साथ ही सैकड़ों की संख्या में मुंडा भूईहर और भूईहर जाति के पुरुष-महिलाएं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को करम पर्व की शुभकामनायें देने हेतु पारंपरिक भेषभूषा में पहुंची थी
L19/DESK : 30 वर्षों से अपने हक अधिकार के लिए झारखंड के छतीसगढ़ और ओड़ीसा के सीमावर्ती जिलों गुमला, सिमडेगा, लातेहार, गढ़वा के 2 लाख से ज्यादा आबादी वाले मुंडा भूईहर जाति के लोग अपने को अनुसूचित जनजाति में सूचीबद्ध करने को लेकर आंदोलन करते आ रहे हैं। इनकी मांग है कि शब्दों की गलती के कारण झारखंड अलग होने के बाद और 1932 खतियान के आधार पर इनको जनजाति में सूचीबद्ध नही किया गया है, जिस कारण इनके बच्चो के पढ़ने लिखने और नौकरी जैसे कार्यों के लिए जाति प्रमाणपत्र बनाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।बीते वर्षों से इनके अस्तित्व को लेकर TRI में रिसर्च भी चल रहा है और केंद्र सरकार के अनुसूचित जनजाति मंत्रालय को रिपोर्ट भी भेज दिया गया है परंतु अभी तक उनकी सुनवाई या कोई सकारात्मक पहल नही की गई है।
इधर इसी मुद्दे को लेकर आज सैकड़ो की संख्या में मुंडा भूईहर और भूईहर जाति के लोग CM आवास में माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलने के लिए रांची आयें हैं, जहां उन्होने बताया कि झारखंड अलग होने से पहले इन्हे बिहार सरकार में अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया था और आदिवासी (ST) के सभी लाभ इन्हे प्राप्त होते थे। परंतु 2000 के बाद अधिकारियों के शब्दों की हेराफेरी के कारण जिसमें भूईहर और भूमिहार में अंतर स्पष्ट नही हो पा रहा जिस कारण इन्हे झारखंड में अभी तक अनुसूचित जनजाति का दर्जा नही मिला पाया है।