L19 DESK : घाटशिला निवासी डॉ. जानुम सिंह सोय ने बुधवार को नई दिल्ली में पद्मश्री से सम्मानित किया गया । इस पुरस्कार की घोषणा इसी साल गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर हुई थी। हो भाषा साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा कार्य के लिए उन्हे यह सम्मान दिया गया। कोल्हान विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉ. सोय का जन्म आठ अगस्त 1950 को पश्चिमी सिंहभूम जिला के तांतनगर के मातकोमहातु गांव में हुआ था। सोय कोल्हान विश्वविद्यालय में रीडर के पद से सेवानिवृत होने के बाद घाटशिला जाकर बस गये
‘हो’ समाज को लिए गर्व की बात : जानुम सिंह सोय
इस मौके पर 72 वर्षीय डॉ. जानुम सिंह सोय ने कहा कि यह मेरे साथ-साथ ‘हो’ समाज के लिए भी बड़े गर्व की बात है। मैंने टाटा कॉलेज, चाईबासा से हिंदी ऑनर्स में 1971 में बीए उत्तीर्ण किया था। उसके बाद रांची विश्वविद्यालय से 1974 में एमए की पढ़ाई की। इसके बाद 1977 में बीएड किया था।
1991 से ही ‘हो’ भाषा के विकास पर कर रहें थे शोध
जानुम सिंह सोय ने बताया कि 21 फरवरी 1991 में उन्होंने ‘हो’ लोकगीत का साहित्य एवं सांस्कृतिक अध्ययन पर शोध पूरा किया। एक जुलाई 1977 को घाटशिला कॉलेज में हिंदी विभागाध्यक्ष के पद पर योगदान दिया था। बाद में रीडर के पद पर प्रोन्नति मिली। सेवानिवृति के बाद भी हो भाषा के विकास पर काम कर रहें थे ।
सम्मान मिलने पर अर्जुन मुंडा ने दी बधाई
केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि झारखंड के जानुम सिंह सोय को राष्ट्रपति के हाथों पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। उन्हें बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएं। डॉ. सोय को झारखंड की हो भाषा के संरक्षण व संवर्धन के लिए यह सम्मान मिला है। वह पिछले तीन दशक से अधिक समय से इस भाषा पर काम कर रहे हैं। सोय ने हो भाषा पर छह किताबें भी लिखी हैं।