L19/DESK : हेमंत सरकार जल्द ही झारखंड में जाति आधारित जनगणना करने की मूड में है,जिसको लेकर सुगबुगाहट तेज हो गयी है और मानसून सत्र में राज्य सरकार ने इस संबंध में अपनी मंशाओं को रही है साथ ही विधानसभा में प्रस्ताव पेश करने की तैयारी की जा रही है। बताते दें झारखंड में भी जाति आधारित जनगणना को लेकर मांग हमेशा से उठती रही है, राज्य में ओबीसी आरक्षण का मामला अब भी अधर में है। इस संबंध में राज्य सरकार जाति आधारित जनगणना को लेकर फैसला केंद्र के पाले में देना चाहती है, इससे पहले भी सरना धर्म कोड का मामला केंद्र के पास लंबित है। ऐसे में कहना मुश्किल है कि राज्य में जाति आधारित जनगणना को लेकर केंद्र जल्द फैसला करेगा। विधायक प्रदीप यादव ने इसे लेकर विधानसभा में सवाल भी किया जिसके जवाब में राज्य सरकार ने कहा है कि ‘जाति आधारित जनगणना’ का विचार किया जा रहा है और इसे केंद्र सरकार के पास भेजा जायेगा।
इससे पहले हेमंत सरकार ने राज्य के आदिवासियों की वर्षों मांग ‘सरना धर्म कोड’ को केंद्र के पाले भेजने का कम किया था जिसे राज्यपाल ने लौटा दिया था, ऐसा ही ‘जाति आधारित जनगणना’ का मामला भी केंद्र के पाले में फेंकने की तैयारी में है। राज्य सरकार ने ‘1932 खतियान आधारित झारखंडी पहचान‘ और ‘आरक्षण की सीमा 77 प्रतिशत’ करने का प्रस्ताव राज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजा था,हालांकि, राज्यपाल ने इन दोनों विधेयकों को लौटा दिया था। चर्चा है कि इस मानसून सत्र में सरकार दोनों बिल एक बार फिर पेश कर सकती है। ज्ञात हो कि बिहार सरकार जाति आधारित जनगणना’ करा रही है,जिसपर राज्य सरकार के इस फैसले के विरोध में पटना हाइकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी, इस पर हाइकोर्ट ने फैसला देते हुए राज्य सरकार को ‘जाति आधारित जनगणना’ कराने का अधिकार होने का आदेश दिया है।
बिहार में जब हाईकोर्ट ने जाति आधारित जनगणना जारी रकहने का आदेश दिया है थी झारखंड में भी इसे लेकर चली चर्चा स तेज हो गई है कि हेमंत सरकार जाति आधारित जनगणना का मन बना रही है। झारखंड में फिलहाल पिछड़ा वर्ग (OBC) को 14 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है। इसे 27 प्रतिशत करने की मांग हो रही है। विधायक प्रदीप यादव ने भी सरकार से पूछा था कि राज्य में पिछड़ों की आबादी औसतन 50 से 60 प्रतिशत है। सरकारी सेवाओं में इनको मात्र 14 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है। जिला कोटी की सेवा में नौ जिलों में ओबीसी का आरक्षण शून्य है।राज्य में ST को 26 प्रतिशत SC को 10 प्रतिशत, OBC-1 को 08 प्रतिशत, OBC-2 को 6 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर (EWS) को 10 प्रतिशत का आरक्षण है।