L19/Ranchi : सोमवार को झारखंड विधानसभा का दुसरा मानसून सत्र जारी है। सदन के बाहर और भीतर नियोजन नीति का मुद्दा जमकर गूंजा। सत्र की शुरु होने से पहले बीजेपी विधायकों ने तख्तियां लेकर नियोजन नीति के मसले पर नारेबाजी की वहीं सदन के भीतर भी दोनों पक्षों के विधायक वेल में आ गए। इस वजह से सदन की कार्यवाही को स्थगित करनी पड़ी। बीजेपी विधायकों ने मांग की है कि झारखंडी युवाओं के लिए स्थानीयता आधारित नियोजन नीति बननी चाहिए। साथ ही नियोजन नीति स्पष्ट करने की भी मांग की। वहीं, सत्तापक्ष के विधायकों ने कहा कि सोच-समझ कर झारखंडी युवाओं के हित में ही नियोजन नीति तैयार की गई है। बीजेपी इस विषय पर युवाओं को बरगलाने का काम कर रही है।
इधर बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने शुरू से ही युवाओं अधिकारो के साथ खेलवाड करने का काम किया है। उन्हें केवल वोट चाहिए। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हेमंत सरकार हर बार ऐसी नीति लेकर आती है जो तो कोर्ट से खारिज हो जाता है या उसे लेकर युवाओं को सड़क पर आंदोलन करना पड़ता है। दरअसल, फरवरी 2020 में हेमंत सोरेन सरकार नियोजन नीति लाई थी जिसमें थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरियों में 10वीं और 12वीं पास झारखंड से ही करने की अनिवार्यता की गई थी।
अभ्यर्थियों के लिए स्थानीय भाषा और संस्कृति की जानकारी होना अनिवार्य किया गया। हालांकि, हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी इस मसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि झारखंड में बेरोजगारी दर देश के मुकाबले दोगुनी से भी अधिक है लेकिन मुख्यमंत्री को केवल अपने लोगों के रोजगार की चिंता है। उन्हे राज्य के युवाओं का चिंता नहीं है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी और युवाओं के आंदोलन में सरकार दबाव बनाती भी है तो कुनीति बनाकर युवाओं का केस में फंसा देती है। हाईकोर्ट से पुरानी नियोजन नीति रद्द होने के बाद हेमंत सोरेन सरकार नई नियोजन नीति लाई जिसमें तृतीय एवं चतुर्थवर्गीय नौकरियों में झारखंड से ही 10वीं-12वीं पास करने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई। स्थानीय भाषा, संस्कृति और परिवेश की जानकार होने की अनिवार्यता भी खत्म की गई।
सरकार ने नियोजन नीति में 60:40 का प्रावधान किया। इसके तहत 60 फीसदी नौकरियां झारखंडी युवाओं के लिए संरक्षित की गई वहीं 40 फीसदी को ओपन फॉर ऑल रखा गया। जो झारखण्डी युवा इस नीति को स्वीकार नहीं किया। भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने मुख्यमंत्री के पहले के बयानों का जिक्र करते हुए नियोजन नीति पर निशाना साधा। रघुवर दास ने कहा कि मुख्यमंत्री कभी कहते हैं कि 2021 नियुक्ति वर्ष होगा, तो कभी युवाओं को मुर्गी और अंडा बेचने की सलाह देते हैं। कभी कहते हैं कि नौकरी करना इतना आसान है क्या। सदन में कहा कि खतियान के आधार पर नियोजन नीति नहीं बन सकती। रघुवर दास ने कहा कि झूठ बोलना और बरगलाना मुख्यमंत्री की विशेषता है।
नई नियोजन नीति के आधार पर झारखंड सरकार ने कई नियुक्तियां निकाली है। सचिवालय सेवा के 2 हजार से ज्यादा पदों पर वेकैंसी निकाली गई है वहीं शिक्षकों के 26 हजार पदों पर वेकैंसी निकली है। झारखण्डी छात्रों का मांग है सरकार ऐसे नीति बनाये जिसमे ज्यादा से ज्यादा सीटें झारखंडी युवाओं के लिए आरक्षित होनी चाहिए।