L19 Ranchi : सरना धर्म कोड भारत के प्रकृति पूजक लगभग 15 करोड़ आदिवासियों के अस्तित्व पहचान हिस्सेदारी का लाइफ लाइन है। आदिवासियों को उनकी धार्मिक आजादी से वंचित करने के लिए कांग्रेस-बीजेपी दोषी हैं। 1951 की जनगणना तक यह प्रावधान था। जिसे बाद में कांग्रेस ने हटा दिया और अब भाजपा जबरन आदिवासियों को बनवासी और हिंदू बनाना चाहती है। 2011 की जनगणना में 50 लाख आदिवासियों ने सरना धर्म लिखाया था जबकि जैन की संख्या 44 लाख थी।
अतः आदिवासियों को मौलिक अधिकार से वंचित करना संवैधानिक अपराध जैसा है। सरना धर्म कोड के बगैर आदिवासियों को जबरन हिंदू, मुसलमान, ईसाई आदि बनाना धार्मिक गुलामी को मजबूर करना है। सरना धर्म कोड की मान्यता मानवता और प्रकृति- पर्यावरण की सुरक्षार्थ भी अनिवार्य है। सरना हेतु मान्य प्रधानमंत्री का उल्लीहातू दौरा (15.11.23) और महामहिम राष्ट्रपति का बारीपदा दौरा भी बेकार साबित हुआ।
अतः उपरोक्त तथ्यों के आलोक में आदिवासी सेंगेल अभियान अन्य संगठनों के सहयोग से 30 दिसंबर 2023 को सांकेतिक भारत बंद और रेल रोड चक्का जाम को बाध्य है। भारत बंद में सरना धर्म लिखाने वाले 50 लाख आदिवासी एवं अन्य सभी सरना धर्म संगठनों और समर्थकों को सेंगेल अपने-अपने गांव के पास एकजुट प्रदर्शन करने का आग्रह और आह्वान करता है। झारखंड विधानसभा में 11.11.2020 को धर्म कोड बिल पारित करने वाली सभी पार्टियों के कार्यकर्ताओं को भी सामने आना होगा वरना वे ठगबाज ही प्रमाणित होंगे। सेंगेल किसी पार्टी और उसके वोट बैंक को बचाने के बदले आदिवासी समाज को बचाने के लिए चिंतित है। मगर जो सरना धर्म कोड देगा, आदिवासी उसको वोट देगा।