L19 DESK : इस बार वाराणसी व मिथिला पंचांग के अनुसार, माता का आगमन हाथी पर हो रहा है। इसका फल शुभ है। वहीं, वाराणसी पंचांग के अनुसार, माता का गमन भैसा पर हो रहा है, जो शुभ नहीं है। मिथिला पंचांग के अनुसार, मां का गमन चरणायुद्ध (मुर्गा) पर हो रहा है, जिसका फल शुभ नहीं है। मिथिला पंचांग के अनुसार, प्रात:काल सूर्योदय के बाद से ही कलश स्थापना शुरू हो जायेगी। दिन के 10.30 से 1.30 बजे को छोड़ कर इससे पहले अथवा उसके बाद कलश स्थापना की जा सकती है। ऐसे देवी की पूजा के लिए प्रात:काल का समय सबसे शुभ है।
वही नवरात्र शुरु होते ही कई भक्त घरों में कलश बैठाकर मां की आराधना करेंगे। वहीं, कई भक्त बिना कलश के भी मां की आराधना करेंगे। कोई उपवास रखकर तो कोई सात्विक भोजन कर देवी की आराधना करेंगे।
किस दिन कौन सी देवी की होगी पूजा
15 को शैलपुत्री
16 को ब्रह्मचारिणी
17 को चंद्रघंटा
18 को कुष्मांडा
19 को स्कंदमाता
20 को कात्यायनी
21 कालरात्रि
22 को महागौरी
23 को मां सिद्धिदात्री की पूजा होगी
पहले दिन माँ दुर्गा को क्या अर्पित करें
गाय का घी, सुगंधित तेल, कंघी व सौंदर्य प्रसाधन की सामग्री. मां को अडहूल, गुलाब, अपराजिता (शंखपुष्पी), कमल, हरसिंगार सहित अन्य फूल चढ़ायें।