
L19 DESK : सुदेश के अध्यक्ष चुने जाने की प्रक्रिया के दौरान चुनाव पर्यवेक्षक की भूमिका डोमन सिंह मुंडा ने निभायी। उमाकांत रजक ने सभा के समक्ष सुदेश कुमार महतो का नाम रखा, जिसे सभी सदन ने ध्वनिमत से समर्थन किया। कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने गर्मजोशी से अध्यक्ष का स्वागत किया। मौके पर सुदेश महतो ने कहा कि शासन कमजोर, गैरजवाबदेह, भ्रष्टाचार में संलिप्त हो और बेलगाम प्रशासन के हाथों खेलता हो, आम आदमी, पंच, गांव की चौपाल की सत्ता में भागीदारी नहीं हो, तो वहां सुशासन की बात बेमानी होगी। हेमंत सोरेन की सरकार में झारखंड की यही तस्वीर उभऱी है।
सुशासन और स्वशासन में आम सहमति, जवाबदेही महत्वपूर्ण होता है। हम और हमारी पार्टी ने नवनिर्माण के नौ संकल्पों के साथ स्वशासन से सुशासन का लक्ष्य रखा है। इसमें झारखंडी हक और अधिकार सुनिश्चित किये जायेंगे। राज्य के सपनों को जगाने के लिए आजसू पार्टी आगे बढ़ चुकी है। इस दौरान सांसद सीपी चौधरी, विधायक लंबोदर महतो, सुनीता चौधरी समेत अन्य भी उपस्थित थे। अंतिम दिन राजनीतिक प्रस्ताव भी पास हुआ। इसमें झारखंड विधानसभा की सीटों को बढाकर 162 करने, पिछड़ी जाति को 14 से 27 फीसदी तक आरक्षण की व्यवस्था किए जाने पर राय बनी।
सुदेश महतो ने कहा कि आज का झारखंड वर्तमान समय में राजनीतिक भटकाव आर्थिक,दिशाहीनता, प्रशासनिक कुव्यवस्था , टूटते भरोसे, डूबते उम्मीदें एवं बिखरते सपनों का खंडहर प्रदेश बन गया है। राजनीतिक नेताओं की घटती विश्वसनीयता गिरती प्रतिबद्धता, पलटती प्राथमिकता एवं बढ़ती लालसा ने राज्य के युवाओं को निराश किया है । झारखंड के जनमानस में घनघोर निराशा एवं सुलगते आक्रोश की यह हालत तब है, जब झारखंड में सिंहासन पर झारखंड आंदोलन की कोख से जन्मे पार्टी के राजकुमार बैठे हैं।
मूलवासी, आदिवासी के लिए संघर्ष करते-करते आज के राजनैतिक नेतृत्व इस वर्ग का शोषक बन गया। अधिवेशन में राजनीतिक समूह ने राजनीतिक परिदृश्य में उपजे शून्यता में आजसू की भूमिका एवं जिम्मेदारी पर गहन मंथन किया गया। पार्टी का मुख्य राजनीति उद्देश्य पिछले, दलितों एवं अल्पसंख्यकों को राजनीतिक और सामाजिक तौर पर उनका वाजिब हक दिलाना तथा सत्ता तथा शासन में जनसंख्या के अनुपात में उनके हिस्सेदारी सुनिश्चित करना है। आजसू दलित, आदिवासी, ओबीसी, अल्पसंख्यक के सामाजिक आधार के दम पर झारखंडी अस्मिता एवं पहचान को पुनर्स्थापित करने के लिए संघर्ष करेगा।
अपने संगठनात्मक ढांचों में हर स्तर पर दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक एवं पिछड़े वर्ग का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करते हुए युवाओं एवं महिलाओं को गोल बंद कर समाज के सभी वर्गों के सहयोग से स्वशासन से सुशासन तक के समाज एवं व्यवस्था परिवर्तन का आंदोलन प्रारंभ करेगा। आजसू किसी भी राजनीतिक परिदृश्य एवं समीकरण में झारखंडी अस्मिता एवं पहचान तथा पिछड़ों, अल्पसंख्यकों एवं दलितों के हितो के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगा। सुदेश महतो ने सभा के माध्यम से हेमंत सोरेन से पूछा कि उनका आदिवासी दर्शन क्या है। हेमंत सोरेन ने आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक, पिछड़ों को छला है। आदिवासी समाज के वीरों के सपनों को हाशिये पर छोड़ा है।
