
L19 Ranchi : झारखंड के गैर पेशेवर मैराथन रनर प्रवीर महतो ने न सिर्फ राजधानी रांची, बल्कि अपने पैतृक जिला सरायकेला का भी नाम अंतरराष्ट्रीय फलक तक फहराया है।
एक नैनोटेक्नोलाजिस्ट, साइंटिस्ट के रूप में अब ये अपना एक मंसुबा अख्तियार करना चाहते हैं। चाहते हैं कि सेना, अर्ध सैन्य बलों में होनेवाली बहाली, मैराथन दौड़ के लए एक प्रशिक्षण केंद्र खोलेंगे। अब तक फ्रांस, पोलैंड, इटली, ग्रीस, वेनीस, स्पेन, जर्मनी, अंडोरा और अन्य शहरों में 21 किलोमीटर तक के हाफ मैराथन में न सिर्फ अपनी प्रतियोगी क्षमता प्रदर्शित की, बल्कि देश का नाम रौशन भी किया। इसके अलावा लद्दाख के सबसे ऊंची पहाड़ीवाले मैराथन में उप विजेता रहे हैं। रांची के सामलौंग में रहनेवाले प्रवीर ने अपनी शिक्षा संत जेवियर स्कूल डोरंडा से उत्तीर्ण की थी।
एम एस रमैया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी बैंगलोर से केमिकल इंजीनियरिंग करने के बाद फ्रांस के इंशा डी-लियोन यूनिवर्सिटी से नैनो टेक्नोलाजी में डॉक्टरेट की उपाधी हासिल कर रहे हैं। पिछले छह वर्षों से फ्रांस के लियोन शहर में रह रहे हैं। वह फिलहाल बर्लिन में होनेवाले अगले हाफ मैराथन दौड़ के सिलसिले में रांची में हैं। इसके बाद स्पेन में होनेवाले मैराथन में हिस्सा लेंगे। बर्लिन में होनेवाले मैराथन के लिए 2 घंटे 45 मिनट का समय निकाल कर उन्होंने अपने आप को प्रतियोगिता के लिए क्लालिफाई कराया। उनके लिए सबसे प्रेसीयस मोमेंट तब रहा, जब 2018 में पोलैंड के ओलंपियन रनर अर्थर कोजलोवोस्की ने उन्हें पुरस्कृत किया था।

केन्या में प्रशिक्षण करना चाहता है प्रबीर, झारखण्ड सरकार से चाहिए सहयोग
सरल, मृदुभाषी और मिलनसार प्रवीर झारखंडियों के लिए एक मिसाल हैं। इनका कहना है कि यदि सरकार मदद करे, तो वह 2028 ओलंपिक में भारत के लिए मैराथन रनर के लिए हिस्सा ले सकते हैं। उनकी चाहत है कि झारखंड सरकार इसके लिए केन्या में उन्हें प्रशिक्षण के लिए भेजे, ताकि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने-आपको स्थापित कर सकते हैं। 2024 में होनेवाले पेरिस ओलंपिक में भारतीय मैराथन के लिए मेडल की संभावना के बारे में उनकी राय अलग है। प्रवीर का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय मानकों में दो घंटा एक मिनट का समय है। अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड 2 घंटा 1 मिनट और 39 सेकंड्स का केन्या के एलियड किपचोगे के नाम है। भारतीय मैराथन रनर इनके करीब भी नहीं हैं। भारतीय मैराथन रनरों का समय दो घंटा 15 मिनट है। पेरिस ओलंपिक का क्लालिफाइंग टाइम दो घंटा 10 मिनट 30 सेकेंड रखा गया है।
प्रवीर के अनुसार एक मैराथन रनर को खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इसमें अधिक ऑयली फूड, फास्ट फूड से परहेज करना चाहिए। सुबह में चूड़ा और दूध सही है। एवैकोडो, केला का सेवन एक ऐथेलिट को करना चाहिए। दोपहर में दाल, सब्जी (हरी), रोटी तथा चावल (कार्बोहाइड्रेट) का सेवन करना चाहिए। मैराथन रनर के लिए प्रति दिन चार लीटर पानी पीना जरूरी है। उन्होंने बताया कि विश्व के सबसे बड़े मैराथन रनर एलूड किपचोगे दिन भर में 42 किलोमीटर की दौड़ लगाते हैं। वहां का मौसम काफी सुहावना है। उन्होंने कहा कि हायर एल्टीच्यूड और विदेशों में दौड़ने के लिए आपको हर तरह से सक्षम होना पड़ता है। हर परिस्थिति के अनुकूल अपने आप को ढालना पड़ता है। रांची में उनका कहना है कि सिर्फ होटवार के मेगा स्पोर्ट्स कांपलेक्स के अलावा कोई सिंथेटिक ट्रैक नहीं है। बिरसा मुंडा फुटबाल स्टेडियम में ट्रैक है, पर यहां सुविधाएं नहीं है।
2007 में मैराथन दौड़ शुरुआत की थी
सिंथेटिक ट्रैक में दौड़ने के लिए एक बेहतर कोच की आवश्यकता है। 2007 में मैराथन दौड़ शुरुआत की थी। 400 मीटर की दौड़ बतौर ग्रीन हाउस के रूप में संत जेवियर स्कूल में शुरू की थी। दौड़ में थर्ड आने के बाद से दौड़ की चाहत बढ़ी। पहला अंतरराष्ट्रीय मैराथन इटली के मिलान के फ्लोरेंस सिटी में पार्टीशिपेट करने का मौका मिला था। तीन घंटा 17 मिनट में 42.2 किलोमीटर की दौड़ पूरी की थी। इसके बाद रोम के क्लासिकल मैराथन में हिस्सा लिया। इसके बाद स्पेन के वैलेंसिया, पेरिस से और अंतरराष्ट्रीय मैराथन में शिरकत की। ग्रीस के एथेंस में भी मैराथन में शिरकत कर अपने समय को लगातार कम किया। जर्मनी ने स्टूर्टग्राथ में भी दौड़ लगायी थी। सबसे अच्छा अनुभव वो बताते हैं कि इटली, पोलैंड में अच्छा वातावरण रहता है। वहां का परिवेश भी मैराथन के लिए अच्छा रहता है। पेरिस और बडे शहर भारत के मुंबई और दिल्ली जैसे अस्त व्यस्त है।
माता-पिता दोनों हैं हाइकोर्ट में अधिवक्ता
माता अहिल्या महतो और पिता हरेंद्र कुमार महतो, दोनों झारखंड हाईकोर्ट में वरीय अधिवक्ता हैं। परिवार की तरफ से उन्हें पूरा सपोर्ट मिलता है। पिता और माता भी मैराथन दौड़ के लिए किसी भी तरह के प्रशिक्षण और अन्य के लिए हमेशा मानसिक और वित्तीय सहायता भी प्रदान करते हैं।
