L19/Ranchi : पिछले कुछ दिनों से रांची गौशाला न्यास समिति से संबंधित समाचार मीडिया में प्रमुखता से छप रहे हैं या दिखाये जा रहे हैं। समिति के अध्यक्ष ने इन सबसे व्यथित होकर एक पत्र लिखा है, जो काफी वायरल हो रहा है। समिति के अध्यक्ष सह न्यासी पुनीत पोद्दार ने गौशाला की बाड़ू की जमीन बेचे जाने के मामले को दो परिवारों का व्यक्तिगत विवाद बताया है। उन्होंने कहा है कि यह किसी ने नहीं सोचा की इससे गौशाला की कितनी बदनामी एवं नुक़सान होगा। पर आप लोगों के ग्रुप से बेहतर उम्मीद थी। लोकतंत्र 19 पूरे पत्र को हू-ब-हू अपने दर्शकों, श्रोताओं तक पहुंचा रहा है।
पत्र का मजमून नमस्कार।
मेरा नाम पुनीत कुमार पोद्दार है, रांची गौशाला के अध्यक्ष की ज़िम्मेवारी पिछले करीब 2 ½ साल से मुझे सौंपी गयी और करीब पिछले 1 साल से ट्रस्टी भी हूं। इससे पहले मेरे दादा जी स्वर्गीय श्री सत्यनारायण पोद्दार एवं मेरे पिताजी स्वर्गीय श्री प्रेम कुमार पोद्दार को भी काफ़ी वर्सों तक रांची गौशाला की सेवा करने का मौक़ा मिला। आपके व्हाट्सएप ग्रुप में रांची गौशाला संबंधित कई पोस्ट की जानकारी मुझे मिली। इस ग्रुप के ज्यादातर सदस्य मुझे व्यक्तिगत रूप से जानते हैं और शायद यह भी जानते हैं की मैं गौशाला से जुड़ा हूं। शायद गौ प्रेम की तीव्र भावना से अभिभूत होकर आप लोगों ने मुझसे तथ्यों की जानकारी मांगने का इंतजार नहीं किया और उद्वेलित होकर अपनी भावना प्रकट की। बाकी लोगों ने शायद अपनी मौन स्वीकृति दी क्योंकि किसी ने भी कोई दूसरा पक्ष नहीं रखा।
गौमाता के प्रति इस ग्रुप का इतना समर्पण एवं लगाव देखकर खुशी हुई की आप सभी के रहते गौ सेवा में कभी कोई कमी नहीं रहेगी। जिस प्रसंग पर आप लोगों ने टिप्पणी की उसके बारे में मुझे जो पुराने ट्रस्टी गणों से एवं मौजूद कागजात से जो जानकारी मिली वह संक्षिप्त में बताना चाहूंगा:- 1960 के दशक में रांची गौशाला के पास कुछ फंड्स इकट्ठे हुए उससे हरमू रोड गौशाला में कुछ Flats बनाए गए एवं बाड़ू एवं Hutup में जमीन खरीदी गई। बाड़ू की जमीन मैं काफी विवाद चलता रहा तथा गौशाला ना तो उस पर कब्जा ले पाई ना ही उसे कोई काम में ले पाई। केस मुकदमे भी चलते रहे। अतः उस समय के ट्रस्टी बोर्ड ने 2014 में इस जमीन को बेचने का निर्णय लिया तथा एग्रीमेंट साइन कर कर एडवांस ले लिया।
कुछ जमीन की रजिस्ट्री 2014 में ही हो गई बाकी जमीन की रजिस्ट्री – विवाद, म्यूटेशन, लिटिगेशन इत्यादि के कारण 2021 में हो पाई। यह सामान्य ज्ञान की बात है की जो भी व्यक्ति वर्तमान में संस्था का पदाधिकारी होगा उसे ही वर्तमान में रजिस्ट्री करनी पड़ेगी। खरीदने वाला 2014 में ना तो गौशाला का ट्रस्टी ना ही कार्यकारिणी सदस्य था। वर्तमान कमेटी ने पुराने एग्रीमेंट एवं एडवांस को एडजस्ट करते हुए बकाया रकम लेकर ट्रस्ट बोर्ड के निर्देश पर जमीन रजिस्ट्री करवा दी। दो परिवारों के व्यक्तिगत विवाद के कारण किसी विशेष ग्रुप में इस साधारण से ट्रांजेक्शन को विवादित स्वरूप देकर उछाल दिया गया। यह किसी ने नहीं सोचा की इससे गौशाला की कितनी बदनामी एवं नुक़सान होगा।