सोरेन का आदिवासी दर्शन यही है कि सत्ता के भागीदारों को पांच किलो चावल और धोती, साड़ी देकर उन्हें हाशिये पर रखे़ जबकि सुदेश महतो का आदिवासी दर्शन क्रांतकारी सिदो- कान्हू, वीर बिरसा, बुधू भगत, जयपाल सिंह, टाना भगत हैं। सत्ता की बागडोर संभाल रहे हेमंत सोरेन का एजेंडा भ्रष्ट शासन और जनभावना, जनादेश के साथ खिलवाड़ है। सुदेश ने नवनिर्माण समागम के नौ संकल्पों पर वचनबद्धता जाहिर करते हुए कहा कि आजसू पार्टी यह संकल्प लेती है कि झारखंडी मूलवासियों को उनका हक अधिकार हर हाल में दिलाना सुनिश्चित करेगी। रोजगार मुखी कृषि, उद्योग, खनन, निर्माण, पर्यटन एवं पर्यावरण के संरक्षण और संवधर्न के लिए काम किये जायेंगे। सामाजिक न्याय, राजनीतिक भागीदारी, महिला सशक्तिकरण, एवं जातीय जनगणना के लिए हर मोर्चे पर मुखर रहेंगे।
राजनीतिक प्रस्ताव
आजसू पार्टी के केन्द्रीय महाधिवेशन में करीब दो दर्जन विषयों पर राजनीतिक प्रस्ताव लाए गए। यह इस तरह से हैं-
1. आजसू पार्टी चाहती है कि झारखंड में समता मूलक शोषण विहिन समाज की स्थापना हो।
2. इस लक्ष्य का आधार है झारखंडी जनसमुदाय का सांस्कृतिक पहचान एवं आत्मनिर्णय का अधिकार (स्वशासन)।
3. आजसू पार्टी झारखंड में भ्रष्टाचार मुक्त पारदर्शी प्रशासनिक व्यवस्था की बहाली चाहती है।
4. वृहत झारखंड राज्य की स्थापना के लिए आजसू पहल तथा आंदोलन करेगी। पश्चिम बंगाल के मिदनापुर, बांकुडा एवं पुरूलिया और उड़ीसा के क्योंझर, मयूरभंज, संबलपुर तथा सुंदरगढ़ को झारखंड राज्य का हिस्सा बनाया जाए।
5. इन क्षेत्रों को झारखंड में शामिल किए जाने तक इनके सांस्कृतिक, भाषा, अस्मिता एवं पहचान को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए इन दोनों क्षेत्रों में स्वायत्त परिषद का गठन किया जाए।
6. झारखंड राज्य में विधानसभा सीटों की संख्या में राज्य गठन के बाद परिवर्तन नहीं किया गया है, जबकि इसके साथ गठित उत्तराखंड एवं छत्तीसगढ़ में सीटों की संख्या में बढ़ोत्तरी की गई है। झारखंड की भोगौलिक स्थिति तथा बढ़ी हुई आबादी के कारण सीटों की संख्या में बढोत्तरी आवश्यक लगती है। अतः झारखंड राज्य की विधानसभा के लिए कुल सीटों की संख्या 162 की जाए।
7. विशेषज्ञों, अनुभवी लोगों का सीधा राजनीतिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए झारखंड में विधान परिषद का गठन किया जाए।
8. झारखंड आंदोलनकारियों के मामले में गृहमंत्री के रूप में सुदेश कुमार महतो के कार्यकाल में पहल की गई थी। इस पहल को आगे बढ़ाने तथा आजसू पार्टी द्वारा लाए गए प्रस्ताव को स्वीकार कर कार्रवाई करने की जरूरत है। अतः पार्टी द्वारा तैयार प्रस्ताव के अनुरूप आंदोलनकारियों के सूचीकरण, मुकदमा वापसी, पुर्नवास, रोजगार, एवं सम्मान प्रदान करने के लिए कार्रवाई की जाए।
9. अल्पसंख्यक समुदाय के समूचित आर्थिक – सामाजिक विकास की दिशा में सही कदम उठाए जाने की जरूरत है।
10. प्रदेश में आर्थिक उन्नति के लिए खनिज पर निर्भरता को कम करते हुए, खेती एवं वन को आर्थिक उन्नति का आधार बनाना चाहिए। इसके लिए सतत विकास की अवधारणा को अपनाना पडे़गा।
