सात दिनों तक इतना मारा कि सर और चेहरे पर उभर गये कई निशान
मां-बाप दोनों गये हैं दिल्ली, जुबैर दंपत्ति के सहारे छोड़ा था बच्ची को
सुनीता मुंडा
L19 : झारखंड की जनजातीय आबादी की त्रासदी कम नहीं हो रही है. बेहतर रोजगार की तलाश में जहां झारखंड की ट्राइबल बच्चियां और महिलाएं महानगरों का रूख कर रही हैं, वहीं वह अपने बच्चों को अपने पैतृक गांव अथवा जिले में छोड़ कर चली जा रही हैं. ऐसा ही एक सनसनीखेज मामला सिमडेगा में देखने को मिला है.
वहां पर दिल्ली में काम करने गयी एक महिला नीलिमा डुंगडुंग और पिता मुकेश तिर्की की डेढ़ वर्षीय बेटी को सीडब्ल्यूसी सिमडेगा में पाला-पोसा जा रहा है. नीलिमा का पति दिल्ली में है, उसकी खोज-बीन नहीं होने और खबर नहीं मिलने से नीलिमा दिल्ली चली गयी. बच्ची को एक दंपत्ति के भरोसे छोड़ दिया.
दंपत्ति के मुखिया को जुबैर नाम से लोग जानते हैं. बच्ची ठीक से बोल नहीं पाती है. पर उस पर हुए अत्याचार को वह कैसे झेल रही है. यह समझ के परे है. बच्ची को जुबैर दंपत्ति घंटों बाथरूम में कैद कर रखता था. उसे खाने के लिए भी नहीं दिया जाता था. बच्ची बाथरूम में ही थक हार कर सो जाती थी, शौच भी कर देती थी.
बच्ची के साथ मारपीट की कई घटनाएं भी घटी. गांव में चलनेवाली गरिमा केंद्र को इसकी भनक कुछ दिनों बाद लगी. गरिमा केंद्र की महिलाओं ने जुबैर दंपत्ति के घर से बच्ची को किसी तरह छुड़वाया. छुड़वा कर बच्ची और दंपत्ति को थाना लेकर गयीं. दंपत्ति को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
बाद में बच्ची की सदर अस्पताल में इलाज कराने के बाद उसे सीडब्ल्यूसी केंद्र भेजा गया. अब तक बच्ची की मां दिल्ली से नहीं लौटी है, और न ही उसकी कोई सूचना भी है. अभी भी बच्ची के सर पर कई जगह चोट के निशान हैं. बच्ची के सर में चारों तरफ घाव के निशान हैं.
मारपीट की घटना से बच्ची के चेहरे पर कई जगह खून के जमे होने का पता भी चला है. नाक और मुंह में नाखून से नोचे जाने के भी निशान स्पष्ट दिखते हैं. बच्ची के साथ एक सप्ताह तक मारपीट और अमानवीय व्यवहार किया गया. बेचारी किसी से कुछ बोल नहीं पाती थी. अपने शरीर के घाव और मार को सहती रही.
डेढ़ साल की बच्ची तो अक्सर मां की गोद में ही पलती है, पर जिस क्रुरता के साथ उसके साथ मारपीट की गयी है, वह बयां करने लायक नहीं है. जिस प्यार की उसे जरूरत है, वह अब भी उसे नहीं मिल रहा है. सीडब्ल्यूसी के बच्चे ही उसे दुलारते हैं, पुचकारते हैं. उस बच्ची को उसी के सहपाठी बच्चे मां और बाप दोनों का प्यार दे रहे हैं.