पर आप लोगों के ग्रुप से बेहतर उम्मीद थी। रांची गौशाला 118 साल पुरानी संस्था है तथा करीब 1000 गौ माता की जिम्मेदारी उठा रही है। आय का कोई विशेष सोत्र नहीं है और करीब 40 से 50 लाख लाख रुपए सालाना का घाटा है जो समाज के लोगों से चंदा कर कर पूरा किया जाता है। ज्यादातर, समाज के साधारण वर्ग से आने वाले, basic educated गौ सेवक समय-समय पर इसका मैनेजमेंट संभालते हैं तथा बहुत Low Cost, Uneducated स्टाफ से काम चलाना पड़ता है। जरूरत पड़ने पर साधारण वकीलों से ही काम लेना पड़ता है। अगर कोई गलती निकालना चाहे तो शायद ही कोई डॉक्यूमेंट ऐसा मिले जिसमें कोई गलती नहीं मिले।
हमलोग भी अच्छी भावना एवं समझ बुझ से समाज सेवा का काम करने की कोशिश करते हैं पर यह हमारा full time job नहीं है, अतः गलतियों की संभावना रहती है। आपलोगों से गौशाला की खरीदी हुई जमीन को दूसरे Not For Profit NGO को दान में देने की सलाह मिली। जो संस्था खुद लाखों के घाटे में चल रही हो और सामाजिक चंदा पर निर्भर हो वैसे संस्था में अगर ऐसा प्रस्ताव आता तो शायद व्यवहारिकता को देखते हुए ज़्यादा सपोर्ट नहीं मिलता। मैं और भी कई संस्थाओं से जुड़ा हूं, अभी तक मेरे सामने कोई भी ऐसा उदाहरण देखने को नहीं मिला। अगर कोई सामाजिक संस्था बंद हो रही हो और उसके पास भविष्य में कोई लायबिलिटी नहीं हो तो शायद यह सुझाव उनके लिए उपयुक्त होता।
करीब 10-12 साल पहले रामकृष्ण मिशन ने दान में मिली अपनी मोराबादी स्थित एक जमीन को बेचने के लिए निकाला और बहुत अच्छे रेट में एक स्थानीय बिल्डर से सौदा किया। स्वामी जी ने मुझसे कहा की आप हमारे मैनेजिंग कमेटी के मेंबर है अगर आप यह जमीन ले लें तो मुझे इस डील की चिंता नहीं रहेगी।निजी कारणों से मैंने वह जमीन नहीं खरीदी। शायद FJCCI की नई बिल्डिंग जब बनी थी तो उसका निचला तल्ला चेंबर के मेंबर्स को बेचा गया था ताकि फंड इकट्ठा हो सके।ऐसे अनेकों उदाहरण मिल सकते हैं। इस व्हाट्सएप ग्रुप में शहर के काफी प्रबुद्ध, intellectual, well connected, well meaning, experienced, sensitive, active और successful लोग मौजूद हैं। मेरी आप लोगों से विनती है की कृपया गौ सेवा के कार्य में खुलकर सहयोग करें। आपके अंदर की गौसेवा की भावना सिर्फ़ होनी ही नहीं चाहिए बल्कि दिखनी भी चाहिए।
रोजमर्रा की जिम्मेदारियों के अलावा कुछ प्रमुख मुद्दे निम्नलिखित हैं:- १) रांची गौशाला की करीब 100 एकड़ जमीन सुकुरहुट्टू में है। हमारी कमेटी ने बहुत उत्साह से इस पर बाउंड्री लगाने का बीड़ा उठाया। समाज के लोगों की एक मीटिंग की गई तथा काफी लोगों ने आगे बढ़कर अच्छी मात्रा में चंदा भी दिया। हमने ईट बनाने की मशीन भी लगा ली तथा लाखों रुपया का बिल्डिंग मटेरियल साइट पर गिरा दिया। जैसे ही काम शुरू हुआ वहां के लोकल लोग जमा होकर काम बंद करा दिए। पता चला वह लोग किसी राजनीतिक पार्टी से भी संबंधित है। हमने थाना पुलिस कर कर देख लिया पर कोई मदद नहीं मिली।
हताश होकर मैंने अपने चाचा श्री महेश पोद्दार जी से मदद मांगी और उन्होंने फौरन संबंधित व्यक्ति को फोन कर दिया। कुछ दिन बाद मेरे बोलने पर दोबारा फोन कर दिया। गौशाला के वाइस प्रेसिडेंट श्री प्रेम अग्रवाल जी भी काफी सामाजिक है, उन्होंने भी काफी मेहनत कर इस मामले को सुलझाने के लिए उन लोगों से मीटिंग की। हाल में मैंने सांसद श्री संजय सेठ जी को भी मदद के लिए निवेदन किया तथा वह भी कोशिश कर रहे हैं। फिलहाल स्थित यह है की सामाजिक चंदे से खरीदा हुआ लाखों रुपए का बिल्डिंग मटेरियल खुले आसमान के नीचे पड़ा है और हम साल भर में एक ईट भी नहीं लगा सके।अगर इस जमीन पर बाउंड्री लग जाए तो गौशाला को आत्मनिर्भर बनाने की काफी संभावनाएं हैं।
continued….