L19 Desk : यदि पूजा सिंघल को झारखंड सरकार किसी विभाग की जिम्मेदारी सौंपती है, तो वह अपने पद का फिर से दुरुपयोग कर सकती हैं, और उनके खिलाफ चल रहे केस को प्रभावित भी कर सकती हैं। ऐसा केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी का कहना है, जिसने झारखंड की सबसे प्रभावशाली आईएएस अफसरों में से एक पूजा सिंघल के खिलाफ कार्रवाई करते हुए बड़े पैमाने पर चल रहे भ्रष्टाचार का भांडाफोड़ किया था।
एक तरफ 28 महीनों तक सस्पेंडेड रही पूजा सिंघल इस बात से राहत महसूस कर रही हैं कि राज्य सरकार ने उनका सस्पेंशन वापस ले लिया है, और उन्हें फिर से किसी बड़े पद पर बिठाया जायेगा, वहीं दूसरी तरफ ईडी ने फिर से उनकी परेशानी बढ़ा दी है। ईडी ने पीएमएलए की स्पेशल कोर्ट से आग्रह किया है कि राज्य सरकार में उन्हें कोई विभाग न सौंपा जाये, क्योंकि वह पावर में आने के बाद अपना रौब जमा सकती हैं, और जांच को प्रभावित कर सकती हैं। इन्हीं दलीलों के बदौलत ईडी हर बार पूजा सिंघल को मिलने वाले ज़मानत के रास्ते में कांटा बनी और उन्हें हवालात से बाहर निकलने नहीं दिया। तो क्या एक बार फिर से पूजा सिंघल को बड़ा झटका लगने वाला है, क्या फिर से ईडी पूजा सिंघल को सस्पेंड कराने वाली है, क्या अब ईडी पूजा सिंघल के खिलाफ कोई बड़ा सबूत पेश करने वाली है ?
28 महीने के बाद ज़मानत पर बाहर आयी पूजा सिंघल
7 दिसंबर 2024 को पूजा सिंघल को बड़ी राहत मिली, जब 28 महीनों के बाद कोर्ट से उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। उनके लिये सबसे बड़ी बात ये थी कि ठीक अगले ही महीने 22 जनवरी 2025 को राज्य सरकार के कार्मिक प्रशासनिक सुधार विभाग ने 7 दिसंबर 2024 के प्रभाव से उन्हें निलंबन मुक्त कर दिया। इसके साथ ही खबर आयी कि अब पूजा सिंघल कार्मिक विभाग में योगदान देंगी।
दरअसल, 11 मई 2022- वो दिन, जब पूजा सिंघल के हाथों में हथकड़ी लगी थी, उसी दिन से उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था। जेल से बाहर आते ही उनका सस्पेंशन रद्द करने के बाद सरकार पर कई गंभीर सवाल उठे। लेकिन इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। मगर अब ईडी भी पीछे हटने के मूड में बिल्कुल नहीं है। ईडी ने पूजा सिंघल के निलंबन मुक्ति के विरोध में कोर्ट में याचिका दाखिल कर दिया है। इस याचिका पर पूजा सिंघल ने भी जवाब दाखिल कर दिया है। अब मामले में अगली सुनवाई 14 फरवरी को होगी।
पूजा सिंघल के नाम आज भी दर्ज है ये रिकॉर्ड
कहते हैं झारखंड मुख्यमंत्री या मंत्रियों के बदौलत नहीं, बल्कि नौकरशाहों के उंगलियों पर चलता है। इसका सटीक उदाहरण पूजा सिंघल हैं, वो पूजा सिंघल, जिनके बारे में कहा जाता है कि सरकार किसी की भी हो, उन्हें कॉम्प्रमाइज नहीं करना पड़ता, हर सरकार में बड़े-बड़े अफसर पोस्ट पर ही रही। उन्हें आज सचिव रैंक का दर्जा प्राप्त है। ये वही पूजा सिंघल है जो पढ़ाई में हमेशा अव्वल रही, स्कूल की परीक्षा हो या कॉलेज के semester exams, सभी में टॉपर रही।
आलम यह रहा कि ग्रेजुएशन की पढ़ाई के बाद पहली बार में ही देश के सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक UPSC को पहले attempt में ही क्रैक कर लिया, और महज़ 21 साल की उम्र में IAS अधिकारी बन गईं। अधिकारी बनते ही पूजा सिंघल ने उपलब्धियों की बौछार लगा दी। उनका नाम ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में भी दर्ज हुआ।
अर्श से फ़र्श तक पूजा सिंघल की दास्तान
कभी UPSC की तैयारी करने वालों के लिए पूजा सिंघल मिसाल थीं, लेकिन समय ने ऐसी करवट बदली कि उनका नाम बड़े बड़े विवादों में उलझता चला गया, और वह अधिकारी की कुर्सी से सीधे सलाखों के पीछे पहुंच गईं। ऐसे तो उनका नाम कई घोटालों में सामने आया, मगर वह हमेशा बचती चली गयीं। लेकिन आखिरकार 11 मई, 2022 को वह पकड़ में आ ही गयीं। मनरेगा घोटाला मामले में ईडी ने पहले उनके कई ठिकानों पर छापेमारी की और बाद में उनको गिरफ्तार भी कर लिया गया। उन पर मनरेगा घोटाले की राशि का मनी लॉन्ड्रिंग करने का आरोप है।
उनके सीए सुमन कुमार के ठिकाने से करीब 20 करोड़ रुपए से अधिक नकद बरामद हुए थे। इसके बाद वह लगातार 28 महीनों तक से जेल में बंद रहीं। इस बीच कई दफा उन्होंने ज़मानत के लिये अर्ज़ी डाली, लेकिन हर बार वह खारिज होती चली गयी। जब-जब वह बेल पिटिशन दायर करती, ईडी काल की तरह उनके सामने खड़ा हो जाता, और कोर्ट से ये कहकर उनकी ज़मानत रद्द करा देता कि वह जेल से बाहर आते ही जांच पड़ताल को प्रभावित कर सकती हैं।
पूजा सिंघल को नए कानून बीएनएस की धारा 479 का लाभ मिला और 28 महीनों के बाद रिहा कर दिया गया। लेकिन एक बार फिर से पूजा सिंघल की राह में रोड़ा डालने के लिये ईडी तैयार बैठी है, एक बार फिर से उनके खिलाफ याचिका दायर कर दी गयी है।