L19 DESK : झारखंड हाईकोर्ट में गुरुवार को विधानसभा में नियुक्ति गड़बड़ी मामले मे शिव शंकर शर्मा की जनहित याचिका में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान विधानसभा के प्रभारी सचिव की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर बताया गया कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट अब तक नहीं मिल सकी है। विधानसभा सचिवालय ने जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय आयोग से जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की जांच की रिपोर्ट का मूल प्रतिवेदन मांगी है।
अदालत ने विधानसभा सचिव को जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद कमीशन की रिपोर्ट जमा करने का एक और मौका देते हुए मामले की सुनवाई 9 नवंबर को निर्धारित की है। सुनवाई के दौरान विधानसभा सचिव की ओर से जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय को भेजे गए पत्र की प्रतिलिपि कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की गई। सुनवाई के दौरान विधानसभा की ओर से अपर महाधिवक्ता जयप्रकाश और अधिवक्ता अनिल कुमार ने पैरवी की।
इस दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार ने कोर्ट को बताया गया कि विधानसभा में गलत तरीके से नियुक्त अधिकारियों की प्रोन्नति के लिए आयोग से सुझाव मांगा गया है। सरकार की मंशा विधानसभा में गलत रूप से चयनित अधिकारियों को बचाने की है. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की।
बता दें कि पिछले सुनवाई में कोर्ट ने विधानसभा सचिव की ओर से जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट आदलत में जमा नहीं करने पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि 7 दिनों के भीतर रिपोर्ट जमा करें अन्यथा अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। प्रार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार की ओर से कोर्ट को बताया था कि मामले की जांच को लेकर पहले जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की अध्यक्षता वाली वन मैन कमिशन बनी थी।
जिसमें मामले की जांच कर राज्यपाल को वर्ष 2018 में रिपोर्ट सौंपी थी। जिसके आधार पर राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को एक्शन लेने का निर्देश दिया था लेकिन साल 2021 के बाद से अब तक कोई कारवाई नहीं किया गया। राज्यपाल के दिशा निर्देश के बावजूद भी विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इस मामले को लंबा खींचा जा रहा है।
मामले में देरी होने से गलत तरीके से चयनित होने वाले अधिकारी सेवानिवृत हो जाएंगे। पूर्व की सुनवाई विधानसभा की ओर से बताया गया था कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की कमीशन की रिपोर्ट पूरी तरीके से स्पेसिफिक नहीं थी। जिस कारण जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद के कमीशन की रिपोर्ट का अध्ययन करने के लिए एक और जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली कमीशन बनी।