L19 DESK : झारखंड- बिहार के 145 कांडों में वांछित, 15 लाख के इनामी कुख्यात इंदल गंझू उर्फ ललन गंझू उर्फ उमा उर्फ बधन ने गुरुवार को रांची जोनल आइजी कार्यालय में खुद को सरेंड़ेर कर दिया । ऑपरेशन नई दिशा में झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण व पुनर्वास नीति के तहत झारखंड पुलिस व सीआरपीएफ के अधिकारियों ने इंदल का मुख्य धारा में लौटने पर शाल व बुके से स्वागत किया।
बिहार का रहने वाला है इंदल
इंदल मूल रूप से बिहार के गया जिले के इमामगंज थाना क्षेत्र के असरैन गांव का निवासी है। उसका चतरा जिले के कौलेश्वरी सब जोन में आतंक था। सरेंडर के पहले वह भाकपा माओवादी संगठन में वह रीजनल कमेटी सदस्य के पद पर था।
विगत 3 अप्रैल को चतरा जिले के लावालौंग में पुलिस से मुठभेड़ में 25-25 लाख रुपये के इनामी दो व पांच-पांच लाख रुपए के इनामी तीन नक्सलियों के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद से ही इंदल पुलिस के संपर्क में आ गया था।
उसने सरेंडर की इच्छा जताई थी, जिसके बाद उसका आत्मसमर्पण कराया गया है। इंदल पर दर्ज कांडों में चतरा जिला में 48, पलामू में एक, हज़ारीबाग़ में पांच, बिहार के गया में 78 व औरंगाबाद में 13 कांड शामिल हैं।
145 प्राथमिकियां इन थानों में दर्ज हैं
- चतरा: प्रतापपुर (एक), ईटखोरी (तीन), राजपुर (18), वशिष्ठनगर (आठ), हंटरगंज (आठ), सदर (नौ), कुंदा (एक)।
- पलामू: मनिका थाना (एक)।
- हजारीबाग: चौपारण (पांच)।
- गया: बाराचट्टी (15), शेरघाटी डोभी (एक), भदवर (एक), इमामगंज (21), रौशनगंज (पांच), डुमरिया मैगरा (एक), डुमरिया (11), चकरबंधा (एक), आमस (छह), बांकेबाजार (सात), लटुआ (सात), धनगाईं (एक) व सलैया (एक)।
- औरंगाबाद: मदनपुर (11) व देव (दो)।
क्यों संगठन में शामिल हुआ था इंदल?
इंदल गंझू ने बताया कि वह एक करोड़ के इनामी पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत बोस उर्फ किशन दा से प्रेरित था। उन्हें अपना आदर्श मानता था। गत वर्ष किशन दा की गिरफ्तारी का उसे दुख है। उसने बताया कि वर्ष 2006-07 के आसपास उसका जमीन विवाद था।
तब उसके गांव में नक्सलियों का आना-जाना था, जिन्हें वह खाना भी खिलाता था। किशन दा के विचारधारा का भी उसपर प्रभाव पड़ा और वह नक्सली संगठन में शामिल हो गया। उसने यह भी बताया कि उसपर दर्ज कई मामले ऐसे हैं, जिनमें वह शामिल नहीं था, लेकिन उसे आरोपित बना दिया गया।
IG ने बचे हुए नक्सलियों को दी चेतावनी
आइजी अभियान अमोल वीनुकांत होमकर ने प्रेस कोन्फ़्रेस के दौरान राज्य मे बाकी बचे हुए नक्सलियों को चेतावनी दी है कि वे हिंसावादी विचाराधारा छोड़कर खुद को सरेंडर करें तथा राज्य सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति का लाभ लेकर मुख्य धारा से जुड़ें। ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी ।
फरार माओवादी के विरुद्ध भी कानूनी कार्रवाई होगी । राज्य सरकार ने झारखंड को नक्सल मुक्त राज्य बनाने का संकल्प लिया है। इसी संकल्प को धरातल पर उतारने के लिए झारखंड पुलिस, सीआरपीएफ, झारखंड जगुआर व अन्य केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के माध्यम से सभी नक्सली संगठनों के विरुद्ध चौतरफा कार्रवाई की जा रही है। इसमें पुलिस को लगातार सफलताएं भी मिल रही हैं।