L19/Ranchi : राजधानी रांची में मंगलवार को दो महत्वपूर्ण घटनाएं घटी। इसकी चहुंओर निंदा होनी चाहिए। इस तरह की घटनाओं पर सरकार की तरफ से अंकुश लगाने की कोशिश होनी चाहिए, ताकि न्याय सभी को मिल सके। हम यही बताने की कोशिश कर रहे हैं कि राज्यहित में सरकार को कड़े फैसले लेने ही चाहिए। अब आपको घटना का ब्योरा दे रहे हैं।
पहली घटना में भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को एक पत्र लिखा, जिसमें चान्हो में 42.36 एकड़ जंगल-झाड़ी की ज़मीन की गलत तरीके से बंदोबस्त करने की जांच की मांग की गयी। वहीं, दूसरी घटना में सत्तारूढ़ सरकार में सहयोगी दल रहे कांग्रेस पार्टी की विधायक दीपिका पांडेय सिंह का है, जिसमें उन्होंने एचइसी लिमिटेड टाउनशिप के प्रबंधक के साथ बदसलूकी की। दोनों घटनाएं असामान्य घटनाएं हैं। इसमें शासन-प्रशासन की मिलीभगत और बदसलूकी दिखती है।
चान्हो में खाता 143 के प्लॉट नंबर 1159 के 42 एकड़ भूमि की रातू अंचल के अंचल अधिकारी प्रदीप कुमार के द्वारा बंदोबस्त करने की बातें बाबूलाल मरांडी ने कही है। झारभूमि की साइट में देखने से पता चलता है कि प्रथम दृष्टया आरोप सही है, क्योंकि पंजी-2 में अभी भी गैर मजरुआ खास भूमि अज्ञात के नाम से दिख रही है। इसमें स्पष्ट लिखा हुआ है कि यह जंगल-झाड़ी की ज़मीन है। इस मसले पर एक अंचल अधिकारी मो हशमत सरकार की तरफ से निलंबित किये गये हैं। उनसे लोकतंत्र 19 ने बात की, तब पता चला कि उन्हें जमाबंदी नहीं करने की सज़ा मिली।
पिछले वर्ष 2022 में इनकी ही रिपोर्ट पर ज़मीन पर की गयी चहारदीवारी को कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रहे बंधु तिर्की के द्वारा तोड़े जाने की बातें आयी थीं। इसके बाद अब अंचल अधिकारी बदल गये और कर दिया कारनामा। प्रदीप कुमार बुंडू अंचल से आये हैं। ये वही शख्स हैं, जिन्होंने बुंडू में शाकंभरी बिल्डर्स की तरफ से ली गयी 1400 एकड़ भूमि की बंदोबस्ती को रद्द किया था। शाकंभरी बिल्डर्स रांची के सबसे स्ट्रांग बिल्डर पवन बजाज का है। इसलिए सीओ ने एक सिंपैथी अर्जित कर रातू में कांड कर दिया।
वैसे भी चान्हो में जमीन विवाद के कई मामले सामने आये हैं। चान्हो में ही एक जनजातीय नेचर की भूमि की गलत जमाबंदी करने का मामला सामने आया था और एक ही दिन उसकी रजिस्ट्री भी करायी गयी थी। इसमें हैदर अंसारी नामक बिचौलिये का नाम आया था, जिसने गुमला और दुमका के व्यक्तियों से एक मोटी रकम लेकर रजिस्ट्री की थी। पूरे प्रकरण पर रातू सीओ कहते हैं कि बाबूलाल मरांडी का आरोप गलत है। उन्होंने कुछ नहीं किया, जो भी किया कार्यालय के कर्मियों और बिचौलियों ने किया। पर सवाल यहां यह उठता है कि जमाबंदी कायम करने का पावर अंचल में सिर्फ अंचल अधिकारियों को ही होता है। इसकी रिपोर्ट हल्का कर्मचारी करते हैं।
वहीं दूसरी घटना में एक जन प्रतिनिधि ने एचइसी लिमिटेड के टाउनशिप प्रभारी राजीव कुमार झा से इसलिए बदतमिजी की क्योंकि टाउनशिप प्रबंधन ने वर्षों से लीज़ पर लिये गये क्वार्टर के लीज़ को रद्द कर दिया। विधायक ने तो जो करना था किया ही, उनके बॉडीगार्ड ने मुख्य टाउनशिप मैनेजर को यह धमकी दी कि बाहर निकलो, बताते हैं। एचइसी लिमिटेड की तरफ से क्वार्टर की लीज़ की बकाया राशि, जो 1 लाख 15 हजार थी, उसके भुगतान की बातें कही थीं। सब कुछ विधायक के पिता अरुण पांडेय को नोटिस जारी कर कहा गया था, जिन्होंने सीडी-205 क्वार्टर लीज़ पर लिया था।
सीओटी की मानें तो मामला दोपहर 3 बज कर 15 मिनट का था, जब विधायक एचइसी मुख्यालय पहुंची और हंगामा किया। उन्होंने कहा कि बकाये की राशि में छूट दी जाये। इस पर कहा गया कि नियम सबके लिए बराबर है। फिर क्या था, जन प्रतिनिधि महोदया भड़क गयीं। गुस्सा इतना भड़का कि बॉडीगार्ड भी तन गया और दे डाली धमकी। इस मामले पर विधायक की मां प्रतिभा पांडेय की तरफ से स्थानीय जगन्नाथपुर थाने में मामला दर्ज कराया गया है। वर्षों से अरुण पांडेय और प्रतिभा पांडेय इस क्वार्टर में रह रहे हैं। कोई भी आम नागरिक के लिए नगर निगम क्षेत्र में पानी, होल्डिंग कर का भुगतान करना ज़रूरी है। पर विधायक के परिवार के लिए यह कानून से परे है क्या? क्या झारखंड में इस तरह की परिपाटी विकसित हो रही है कि जनता द्वारा चुने गये प्रतिनिधि अपनी मनमानी करें?
रिपोर्ट : दीपक सिंह