L19/Dipak : झारखंड में रीटेल शराब की दुकानों को संचालित करने के लिए एजेंसियां टर्न अप नहीं हो रही हैं। क्या यह प्रवर्तन निदेशालय (इडी) का खौफ है अथवा जानबूझ कर प्लेसमेंट एजेंसियां झारखंड आना नहीं चाह रही हैं। कारण चाहे जो भी रहा हो, पर यह सच है कि जनवरी 2023 से लेकर अब तक झारखंड स्टेट बीभरेज कारपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल) की तरफ से तीन बार प्लेसमेंट एजेंसिंयों के चयन को लेकर निविदा निकाली गयी।
अब तक यह तय नहीं हो पाया है कि कौन सी प्लेसमेंट एजेंसी को शराब की बिक्री और राजस्व वसूली की जवाबदेही खुद उठायेगी। एसी उहापोह की स्थिति के कई कारण हैं। हाल ही में झारखंड सरकार के उत्पाद विभाग के सचिव विनय कुमार चौबे और उत्पाद आयुक्त करण सत्यार्थी को इडी की रायपुर टीम ने बुला कर पूछताछ की है। इडी का कहना था कि झारखंड में नयी उत्पाद नीति लागू होने के पीछे छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट का हाथ है।
वहीं, झारखंड स्टेट बीभरेज कारपोरेशन लिमिटेड ने प्लेसमेंट एजेंसियों का 85 करोड़ रुपये से अधिक का बैंक गारंटी जब्त कर लिया है। थक हार कर सुमित फैसिलिटीज, ए टू-जेड इंफ्रास्ट्रक्चर, इगल हंटर सॉल्यूशन लिमिटेड व प्राइम वन कंपनी शामिल है. नयी व्यवस्था लागू होने तक इन एजेंसियों को ही शराब बेचने की जिम्मेदारी दिये जाने की प्रबल संभावनाएं हैं।
साथ ही साथ 448 करोड़ की वसूली को लेकर सर्टिफिकेट केस कर दिया है। जिस छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कारपोरेशन लिमिटेड (सीएसएमसीएल) को झारकंड में नयी उत्पाद नीति लागू करने के लिए सलाहकार बनाया गया था, उसके एमडी अरुण मणि त्रिपाठी हैं। इनका संबंध शराब माफिया और रायपुर के सबसे बड़े शराब कारोबारी अनवर ढेबर, शराब सिंडिकेट के खिलाड़ी सिद्धार्थ सिंघानिया, छत्तीसगढ़ सीएम की आप्त सचिव रही सौम्या चौरसिया और अन्य शामिल हैं। इडी की टीम पिछले दो महीने से छत्तीसगढ़ में उत्पाद नीति को लेकर कई कार्रवाई कर चुकी है।
ऐसे में झारखंड सरकार ने नये वित्तीय वर्ष 2023-24 को लेकर अभी तक प्लेसमेंट एजेंसियां, थोक कारोबारियों का चयन नहीं किया गया है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में राज्य में शराब बेचने के लिए चयनित प्लेसमेंट एजेंसी के काम करने की अवधि 30 अप्रैल को समाप्त हो रही है। तमाम प्रयास के बाद जेएसबीसीएल के पास आवेदन नहीं आ रहे । एजेंसियां टेंडर में रुचि नहीं ले रहीं। जेएसबीसीएल ने प्लेसमेंट एजेंसी के चयन को लेकर अब तक हुई प्रक्रिया से उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग को अवगत करा दिया है। इसे कैसे आगे लेकर जाना है इसका फैसला विभाग करेगा। सवाल है कि अगर तय समय पर नयी एजेंसी का चयन नहीं होता तो राज्य में शराब कैसे बिकेगी।