L19 DESK : समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज मंगलवार को सुनवाई की तारीख तय की गयी थी। 5 जजों की संवैधानिक बेंच में सुनवाई के दौरान समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से साफ इंकार कर दिया है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि हम न तो कानून बना सकते हैं, औऱ न ही सरकार पर इसके लिये दबाव डाल सकते हैं। हालांकि कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को लेकर कई अहम टिप्पणियां कर इसका समर्थन किया।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
भले ही सुप्रीम कोर्ट की ओर से सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता नहीं मिली, मगर इसे गैर कानूनी नहीं करार दिया गया।
1. अदालत ने टिप्पणी करते हुए साफ तौर पर कहा कि यदि दो लोग शादी करना चाहें तो यह उनका निजी मामला है, और वे संबंध में आ सकते हैं। इसके लिये कोई दिक्कत वाली बात नहीं है। मगर समलैंगिक शादियों को मान्यता देने के लिये कानून बनाना सरकार का काम है। हम संसद को इसके लिये आदेश नहीं दे सकते हैं। हालांकि, एक आय़ोग बनाकर इसपर विचार जरूर किया जा सकता है ताकि होमोसेक्शुअल लोगों को उनका अधिकार मिल सके।
2. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हर किसी को अपना साथी चुनने का अधिकार है। मगर हम इसके लिये कानून नहीं बना सकते। सुप्रीम कोर्ट कानून की व्याख्या जरूर कर सकता है। वहीं, उन्होंने ये भी कहा कि समलैंगिकता को शहरी एलीट लोगों के बीच की चीज बताना गलत है। विवाह ऐसी संस्था नहीं है, जो स्थिर हो उसमें बदलाव न हो सके।
3. जस्टिस कौल ने कहा कि समलैंगिक और विपरीत लिंग वाली शादियों को एक ही तरीके से देखना चाहिए। यह मौका है, जब ऐतिहासिक तौर पर हुए अन्याय और भेदभाव को खत्म करना चाहिए। सरकार को इन लोगों को अधिकार देने पर विचार करना चाहिए।
4. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि केंद्र सरकार को एक कमिटी बनानी चाहिए। इसका मुखिया कैबिनेट सचिव को बनाना चाहिए। यह कमिटी समलैंगिक जोड़ों के अधिकारों पर विचार करे। उन्हें राशन कार्ड, पेंशन, उत्तराधिकार और बच्चे गोद लेने के अधिकारों को देने पर बात होनी चाहिए।
5. कोर्ट ने यह भी कहा कि समलैंगिकों के लिए हॉटलाइन बनानी चाहिए। इस पर उन्हें उनकी मुश्किलों के लिए समाधान देने चाहिए।
6. शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि समलैंगिक लोग शादी करते हैं तो वे उसे स्पेशल मैरिज ऐक्ट के तहत पंजीकृत करा सकते हैं। उनके लिए सुरक्षित घर भी बनाने चाहिए।
7. कोर्ट ने यह भी कहा है कि समलैंगिक जोड़ों की शादी को मान्यता न देना अप्रत्यक्ष तौर पर उनके अधिकारों का उल्लंघन है।
8. समलैंगिक जोड़े बच्चे को गोद ले सकते हैं।
9. संवैधानिक बेंच ने कहा कि यह तो संसद को ही तय करना है कि कैसे इस मामले में अधिकार तय किए जाएं। हम तो कानून नहीं बना सकते। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि समलैंगिक शादियों की रक्षा करें और उनके अधिकार तय हों। यह किसी का भी अधिकार है कि वह किससे शादी करे। स्पेशल मैरिज ऐक्ट को भी असंवैधानिक नहीं कहा जा सकता।
10. चीफ जस्टिस ने कहा कि उनका फैसला समलैंगिक शादी करने वाले लोगों को कोई सामाजिक या वैधानिक स्टेटस नहीं देता। लेकिन यह जरूर तय करता है कि उन्हें भी वैसे ही अधिकार मिलें, जैसे अन्य लोगों को मिलते हैं।