L19/HAZARIBAGH: समय पर बिजली रहती है ना पानी ऊपर से शौचालय की व्यवस्था भी भगवन भरोसे। इसके की स्थिति बहुत ही दयनीय है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि आंगनबाड़ी में ना तो अलावे हजारीबाग स्थित सदर प्रखंड की पौता पंचायत के चंदवार आंगनबाड़ी केंद्र की भोजन पकाने के लिए रसोई गैस भी उपलब्ध नहीं है। हालत यह है कि जब छोटे छोटे बच्चे जब तक लकड़ियां चुन कर नही लाते, तब तक खिचड़ी नही पकती है। इन सबके विपरीत एक अन्य समस्या यह है कि आंगनबाड़ी केंद्र चंदवार के बच्चों को अब तक ड्रेस भी नहीं दिया गया है। आंगनबाड़ी केंद्र के मुख्यद्वार पर ही शौचालय की टंकी के लिए एक बड़ा गड्ढा खोदकर छोड़ दिया गया है, जहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
आंगनबाड़ी केंद्र की दयनीय स्थिति को बयां करती गांव की महिलाएं:
रोज एक बच्ची नंदिनी की मां ने बताया कि आंगनबाड़ी में बच्चों से लकड़ियां चुनवा कर मंगवाई जाती है। फिर उन्हीं लकड़ियों से खिचड़ी पकायी जाती है। गीता देवी नाम की एक अन्य महिलाने बताया कि यहां इस आंगनबाड़ी केंद्र में ना तो पेयजल की सुविधा है और ना ही शौचालय है। शौचालय की टंकी के लिए बड़ा गड्ढा मेन गेट के पास करवा दिया गया है। उसमें न तो ढक्कन है और न ही चहारदीवारी है। यह हजारीबाग-चुरचू मुख्य पथ के किनारे स्थित है, ऐसे में प्रतिदिन सैकड़ों वाहनों की आव़ाजवाही लगी रहती है।इन वाहनों की चपेट में आने का बच्चों पर खतरामंडराता रहता है।
आंगनबाड़ी सेविका और उनके पति की पहुँच ऊपर तक,जिसके कारण ग्रामीण रहते हैं खामोश:
ग्रामीणों ने बताया कि इस आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका और उसके पति की पहुच ऊपर तक हैं,इस दयनीय व्यवस्था से संबंधित कुछ पूछने या समस्या बताने पर वे लोग डांट-फटकार लगाते हैं,ज्यादा कहने पर गाली-ग्लौज के साथ मारपीट तक की नौबत आती है,ऐसे में ग्रामीण खामोश रहना ही उचित समझते हैं। यही कारण है कि पदाधिकारियों के पास भी इस मामले की शिकायत ले जाने से डरते हैं।
वैसे इस गांव में कई लोग दलित परिवार से आते हैं और उनमें जागरुकता का भी हैन्थोदा बहुत अभाव है,साथ ही यह भी नहीं जानते कि समस्याएं किसे बताएं,और कैसे इसका निपटारा किया जाये? इसके साथ ही ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि आंगनबाड़ी केंद्र में 23 बच्चे नामांकित दिखाए गए हैं, लेकिन उपस्थिति ना के बराबर रहती है। ग्रामीण कहते हैं कि यहां अधिकांश बच्चे फर्जी तरीके से नामांकित हैं।
नागेश्वरी देवी नामक एक महिला कहती हैं कि गर्भवती महिलाओं को सरकार की ओर मिलनेवाला कोई लाभ इस केंद्र की ओर से नहीं दिया जाता है साथ ही खिचड़ी बनानेवाला बर्तन भी काफी गंदा और पुराना रहता है।
आंगनबाड़ी सेविका ने सभी आरोपों को बताया बेबुनियाद
आंगनबाड़ी सेविका कविता देवी से इस मामले पर पूछे जाने पर उन्होंने इस पर पहले टालमटोल किया, फिर बताया कि मंगलवार को वह एक फेयरवेल में गई थीं, वह सहायिका को प्रभार देकर गई थीं। सेविका ने बताया कि यहां बच्चों को बढ़िया खाना दिया जाता है, उन पर लगाया गया आरोप बेबुनियाद और साजिस है।
साथ ही लकड़ी से खाना बनाने क सवाल पर उन्होंने बताया कि 15 दिन से रसोई गैस खत्म हो गया है, इसलिए घर पर सिलेंडर रखे हैं। उन्होंने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र में फ़िलहाल 23 बच्चे नामांकित हैं। उन्हे हर दिन घर जाकर बुलाया जाता है। पानी, शौचालय आदि का अभाव को स्वीकारती है साथ ही कहती है कि जनवरी में बच्चों को स्वेटर दिया गया था, ड्रेस अभी तक मिला नहीं है और ना ही बच्चों को बैठाने के लिए फर्नीचर दिया गया है।