्टाम्प पेपर
उधर राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में काम करनेवाले एक रेडियोलाजी विभाग के तकनीशियन अफसर अली ऊर्फ अब्सू खान के यहां कोलकाता के फरजी स्टांप पेपर मिले हैं। ये चौंकानेवाले तथ्य हैं। क्योंकि सीओ कार्यालय ही जमीन के दस्तावेजों का प्रारंभिक स्तर पर केयरटेकर होता है, पर अंचल के कागजात हल्का कर्मचारी के घर पर मिलते हैं। इडी अब इसकी जांच भी कर रही है।
हाईकोर्ट ने कहा था जमीन के दस्तावेजों का केयर टेकर होता हैं अंचल कार्यालय
पांच अप्रैल 2023 को झारखंड हाईकोर्ट ने संजीवनी बिल्डकोन जमीन घोटाला मामले में ऐतिहासिक फैसला दिया है। इसके आरोपी भी हल्का कर्मचारी शशिभूषण सिंह ही हैं, जो अब सीओ बन गये हैं। जब ये रातू अंचल में हल्का कर्मचारी थे, तो सीओ की मिलीभगत से इन्होंने सेल इंपलाइज कापरेटिव संगठन की ओर से अधिगृहित की गयी जमीन की गलत जमाबंदी कर दी थी। फरजी दस्तावेजों के आधार पर म्युटेशन करने का आग्रह सीओ से हल्का कर्मचारी ने किया। शशि भूषण सिंह की क्रिमिनल रिट याचिका हाईकोर्ट ने यह कहते हुए रद्द कर दी कि बिहार टेनेंट्स होल्डिंग्स (मेंटेनेंस ऑफ रिकार्डस) एक्ट 1973 के तहत राजस्व कर्मचारियों की भूमिका सेक्शन 13 में स्पष्ट की गयी है।
इसमें कहा गया है कि किसी भी तरह की जमाबंदी में सुधार करने के लिए मुखिया, अंचल निरीक्षक और राजस्व कर्मचारियों की रिपोर्ट ही मान्य होती है। अंचल निरीक्षक राजस्व कर्मचारियों से पार्टिशन, सक्सेशन तथा अन्य मामलों पर रिकार्ड मांगते हैं और उसे अंचल अधिकारी तक भेजा जाता है। इसमें दागी शशि भूषण सिंह ने संजीवनी बिल्डकोन प्राइवेट लिमिटेड के प्रमोटरों से यह बाद छिपायी कि सेल इंप्लाइज को-आपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी के नाम से पहले से जमाबंदी चल रही है। सेल इंपलाइज को-आपरेटिव हाइसिंग सोसाइटी लिमिटेड की जमीन की बंदोबस्ती होने की बात को छुपाते हुए 2006 से 2008 तक शशि भूषण सिंह ने संजीवनी बिल्डकोन को जमीन की नयी जमाबंदी खोलने का रिपोर्ट दिया।
संगठित गिरोह कर रहे खरीद बिक्री
इससे अब यह साफ हो गया कि कैसे एक संगठित गिरोह रांची में ट्राइबल, आदिवासी और नावल्द रैयतों की जमीन की अवैध खरीद-बिक्री कर रहा था। इसके पेपर कोलकाता में तैयार किये जाते थे। फिर उस कागजात के आधार पर रांची के विभिन्न अवर निबंधक कार्यालयों में पैसे के बल पर निबंधन कराया जाता था। इसके बाद अंचल कार्यालय से खरीदी गयी जमीन की नयी जमाबंदी खुलवायी जाती थी। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने झारखंड में 10 हजार करोड़ के लैंड स्कैम होने की बातें कही है। जो लगता है सही है। क्योंकि जिस तरह से इडी को अहम सफलता मिल रही है, उससे आइएएस अफसर छवि रंजन, बड़गाई अंचल के अंचल अधिकारी, हल्का कर्मचारी, जमीन कारोबारियों के गिरोह का पर्दाफाश हो जायेगा।
अब्सू खान उर्फ अफसर खान की तरफ से फरजी डीड बना कर जमीन कब्जा करने का कई मामला विभिन्न थाना में दर्ज है। अफसर खान का भाई बबलू खान कांग्रेस का एक बड़ा नेता बताया जाता है। इस गिरोह का कनेक्शन कोलकाता के लखन सिंह, इम्तियाज अली, सद्दाम हुसैन, हजारीबाग के प्रज्ञा केंद्र के संचालक भरत प्रसाद समेत अन्य से है। इन्हें पूर्व डीसी छवि रंजन का वरदहस्त प्राप्त था। इसलिए डीसी रहते हुए छवि रंजन ने कोनका, बरियातू, बड़गाई, शहर अंचल, मोरहाबादी, हेहल अंचल, नामकुम अंचल, कांके के ओयना गांव के पास करोड़ों की जमीन भी बेची गयी।
डायमंड सिटी में भी है आइएएस छवि रंजन का फ्लैट
ओयना गांव में इस्टर्न डेवलपर्स इस्टेट कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से डायमंड सिटी बनाया जा रहा है। यहां भी जनजातीयों की जमीन औने-पौने दामों में ली गयी है। 50 करोड़ की परियोजना में कई आइएएस अफसरों को उपकृत किया गया है। इसमें छवि रंजन भी शामिल हैं। इनके अलावा एक दर्जन से अधिक आइएएस अफसरों को भी यहां फ्लैट दिये गये हैं। डायमंड सिटी प्रोजेक्ट को राज्य सरकार के प्रदूषण विभाग की तरफ से इनवायरनमेंटल क्लीयरेंस नहीं दी गयी है। यहां पर 1600 वर्ग फूट के 376 फ्लैट, 1272 वर्ग फूट के 72, टू बीएचके के 72 और 1056 वर्ग फूट के 18 अपार्टमेंट बनाये जा रहे हैं