L19 DESK : झारखंड में डिप्रेशन (अवसाद) में रहने वालों की संख्या बढ़ गयी है । वर्ल्ड हेल्थ पार्टनर्स ने झारखंड के कई इलाकों में सर्वे कराया है । सर्वेक्षण के अनुसार राजधानी रांची, पूर्वी सिंहभूम, चाईबासा, रामगढ़, सरायकेला, दुमका, सिमडेगा और खूंटी में ड्रिपेशन का शिकार लोग अधिक हुए हैं । डिप्रेशन की वजहों के आंकलन में पता चला कि इसमें बहुत सारे लोगों पर उनके परिवारों पर कोरोना का प्रभाव है । कोरोना संक्रमण के बाद परिवार की परिस्थिति ऐसी बनी की ज्यादातर लोग डिप्रेशन का शिकार हो गये । शहरी क्षेत्र में प्रति 11 व्यक्तियों में से एक अवसाद से ग्रस्त, ग्रामीण इलाकों में 14 में से एक व्यक्ति है डिप्रेशन का शिकार
डेढ़ लाख लोगों तक पहुंची थी सर्वे की टीम
डब्ल्यूएचपी टीम डेढ़ लाख लोगों तक पहुंची उनसे कई तरह के सवाल किए गये जो उनकी मानसिक स्थिति को समझने में मदद करते हैं । सर्वे के जो आंकड़े आये हैं उसमें दस में से एक महिला और 14 में से एक पुरुष डीप्रेशन की समस्याओं से लड़ रहे हैं । गृहणियों में यह समस्या सबसे ज्यादा नजर आयी है। यह सर्वे ग्रामीण और शहरी दोनों इलाके में किए गये थे। शहरी औऱ ग्रामीण इलाकों में रहने वालों की मानसिक स्थिति का आंकलन करें तो 11 व्यक्तियों में एक और ग्रामीण क्षेत्र और शहरी क्षेत्र में 14 में से एक व्यक्ति डिप्रेशन में हैं।
वर्ल्ड पार्टनर्स की कंट्री हेड प्राची शुल्का बताती है कि कोरोना संक्रमण के बाद जीवन पर असर पड़ा है। लोगों ने इस दौरान कई तरह की समस्या का सामना किया है और कई लोग अभी भी कर रहे हैं। इस दौरान किसी ने अपनो को खोया, नौकरी चली गयी, रोजगार बैठ गया, आर्थिक स्थिति खराब हो गयी। इसका सीधा असर दिमाग पर पड़ा है।
वर्ल्ड हेल्थ पार्टनर्स ने राज्य के 8 जिलों में आयोजित कार्यशाला के दौरान यही पाया कि राज्य में कोरोना से प्रभावित परिवार की मानसिक स्थिति अब भी मजबूत नहीं है। एक ही परिवार में कई लोग अलग- अलग वजहों से अवसाद में हैं। कोरोना संक्रमण के कम होने के बाद अब धीरे- धीरे कई लोग इस समस्या से ठीक भी हो रहे हैं।