L19/Ranchi : संदीप मुरारका और डॉ राम मनोहर लोहिया रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष अभिषेक रंजन सिंह आदिवासी समुदाय के सकारात्मक पहलुओं पर लिखनेवाले कलमकार रविवार को राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन से भेंट की । लेखक संदीप मुरारका ने राज्यपाल को आदिवासियों पर लिखी गयी अपनी पुस्तक देश के 105 विशिष्ट जनजातीय व्यक्तित्व भेंट की ।
इस पुस्तक में पद्म पुरस्कारों के सम्मानित छियत्तर आदिवासी व्यक्तित्वों के साथ-साथ परमवीर चक्र, महावीर चक्र, ध्यानचंद अवार्ड एवं नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित विभूतियों के बारे में शॉर्ट में बताया गया है । राज्यपाल राधाकृष्णन ने कहा कि आदिवासी हमारे लिये प्रेरणास्त्रोत हैं । क्योंकि परस्थितियों के भिन्न होने के बावजूद अपने कठिन संघर्ष से वे सफलताओं का परचम लहरा गढ़ रहें है ।
प्रेरक आदिवासी चरित्रों से पाठकों को रुबरु करा रहे हैं संदीप मुरारका
संदीप मुरारका शॉर्ट बॉयोग्राफी और फीचर के तहत हर संभव प्रेरक आदिवासी चरित्रों से पाठकों को रुबरु करा रहे हैं । अब तक 23 राज्यों की लगभग 52 जनजातियों के विख्यात आदिवासियों पर कॉफी टेबल बुक लिखा है । देश के 105 प्रसिद्ध जनजातिय व्यक्तित्व शीर्षक के नाम से प्रकाशित कॉफी टेबल बुक में वैसे आदिवासियों का परिचय अधिकृत है। इस सचित्र रंगीन पुस्तक का प्रकाशन हिंदी भाषा में कोलकाता के विद्यादीप फाउंडेशन द्वारा किया गया । साथ ही अंग्रेजी, ओड़िया, पंजाबी, मगही, भोजपुरी और संताली में इसका अनुवाद हुआ ।
संदीप मुरारका पहले भी आदिवासियों पर तीन पुस्तक लिख चुके हैं । उनकी पुस्तकें ‘शिखर को छूते ट्राइबल्स भाग एक से तीन’ शोधार्थियों और यूपीएससी के छात्र-छात्राओं के बीच काफी लोकप्रिय रही हैं। यह पुस्तक ऑनलाइन प्लेटफार्म पर बेस्टसेलर का दर्जा मिल चुका है । संदीप मुरारका पाठकों को बताते हैं कि सफलता के लिये संसाधनों की नहीं बल्कि संकल्प की जरूरत होती है ।
जनजातीय संस्कृति हमेशा से रही है समृद्व
संदीप मुरारका बताते है की जब कभी हम आदिवासियों की बात करते हैं, तो कहा जाता है कि उनकी दुनिया हाशिये पर है, वे भूखे नंगे वंचित हैं, वे शहर कस्बे की बजाये जंगलों, नदी तालाब के पास या पर्वतों व कंदराओं में वास करते है । वे दुनिया के तमाम आधुनिक सुख-सुविधाओं से बेजान हैं और समाज की मुख्यधारा से अलग सोचते है । लेकिन वास्तविकता इससे अलग है। जनजातीय संस्कृति हमेशा से समृद्व रही है और यह समुदाय सामाजिक गतिशील रहा है । शायद ही कोई ऐसा इलाका होगा, जिसमें जनजातियों की महत्वपूर्ण भूमिका नहीं रही हो । खासकर संस्कृति, नृत्य, गीत, प्राकृतिक अनुसंधान, खेल और अन्य साहसिक कार्यों में इनका योगदान बेमिसाल रहा है ।