- गर्मी शुरू होते ही राजधानी में धड़ल्ले से होने लगा है बोरिंग
- कितने घरों में हुई बोरिंग के लिए दिया गया एनओसी, इसका आंकड़ा भी नहीं
L19 DESK : राजधानी रांची के शहरी क्षेत्र में अब धड़ल्ले से डीप बोरिंग शुरू हो गयी है। अब बड़ी गाड़ियों में नहीं छोटी गाड़ियों में जरूरत मंद लोग डीप बोरिंग करा रहे हैं। रांची की महापौर आशा लकड़ा ने बुधवार को आयोजित नगर निगम बोर्ड की बैठक में यह दहाड़ मारी है कि डीप बोरिंग करानेवालों पर कार्रवाई होगी। उनकी यह दहाड़ से कुछ होनेवाला नहीं है। 27 अप्रैल को रांची नगर निगम के सभी पार्षदों, महापौर, उप महापौर का कार्यकाल समाप्त हो रहा है।
गर्मी का मौसम शुरू होते ही राजधानी के हर गली-मुहल्लों में तेजी से बोरिंग शुरू हो जाती है। अधिकांश जगहों पर यह बोरिंग देर शाम अथवा रात में होती है, ताकि प्रशासन की नजर नहीं पड़े। लोग आसानी से एक हजार फीट गहराई वाला बोरिंग अपने घरों में पानी की उपलब्धता के लिए करा रहे हैं।
अब तो पुराने अपार्टमेंट जिनका बोर वेल सूख गया है, वे भी धड़ल्ले से बोरिंग करा रहे हैं। रोजाना शहरी क्षेत्र में 10 से 20 बोरिंग हो रही है। इसके लिए लोग किसकी परमिशन ले रहे हैं। यह किसी को नहीं पता है। एक लाख से डेढ़ लाख खर्च करा कर बोरिंग करायी जा रही है। मेयर ने बोर्ड की बैठक के बाद कहा कि डीप बोरिंग करानेवाले लोगों पर कार्रवाई होगी। इसमें बोरिंग की गाड़ी के संचालक और जमीन मालिक दोनों पर नगर निगम की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई की जायेगी।
यहां बताते चलें कि नगर निगम क्षेत्र में बोरिंग कराने के पहले सरकार से अनापत्ति प्रमाण पत्र यानी एनओसी लेना जरूरी है। पर कितने लोगों ने एनओसी लिया है। यह किसी को नहीं मालूम है और न ही कोई रिकार्ड रांची नगर निगम में है। कहने को रांची के 80 मुहल्ले ड्राई जोन में हैं। इसमें हरमू का इलाका सबसे अधिक ड्राई जोनवाला इलाका है। इसके अलावा कांके, सुकुरहुट्टू, डोरंडा का साउथ और नार्थ आफिस पाड़ा, रातू रोड का कई इलाका ड्राइ जोन है।
नगर निगम के अधिकारी 204 नये उच्च प्रवाही नलकूप (एचवाइडीटी) लगवायेंगे। झारखंड बने अब 23 वर्ष होने को हैं। इन 23 वर्षों में रांची का हटिया डैम जिस पर 4 लाख से अधिक की आबादी निर्भर है, वह दो बार ड्राइ हो चुकी है। सरकार ने हटिया डैम के कैचमेंट एरिया से अतिक्रमण हटाने का कई बार प्लान बनाया। डैम के सूखे हुए हिस्से से मिट्टी भी निकाली गयी। पर इससे ज्यादा कुछ नहीं हुआ। पहले भी रांची नगर निगम की तरफ से सभी 49 वार्ड (पुराना वार्ड) में तीन-तीन उच्च प्रवाही नलकूप लगाये गये थे।
इनमें से 70 फीसदी अभी चल रहे हैं। इसका उपयोग होटल वाले, रेहड़ीवाले कर रहे हैं। नलकूप जिन वार्डों में लगाया गया था, उनका बिजली का बिल अब तक नहीं भरा गया है। अब नगर निगम खुद ही बोरिंग करायेगी और आम जनता को बोरिंग कराने से रोकेगी। नगर निगम वाटर टैक्स भी लेती है। मीटर आधारित और फिक्सड।
रांची की 13 लाख से अधिक की आबादी के लिए रूक्का डैम, हटिया डैम और गोंदा डैम से पीने के पानी की आपूर्ति की जाती है। रूक्का डैम से महीने में 10 दिनों तक आपूर्ति बाधित रहती है, जिसका खामियाजा शहर का बड़ा हिस्सा उठाता है। रांची शहर में कहने को 1.80 लाख से अधिक होल्डिंग वाले मकान हैं। तो ढाई लाख बोरिंग अवश्य होगी। पर इसकी सूचना नगर निगम को नहीं है।