India:भले झारखंड राजनीतिक तौर पर पिछड़ा राज्य है लेकिन यहां की विशिष्ट संस्कृति, परंपरा और खानपान की अपनी एक अलग ही पहचान है, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जानी जाती है। वहीँ हम यहाँ के खान-पान के रूप में देखे तो चाहे वह रूगड़ा(rugda हो,घोंघी(ghonghi) हो, मडुवा(maduwa) हो, महुआ(mahuwa) हो, पुटकल(puthal) साग हो, मठ्ठा साग हो, कटई साग हो,कोयनार साग हो, बेंग साग हो या सनई फूल हो या ठेपा साग हो इसकी पहचान और इसकी विशेषता दोनों ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत अधिक है। यही कारण है की हमारे पुरखाओं ने इन खाद्य पदार्थों को अपने मुख्य खान पान मे शामिल किया है।
ऐसे में अब जब झारखंड की अति प्राचीन वाद्ययंत्र माँदर को अंतरराष्ट्रीय मंच पर GI टैग के लिए नोटीफाइ किया जाने वाला है इसी लिस्ट में अब यहां की प्राचीन खाद्य पदार्थ यानि मडुवा चिल्का रोटी, प्राकृतिक गुणों से संपन्न पुटकल साग और देशी मटन के तौर पर प्रसिद्ध रुगड़ा भी इस रेस में आ गई है।
जानकारी के लिए आपको बता दें झारखंड के प्रचलित स्थानीय व्यंजन मड़वा रोटी और पुटकल साग भौगोलिक संकेत पाने की दौड़ में शामिल हो गए हैं। और इन व्यंजनों की दस्तावेजीकरण का काम होटल प्रबंधन संस्थान HIM रांची ने शुरू भी कर दिया है इनकी GI टैगिंग करवाने के लिए पर्यटन विभाग झारखंड सरकार ने HIM रांची को समन्वय एजेंसी के तौर पर चिन्हित किया है।
तो क्या खासियत है मडुवा रोटी और पुटकल साग की आइए जानते हैं।
झारखंड का मडुवा रोटी आदिवासियों के साथ साथ अब यहाँ के स्थानीय लोगों के बीच भी समान रूप से लोकप्रिय है वहीँ यह मोटा अनाज आसानी से पचने योग्य, अत्यधिक पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है। वहीँ आपको बता दें इसे चावल की तरह पकाया भी जा सकता है,साथ ही साथ पीसकर दलिया या आटा बनाया जा सकता है। वहीँ इसमें उच्च मात्रा में प्रोटीन, आयरन,कैल्शियम मैग्नीशियम, फाइबर और विटामिन जैसे पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। इसका नियमित सेवन सेहत के लिए फायदेमंद है और यह आंत के स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है इसके साथ ही यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
वहीँ हम पुटकल साग की बात करें तो यह एक पत्तेदार हरी सब्जी है इसमें विटामिन ए विटामिन सी, विटामिन के,आयरन, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे कई सारे पोषक तत्व होते हैं इसमें उच्च मात्रा में फाइबर होता है जो पाचन को बढ़ावा देता है और वजन प्रबंधन में सहायता करता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर को विषाक्त पदार्थ से मुक्त करने में मदद करता है और इसके साथ ही हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। बहुत ही कम लोगो को शायद ही पता होगा की पुटकल साग सूजन कम करने, हड्डियों की मजबूती और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में भी सहायक है। वहीँ पुटकल साग कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करके और रक्त परिसंचरण में सुधार कर हृदय को स्वस्थ बनाए रखने में भी मदद करता है।
वहीँ अब आपको जानकारी के लिए बता दें झारखंड में GI टैग अब तक सिर्फ सोहराय पेंटिंग को ही हासिल है, वहीँ अब सिद्धू कान्हू एग्रीकल्चर एंड फॉरेस्ट प्रोड्यूस स्टेट कोऑपरेटिव फेडरेशन की ओर से रूगड़ा को भी अब GI टैगिंग के लिए प्रक्रिया की गई है,जबकि मुख्यमंत्री लघु एवं कुटीर उद्योग बोर्ड की ओर से झारखंड की स्थानीय व्यंजन धुस्का के GI टैग के लिए भी प्रक्रिया की गई है।
आपकी जानकारी के लिए बता दे आखिर GI टैग की प्रक्रिया में उत्पादन की पहचान कर उसके भौगोलिक मूल के कारण आदित्य कौन प्रतिष्ठा या विशेषता शामिल होती है उत्पादन की आवेदन प्रक्रिया में उत्पादन के भौगोलिक क्षेत्र का विवरण विशिष्ट गुण उत्पाद की प्रतिष्ठा या विशेषता ऐतिहासिक रिपोर्ट का प्रमाण, उत्पाद की विधि, उत्पाद की विशेषता और निरीक्षक निकाय का विवरण जी के उपयोग को नियंत्रित करते हैं अधिक सम्मिलित होते हैं।