एफआईआर के लिए समयीमा तय
बिल में पुलिस के लिए खास दिशा-निर्देश हैं। इसके मुताबिक, घटना के बाद तीन दिन के अंदर एफआईआर दर्ज करनी होगी और 14 दिन के अंदर प्रारंभिक जांच हो जानी चाहिए। इसके बाद 24 दिन के अंदर-अंदर मजिस्ट्रेट के पास रिपोर्ट पहुंच जाए और आरोप पत्र दाखिल करने में 180 दिनों से ज्यादा की देरी नहीं होनी चाहिए। अगर जांच लंबित है तो कोर्ट से विशेष अनुमित लेनी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे गंभीर अपराध, जिनमें 3 से सात साल या उससे ज्यादा सजा का प्रावधान है। ऐसे अपराधों के लिए भी यही सख्त टाइमलाइन फॉलो की जानी चाहिए। एफआईआर दर्ज कर पुलिस 14 दिनों के अंदर प्रारंभिक जांच पूरी कर ले।
तय समयसीमा में दाखिल होगी चार्जशीट
अमित शाह ने यह भी बताया कि नए कानून में चार्जशीट दाखिल किए जाने के लिए भी सख्त निर्देश हैं कि पुलिस को निर्धारित समय के अंतर्गत इस प्रक्रिया को पूरा करना होगा। अगर दोबारा जांच की जरूरत होती है तो कोर्ट से अनुमति लेनी होगी। उन्होंने कहा कि पुराने नियम में 60-90 दिन के अंदर चार्जशीट दाखिल करनी होती थी, लेकिन री-इंवेस्टिगेशन के कारण इसमें देरी हो जाती थी।
मॉब लिंचिंग पर फांसी की सजा का प्रावधान
अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि सरकार राजद्रोह को देशद्रोह में बदलने जा रही है। वहीं, मॉब लिंचिंग पर मौत की सजा के प्रावधान की भी बात कही। उन्होंने कहा कि मॉब लिंचिंग घृणित अपराध है और नए कानून में इस अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान किया जा रहा है।
महिलाओं के लिए ई-एफआईआर
बिल में महिलाओ के लिए ई-एफआईआर की सुविधा का प्रस्ताव दिया गया है। जो महिलाएं शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन नहीं जाना चाहती हैं उनके लिए ई-एफआईआर की सुविधा उपलब्ध होगी और 24 घंटे के अंदर पुलिस खुद उनके पास पहुंच जाएगी। इसके अलावा, ऐसे अपराध जिनके लिए 7 साल या उससे ज्यादा की सजा का प्रावधान है, उनमें दोषसिद्धी के लिए फोरेंसिक जांच जरूरी होगी। गवाहों की सुरक्षा को भी नए बिल में शामिल किया गया है।