झारखंड राज्य शराब व्यापारी संघ मचा रहा है घमसान अब भी कुछ हैं अनसुलझे सवाल
जिसका जवाब जनता को चाहिए
त्वरित टिप्पणी
L19/Desk.झारखंड राज्य शराब व्यापारी संघ ने उत्पाद एवं मद्य निदेष विभाग के सचिव के खिलाफ सीधा मोरचा खोल दिया है । संघ की तरफ से झारखंड सरकार की उत्पाद नीति को 2022 से ही टार्गेट किया जा रहा है । नयी नीति मई 2022 में लागू की गयी थी, उसके बाद से संघ की ओर से प्लेसमेंट एजेंसी के चयन, थोक शराब विक्रेताओं के चयन, 24 जिलों को नौ जोन में बांटने का विरोध किया जाने लगा था. अब संघ और सरकार की लड़ाई जमीन तक पहुंच गयी है । संघ की ओर से उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के सचिव विनय चौबे पर तीखा हमला कर यह कहा जा रहा है कि सारा कुछ उनके संरक्षण में ही हो रहा है । पर नयी उत्पाद नीति लागू होने के बाद की कुछ परिस्थितियों पर गौर करना भी आज जरूरी है ।
नयी उत्पाद नीति वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए लागू की गयी थी । इसमें सरकार ने दावा किया था कि पूर्व की व्यवस्था की तुलना में अधिक राजस्व की प्राप्ति होगी. शराब की अधिकृत रीटेल दुकानों में आमूल-चुल परिवर्तन करने की बातें कही गयी थी । इतना ही नहीं पूर्व के शराब सिंडिकेट के वर्चस्व को समाप्त करना भी नीति का एक मकसद था. नीति में इस वर्चस्व को समाप्त को किया ही गयी । संताल परगना के सबसे बड़े सिंडिकेट जिसकी धमक पाकुड, गोड्डा, साहेबगंज, देवघर, दुमका, जामताड़ा, धनबाद, रांची तथा सरायकेला तक थी और 1580 से अधिक रीटेल दुकानों में से 35 फीसदी तक जिनका कब्जा था ।
उनकी मोनोपोली नयी नीति के तहत समाप्त हो गयी. इसके अलावा इस सिंडिकेट के पास जो डेढ़ दर्जन से अधिक होल सेल का लाइसेंस भी था, वह भी समाप्त हो गया । सूत्रों का कहना है कि पुराने शराब सिंडिकेट में पावर ब्रोकर प्रेम प्रकाश भी शामिल था. वह अभी सींखचों के पीछे है. इडी ने मनी लाउंड्रिंग मामले में प्रेम प्रकाश को गिरफ्तार किया था । नयी नीति की विवेचना करने की बजाय आरोप प्रत्यारोप का मंच बनाया जाना भी एक बड़ा सवाल रहा है । एक तो नीति डेढ़ महीने बाद लागू की गयी. इसके बाद शराब की दुकानों को ऑक्शन की बजाय प्लेसमेंट एजेंसी को संचालित करने का जिम्मा दिया गया ।
पूरे झारखंड को नौ जोन में बांटा गया, जहां पर एक-एक गोदाम बनाया जाना था। पर पांच जोन में ही गोदाम बनाया जा सका । दिशिता वेंचर्स और ओम साईं डिस्ट्रीब्यूटर को थोक विक्रेता एपाइंट किया गया । तीसरे होलसेलर के रूप में झारखंड स्टेट बीभरेज कारपोरेशन लिमिटेड को चुना गया । अभी जेएसबीसीएल ही एकमात्र होलसेलर की भूमिका में है । पर डिपो की बिलिंग और सप्लायरों को पेमेंट सही तरीके से नहीं हो रहा है। सरकार की तरफ से 2310 करोड़ का रेवेन्यू कलेक्शन का टार्गेट रखा गया था । अब तक रेवेन्यू 18 सौ करोड़ से अधिक तक वसूली जा चुकी है । हां टार्गेट पूरा नहीं हो पायेगा, पर यह आकलन किया जा रहा है कि रेवेन्यू कलेक्शन 21 सौ करोड़ के आसपास रहेगा ।
2017 में लागू मूल्य वर्धित कर (वैट) अब भी वाईन की बॉटलों पर यथावत है. झारखंड में अब भी बंगाल, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, ओड़िशा, चंडिगढ़, दिल्ली, अरुणाचलप्रदेश का शराब अवैध तरीके से झारखंड में लाया जा रहा है ।. इससे रेवेन्यू का लॉस तो है ही, पर लोगों को मिलावटी शराब भी मिल रहा है. झारखंड में शराब के रीटेल दुकानों में वाइन का इंडेंट अब भी उत्पाद विभाग की तरफ से नहीं लगाया जा रहा है । ऐसे में प्लेसमेंट एजेंसियों को भी इसकी जिम्मेवारी दे दी जानी चाहिए थी। अभी तक रीटेल शॉप में सीसीटीवी नहीं लगाया गया और न ही इंटरनेट की सुविधा दी गयी ।
तमिलनाडू में वैट 1.5 फीसदी है । सरकार को इन सभी चीजों पर ध्यान देना चाहिए । सरकार नवंबर 2022 से ही प्लेसमेंट एजेंसियों के चयन को लेकर अब तक दो बार निविदा निकाल चुकी है । पर अब तक कोई टर्न अप नहीं हो पा रहा है । सरकार के पास अब नयी उत्पाद नीति लागू होने के कार्यकाल में 20 दिन का समय बचा हुआ है । अब सरकार इस नीति को लेकर कोई बड़ा रिस्क नहीं ले सकती है । इतना ही नहीं यदि शराब व्यवसायी संघ की तरफ से यह कहना कि प्लेसमेंट एजेंसियों को किस बिला पर काम करने दिया जा रहा है ।
प्लेसमेंट एजेंसी को हटाने का फैसला तो सरकार को ही करना है. सरकार चाहती है कि तय लक्ष्य को हर हाल में हासिल किया जाये । वैसे भी झारखंड में सिर्फ होली के पहले यानी नौ मार्च तक 190 करोड़ रुपये की शराब की बिक्री की गयी. इसमें तो प्लेसमेंट एजेंसी को ही बधाई दी जानी चाहिए। वैसे भी एक लंबे अरसे से प्रति दिन नौ करोड़ से 11 करोड़ तक का शराब बेचा गया. यह लय अब भी जारी है । ऐसे में आरोप-प्रत्यारोप को छोड़ शराब के रेवेन्यू कलेक्शन पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए