L19/DESK : जनजातीय गौरव दिवस पर प्रदेश भाजपा ने जनजातीय नेताओं की उपेक्षा की है। खूंटी में आयोजित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में भाजपा अनुसूचित जाति, जनजाति मोरचा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह सांसद समीर उरांव और प्रदेश एसटी मोरचा के अध्यक्ष शिवशंकर उरांव को पास निर्गत नहीं किया गया। जानकारी के अनुसार भाजपा के प्रमुख आदिवासी चेहरों को मंच के नीचे अगली-पिछली पंक्ति में भी जगह नहीं मिली।
यहां तक की भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष समीर उरांव और एसटी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष शिवशंकर उरांव को भी पार्टी की ओर से पास उपलब्ध नहीं कराया गया। अंदर जाने वाले नेताओं की लिस्ट में भी इनका नाम नहीं था. दोनों नेता जब कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे तो पास नहीं होने के कारण उन्हें बाहर ही रोक दिया गया। करीब 15 मिनट तक वे बाहर रहे। नोकझोंक चलती रही, बाद में अंदर से पास भिजवाकर दोनों नेताओं को अंदर बुलाया गया।
भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष आरती कुजूर, एसटी मोर्चा के प्रभारी रामकुमार पाहन, सह मीडिया प्रभारी अशोक बड़ाइक समेत दर्जनों आदिवासी नेता, जिन्होंने गांव-गांव घूमकर आदिवासी समुदाय के सैकड़ों लोगों को मोदी की सभा में शामिल होने के लिए लाया, वे सभी बिना पास के दर्शकों की भीड़ में खड़े थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में हुई अपनी उपेक्षा से प्रदेश भाजपा के सभी आदिवासी नेता आहत हैं। प्रदेश नेतृत्व की तरफ से हुए मिस मैनेजमेंट से उनके अंदर काफी आक्रोश है। आदिवासी नेताओं ने कहा कि पास और अन्य महत्वपूर्ण चीजों की जिम्मेदारी प्रदेश के उपाध्यक्ष प्रदीप वर्मा की थी।
उनसे भूल हुई या फिर उन्होंने जान-बूझकर ऐसा किया यह तो पता नहीं, लेकिन प्रदेश के अदिवासी नेताओं की उपेक्षा से आदिवासी जनता के बीच अच्छा संदेश नहीं गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सभा में आदिवासियों के अधिकार, विकास और सम्मान की चर्चा की। आदिवासियों के भावनाओं को छूने की कोशिश की। मंच पर सीएम हेमंत सोरेन, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, पूर्व सांसद कड़िया मुंडा, नीलकंठ सिंह मुंडा और कोचे मुंडा जैसे आदिवासी नेताओं की मौजूदगी झारखंड में आदिवासियों की मजबूती की मिसाल पेश कर रहा था, लेकिन मंच के नीचे और पर्दे के पीछे पार्टी के अपने ही नेताओं की उपेक्षा हो रही थी।