L19 DESK : गुजरात के बिलकिस बानो के साथ हुए गैंगरेप के केस में 11 दोषियों को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में फैसला सुनाया। इन 11 दोषियों को फिर से जेल जाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात सरकार की सजा माफी के आदेश को रद्द करते हुए यह फैसला सुनाया। अदालत ने दोषियों से कहा है कि वे दो सप्ताह के अंदर अदालत में सरेंडर कर दें। कोर्ट ने कहा कि सजा माफी का यह फैसला गुजरात सरकार ने दिया था, जो उसके अधिकार क्षेत्र में ही नहीं था। इस तरह हम उस गलत फैसले को खारिज करते हैं। इसके साथ ही कोर्बिट ने बिलकिस बानो की याचिका को सही करार दिया।
केस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने की ये टिप्पणियां
आज की ये सुनवाई जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जवल भुयन की बेंच में हुई। इस दौरान बेंच ने कई अहम टिप्पणियां कीं। ये टिप्पणी गुजरात हाईकोर्ट के फैसले और गुजरात सरकार के रुख से संबंधित है। कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार ने जिस तरह रिहाई का आदेश दिया, वह दूसरे के अधिकार हड़पने का मामला है। अधिकार हड़पने का मामला तब बनता है, जब किसी और अथॉरिटी की शक्तियों को कोई और इस्तेमाल करता है। गुजरात सरकार का फैसला ऐसा ही एक उदाहरण है। इस मामले में सजा माफी का अधिकार महाराष्ट्र सरकार के पास था, लेकिन रिहाई का आदेश गुजरात सरकार ने दे दिया।
वहीं, कोर्ट ने एक दोषी के याचिका पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि गलत तथ्यों को पेश करके एक दोषी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी थी। इसी पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को सजा माफी पर विचार करने को कहा था। वह एक तरह का फ्रॉड था, जो एक दोषी ने अदालत के साथ किया। यह एक क्लासिक उदाहरण है कि कैसे इस अदालत के आदेश को नियमों का उल्लंघन करने के लिए इस्तेमाल किया गया। फिर दोषियों को उस सरकार ने रिहा कर दिया, जिसके पास यह अधिकार ही नहीं था।
सुनवाई करते हुए कोर्ट ने गुजरात सरकार को भी घेरे में लिया। कहा कि गुजरात सरकार का दोषियों को लेकर रवैया विवादित था। यही वजह थी कि इस केस के ट्रायल को ही राज्य से बाहर ट्रांसफऱ करना पड़ा था। हम यह मानते हैं कि गुजरात सरकार के पास दोषियों को रिहा करने का कोई अधिकार नहीं था। अब इन लोगों को दो सप्ताह के अंदर सरेंडर करना होगा, यानी वापस जेल जाना होगा। गुजरात हाईकोर्ट ने गलत ढंग से फैसला लिया था जिसे आज खारिज किया जाता है।
गुजरात हाईकोर्ट का क्या था फैसला ?
दरअसल, गुजरात हाईकोर्ट ने अगस्त 2022 में गैंगरेप के इन 11 दोषियों को रिहा कर दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में बिलकिस बानो समेत अन्य ने गुजरात हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी। इसी याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना है। आज ये फैसला हो जायेगा कि इन दोषियों की रिहाई बरकरार रहेगी, या फिर इन्हें वापस से जेल भेजा जायेगा।
मामले पर क्या रहा है सुप्रीम कोर्ट का रुख ?
बेंच ने पिछले साल 12 अक्टूबर को मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले पर कोर्ट में लगातार 11 दिन तक सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान केंद्र और गुजरात सरकार ने दोषियों की सजा माफ करने से संबंधित ऑरिजिनल रिकॉर्ड पेश किये थे। गुजरात सरकार ने अपराधियों को माफ करने के फैसले को सही ठहराया था। समय से पहले दोषियों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल भी उठाये थे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह सजा माफी के विरुद्ध नहीं है, मगर ये स्पष्ट किया जाना चाहिये कि गैंगरेप के अपराधी कैसे माफी के काबिल हैं। कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक अपराधी की तरफ से पैरवी करने वाले वरीय अधिवक्ता सिद्धार्थ लुथरा ने कहा था कि सजा माफ करने से अपराधी को समाज में एक बार फिर से जीने की उम्मीद दिखाई दी। और तो और उसे अपराध बोध है।
ये हैं मामले में दोषी
बता दें कि इस मामले में 11 दोषी हैं जिनके नाम जसवंत भाई नाई, गोविंदभाई नाई, शैलेष भट्ट, राधेश्याम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, प्रदीप मोरधिया, बाकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदाना हैं। गुजरात हाईकोर्ट द्वारा इन दोषियों की रिहाई के फैसले के खिलाफ बिलकिस बानो समेत सीपीएम नेता सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लॉल और टीएमसी की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
क्या है बिलकिस बानो का पूरा मामला ?
27 फरवरी 2002 को गुजरात में बहुत बड़ा दंगा हुआ था। उस दौरान नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर थे। गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कोच को जला दिया गया था। इस ट्रेन में बैठे 59 कारसेवकों की मौत हो गयी थी। जिससे दंगा उत्पन्न हो गया। दंगों की आग से बचने के लिये बिलकिस बानो अपनी बच्ची और परिवार के साथ गांव छोड़कर चली गयी थी। बिलकिस बानो और उनका परिवार जहां छिपा था, वहां 20-30 लोगों की भीड़ ने 3 मार्च 2002 को तलवार व लाठियों से हमला कर दिया था।
इस दौरान बिलकिस बानो के साथ भीड़ ने सामूहिक दुष्कर्म को भी अंजाम दिया था। उस समय वह 5 महीने की गर्भवती थीं। वहीं, उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या भी कर दी गयी। बाकि 6 सदस्य वहां से भाग गये थे।
इस मामले में साल 2008 में सीबीआई की जांच के बाद कोर्ट का फैसला आया। 11 दोषियों को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। वहीं सबूत के अभाव में कोर्ट ने 7 अपराधियों को बरी कर दिया। जबकि एक अपराधी की ट्रायल के दौरान ही मौत हो गयी। आगे चलकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपराधियों की सजा को जारी रखा। वहीं साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को बिलकिस बानो को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।साथ ही बिलकिस को नौकरी और घर देने का आदेश भी दिया था।
मगर 15 अगस्त 2022 को गोधरा उप कारागर से रिहा कर दिया गया था। रिहा करने के फैसले को अदालत में चुनौती दी गई थी। इसी पर सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई को खत्म करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने गुजरात सरकार के फैसले को ही गलत करार दिया है।