l19/DESK : झारखंड में आदिवासी स्वशासन परंपरा के अंतर्गत कई तरह के पद सृजित है जो हजारों वर्षों से वंशानुगत चलते आ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इन पदों की अपनी विशेष महत्व है। जब देश में लोकतंत्र स्थापित नहीं था उससे पहले आदिवासी बहुल क्षेत्र में ऐसे पदों के द्वारा ही शासन व्यवस्था स्थापित की जाती थी। चूंकि ये पद सम्मानित पद है इसलिए इसे संरक्षित करने और इन्हें सम्मान देना सरकार की जिम्मेदारी है।
इसी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए झारखंड सरकार ने राज्य के पारंपरिक ग्राम प्रधानों की सम्मान राशि में बढ़ोतरी की है। जी हां आप बिल्कुल सही सुन रहे हैं बीते दिनों मंत्रीपरिषद के फैसले के बाद राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग ने इस संबंध में एक संकल्प पत्र जारी किया है जिसके तहत अब लगभग दोगुना सम्मान राशि मिलेगी।
पहले जहां मानकी, परगनैत 3000 रु प्रतिमा मिलता था उन्हें अब 6000 रु मिलेगा। वहीं मुंडा, ग्राम प्रधान को 2000 रु की जगह पर अब 4000 रु मिलेंगे। इसके साथ ही डाकुवा, पराणिक, जोगमांझी, कूड़ाम, नायके, गोड़ायत, मूल रैयत, ग्रामीण दिउरी पुजारी, पहड़ा राजा, ग्रामसभा का प्रधान, घटवाल जैसे पारंपरिक पद पर असिन प्रमुख व्यक्तियों को 1000 रु.के स्थान पर 2000 रु.प्रतिमाह दिया जाएगा। इन सम्मानित पदों पर राज्य सरकार कुल 44.79 करोड़ वार्षिक खर्च करेगी।