11. आर्थिक रूप से गरीब चाहे किसी वर्ग का हो, उसे संरक्षण, सहायता तथा सुविधा उपलब्ध कराने का प्रावधान हो।
12. महिलाओं को राज्य और देश स्तर पर राजनीति में भागीदारी सुनिश्चित करना है। औद्योगिक इकाईयों में महिलाओं के लिए रोजगार में 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था करना।
13. उग्रवाद से संबंधित मामलों में सिर्फ शक के आधार पर निर्दोष युवाओं को पुलिस द्वारा खानापूर्ति के नाम पर दोषी करार दिया जाता है। जिससे वर्तमान व्यवस्था तथा मुख्यधारा के प्रति उनका भरोसा टूटता है। ऐसे मामलों में पर्याप्त साक्ष्य के बिना किसी व्यक्ति पर प्राथमिकी दर्ज करने या गिरफ्तार करने का कार्य नहीं किया जाए। पूर्ण अनुसंधान के बाद ही इन मामलों में अग्रतर कार्रवाई की जाए।
14. आरक्षण नीति में संशोधन करते हुए अनुसूचित जनजाति को 26 प्रतिशत बढ़ाकर 32 प्रतिशत अनुसूचित जाति को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत तथा पिछड़ी जाति को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की जाए।
15. इस नीति में ऐसा प्रावधान किया जाए कि राज्य/जिला स्तरीय नियुक्तियों में शत् प्रतिशत नियुक्ति वैसे लोगों की ही हो जिनका राज्य/जिला के अंदर अपने या अपने पूर्वजों के नाम जमीन, बासगीत, आदि का उल्लेख पिछले सर्वे रिकार्ड ऑफ राईट में दर्ज हो।
16. कर्मचारी चयन आयोग, झारखण्ड लोक सेवा आयोग द्वारा विभिन्न पदों के लिए अपनाई जाने वाली नियुक्ति प्रक्रिया में विशेष रूप से क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं (बोली) के पर्याप्त ज्ञान को महत्व देते हुए लिखित परीक्षा के साथ साथ साक्षात्कार में अंक निर्धारित किया जाए।
17. जिला स्तर पर किए जाने वाले नियुक्ति में केवल उस जिले में प्रचलित क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं में साक्षात्कार का प्रावधान हो।
18. सरकारी/गैर-सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन में वैसे लोगों के लिए प्राथमिकता का प्रावधान हो जिनका राज्य के अंदर अपने या अपने पूर्वजों के नाम जमीन, बासगीत, आदि का उल्लेख पिछले सर्वे रिकार्ड ऑफ राईट में दर्ज हो।
19. हर घर में एक युवक युवतियों को नौकरी दिया जाए, बेरोजगार युवक युवतियों को नौकरी की तलाश के लिए बेरोजगारी भत्ता दिया जाए ।
20. आदिवासी की वैधानिक अर्हता रखने वाली विभिन्न जातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किया जाए।
21. क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषा की पढाई प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च स्तर तक सुनिश्चित किया जाए। राज्य में क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषा परिषद् का गठन किया जाए।
22. सरकार गैर-कृषि लगान (बाजार मूल्य का 1 प्रतिशत) की बढ़ी हुई दर निर्धारित करने की प्रस्ताव ला रही है। आजसू पार्टी इसे वापस लेने का प्रस्ताव करती है।
23. ग्राम सभा, पंचायत और जिला परिषद को सशक्त किया जाए और ग्राम गणराज्य के सोच को धरातल पर लाया जाए।
24. सरना धर्म कोड लागू किया जाय।
