L19 DESK : जगरनाथ महतो महज़ 10वीं पास थे, लोगों ने इसे लेकर कटाक्ष करना शुरू कर दिया। वह इससे काफी दुखी हो गए। उन्होंने आगे पढ़ने का निश्चय कर ग्यारहवीं कक्षा के लिए बोकारो जिले के देवी महतो इंटर कॉलेज में एडमिशन ले लिया। जगरनाथ महतो सोमवार 10 अगस्त 2020 को कॉलेज पहुंचे। जहां उन्होंने 1100 रुपए का फॉर्म भरा और दाखिला ले लिया। उन्होंने जिस कॉलेज में दाखिला लिया था, वह उनके ही विधानसभा क्षेत्र डुमरी में है।
बकौल शिक्षा मंत्री, जब मैं मंत्री पद की शपथ ले रहा था और मुझे शिक्षा जैसा विभाग मिला, तो कई लोगों ने मुझपर व्यंग्य किए। उनका कहना था कि दसवीं पास क्या चलाएगा शिक्षा मंत्रालय। उसी दिन मैंने इसे चैलेंज के रूप में स्वीकार किया। अब मैं पढ़ाई भी करूंगा, अच्छे नंबरों से पास भी होकर दिखाउंगा।
महतो ने आगे कहा , “मंत्रालय और कॉलेज की पढ़ाई के बीच सामंजस्य बिठाते हुए अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों का भी विकास करूंगा और खेती भी करूंगा।” सोमवार 10 अगस्त को ही उन्होंने एक घोषणा की थी कि जल्द ही पूरे राज्य में 4116 लीडर स्कूल खोले जाएंगे। यह मॉडल स्कूल होगा।
पारा शिक्षकों के आंदोलन को स्थायित्व देने में भी इनकी महती भूमिका रही। सहायक शिक्षक के रूप में मान्यता देने, टेट और जेटेट उत्तीर्ण सहायक शिक्षकों को शिक्षक बहाली में प्राथमिकता देने की भी पहल इन्होंने की थी। झारखंड में 67 हजार पारा शिक्षक हैं, जो स्थायीकरण की मांग को लेकर पिछले कई वर्षों से आंदोलनरत थे। अब शिक्षा विभाग में इनके स्थायीकरण को लेकर कई प्रक्रियाएं चल रही हैं। फरजी डिग्रीधारकों को सहायक शिक्षक से हटाया भी जा रहा है, प्राथमिकी भी दायर की जा रही है।
झारखंड अधिविद्य परिषद (जैक) अध्यक्ष के चयन में आ रही अड़चनों को भी इन्होंने दूर किया और एकेमेडेशियन को वहां नियुक्त किया। इन्होंने ही मैट्रिक और इंटरमीडिएट के टॉपरों को लैपटाप, स्कूटी और नगद पुरस्कार देने की घोषणा की थी। पिछले दो वर्षों से सरकार का यह कार्यक्रम काफी सफल रहा है। जगन्नाथ महतो इंटर कॉलेज और अमेरिका के एक फाउंडेशन के बीच हाल ही में एक एमओयू हुआ। उसी के दौरान उन्होंने अपने क्षेत्र के गरीब छात्रों को अमेरिका भेजने की बात कही थी
इससे पहले शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने 9 जून 2022 को झारखंड के सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक सुधार पर सुझाव देने के लिए शिक्षक संघों के प्रतिनिधियों को बुलाया था। उसमें सभी शिक्षक संघों के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि पहले सभी शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त किया जाए। इसके बाद ही स्कूलों में बच्चों काे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकेगी। इसके बाद मंत्री ने सभी संघों से उन गैर शैक्षणिक कार्यों के बारे में पूरी जानकारी मांगी थी, जो शिक्षकों से लिए जाते हैं। शिक्षकों ने इसे लेकर लिखित जानकारियां भी मंत्री को उपलब्ध करा दी हैं।
बताया क्या क्या काम करते हैं पढ़ाने के अलावा
शिक्षकों का दावा है कि उनसे मध्याह्न भोजन में प्रतिदिन खर्च का हिसाब-किताब रखने, प्रतिदिन व मासिक रिपोर्ट भेजने, स्कूल के बजट बनाने, 37 पेज के यू डायस फार्म आनलाइन भरने, प्रत्येक दिन ई-विद्यावाहिनी एप से छात्रों की उपस्थिति बनाने, विद्यालय प्रबंधन समिति व सरस्वती वाहिनी के खातों का संधारण और ऑडिट करवाने, विद्यालय के पोषक क्षेत्र में घूम-घूमकर शिशु गणना करने, प्रति माह शिक्षक अभिभावक बैठक करने, प्रत्येक माह के 25 तारीख को विद्यालय प्रबंधन समिति की बैठक करने, किताब, चावल, कुकिंग कास्ट के वितरण, बाल संसद पंजी बनाने आदि कार्य लिए जाते हैं। इससे उनपर अतिरिक्त बोझ पड़ता है, जिसका असर बच्चों के पठन-पाठन पर पड़ता है।